National

जीवन की नींव को मजबूत बनाती हैं मां और मातृभाषा : प्रधानमंत्री,देखें वीडियो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि मां और मातृभाषा मिलकर जीवन को मजबूती प्रदान करते हैं तथा कोई भी इंसान अपनी मां एवं मातृभाषा को न छोड़ सकता है और ना ही इनके बिना तरक्की कर सकता है।श्री मोदी ने रविवार को रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 86वीं कड़ी में कहा कि हिंदी भारत की प्रमुख भाषा है और हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि 2019 में हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे स्थान पर थी। इसमें बड़ी बात यह है कि भारत में 121 मातृ भाषाएं हैं और इनमें 14 ऐसी हैं जिनमें से हर भाषा को एक करोड़ से ज्यादा लोग बोलते हैं।

उन्होंने कहा, “ कुछ दिन पहले हमने मातृभाषा दिवस मनाया। मातृभाषा शब्द कहाँ से आया, इसकी उत्त्पति कैसे हुई, इसे लेकर विद्वान बहुत ऐकडेमिक इनपुट दे सकते हैं। मैं तो मातृभाषा के लिए यही कहूँगा कि जैसे हमारे जीवन को हमारी माँ गढ़ती है, वैसे ही, मातृभाषा भी, हमारे जीवन को गढ़ती है। माँ और मातृभाषा, दोनों मिलकर जीवन के आधार को मजबूत बनाते हैं, चिरंजीव बनाते हैं। जैसे हम अपनी माँ को नहीं छोड़ सकते, वैसे ही अपनी मातृभाषा को भी नहीं छोड़ सकते। मुझे बरसों पहले अमेरिका में एक बार एक तेलुगू परिवार में जाना हुआ और मुझे एक बहुत खुशी का दृश्य वहां देखने को मिला।

उन्होंने मुझे बताया कि हम लोगों ने परिवार में नियम बनाया है कि कितना ही काम क्यों न हो लेकिन अगर हम शहर के बाहर नहीं हैं तो परिवार के सभी सदस्य भोजन की मेज पर बैठकर तेलुगू भाषा बोलेंगे । जो बच्चे वहाँ पैदा हुए थे, उनके लिए भी ये नियम था। अपनी मातृभाषा के प्रति ये प्रेम देखकर इस परिवार से मैं बहुत प्रभावित हुआ था।”प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी कुछ लोग ऐसे द्वन्द में हैं जिसके कारण उन्हें अपनी भाषा, अपने पहनावे, अपने खान-पान को लेकर संकोच होता है जबकि विश्व में कहीं और ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा , “ मातृभाषा को गर्व के साथ बोला जाना चाहिए और हमारा देश तो भाषाओं के मामले में इतना समृद्ध है कि उसकी तुलना ही नहीं हो सकती। हमारी भाषाओं की सबसे बड़ी खूबसूरती ये है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक सैकड़ों भाषाएं, हजारों बोलियाँ एक दूसरे से अलग लेकिन एक दूसरे में रची-बसी हैं। हमारी भाषा अनेक लेकिन भाव एक है।”

उन्होंने कहा, “ सदियों से हमारी भाषाएँ एक दूसरे से सीखते हुए खुद को परिष्कृत करती रही है, एक दूसरे का विकास कर रही हैं। भारत में विश्व की सबसे पुरानी भाषा तमिल है और इस बात का हर भारतीय को गर्व होना चाहिए कि दुनिया की इतनी बड़ी विरासत हमारे पास है। उसी प्रकार से जितने पुराने धर्मशास्त्र हैं उसकी अभिव्यक्ति भी हमारी संस्कृत भाषा में है।” श्री मोदी ने कहा कि भाषा, केवल अभिव्यक्ति का ही माध्यम नहीं बल्कि भाषा समाज की संस्कृति और विरासत को भी सहेजने का काम करती है।उन्होंने कहा , “ हमारे यहाँ भाषा की अपनी खूबियाँ हैं, मातृभाषा का अपना विज्ञान है। इस विज्ञान को समझते हुए ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया गया है।”

प्रधानमंत्री ने सूरीनाम के राष्ट्र कवि सुरजन परोही का जिक्र करते हुए कहा कि दो फरवरी को वह 84 वर्ष के हुए हैं। उनके पूर्वज भी बरसों पहले हज़ारों श्रमिकों के साथ रोजी-रोटी के लिए सूरीनाम गए थे। सुरजन परोही हिन्दी में बहुत अच्छी कविता लिखते हैं, वहां के राष्ट्रीय कवियों में उनका नाम लिया जाता है लेकिन आज भी उनके दिल में हिन्दुस्तान धड़कता है। उनके कार्यों में हिन्दुस्तानी मिट्टी की महक है। सूरीनाम के लोगों ने सुरजन परोही के नाम पर एक संग्रहालय भी बनाया है। मेरे लिए ये बहुत सुखद है कि साल 2015 में मुझे उन्हें सम्मानित करने का अवसर मिला था।उन्होंने कहा कि आज 27 फरवरी को मराठी भाषा गौरव दिवस है और इस अवसर पर उन्होंने मराठी भाषियों को बधाई दी है और कहा कि यह दिन मराठी कविराज विष्णु बामन शिरवाडकर और कुसुमाग्रज जी को समर्पित है। कुसुमाग्रज जी की आज जयंती भी है। उन्होंने मराठी में कवितायेँ लिखी, अनेकों नाटक लिखे, मराठी साहित्य को नयी ऊँचाई दी।

BABA GANINATH BHAKT MANDAL  BABA GANINATH BHAKT MANDAL

Related Articles

Back to top button