
जरूरतमंद देशों को स्वच्छ तकनीक, किफायती ऋण मुहैया कराना जरूरी: मोदी
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से मिले मोदी
हिरोशिमा : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन की चुनौती को ऊर्जा के संदर्भ से परे देखने की जरूरत पर बल देते हुए आज कहा कि यदि हम इन चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरतमंद देशों को स्वच्छ प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और किफायती ऋण उपलब्ध नहीं करा सके तो इस संकट से निजात नहीं पा सकेंगे।
श्री मोदी ने आज यहां जी-7 के सातवें कार्य सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। अनेक संकटों से ग्रस्त विश्व में जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा, आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से हैं। इन बड़ी चुनौतियों का सामना करने में एक बाधा यह है कि हम जलवायु परिवर्तन को केवल ऊर्जा के परिप्रेक्ष्य से देखते हैं। हमें अपनी चर्चा का दायरा बढ़ाना चाहिए।उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता में पृथ्वी को माँ का दर्जा दिया गया है और इन सभी चुनौतियों के समाधान के लिए हमें पृथ्वी की पुकार सुननी होगी। उसके अनुरूप अपने आप को, अपने व्यवहार को बदलना होगा। इसी भावना से भारत ने पूरे विश्व के लिए मिशन लाइफ, अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ (आईएसए), आपदा निरोधक अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई), मिशन हाइड्रोजन, जैवईंधन गठजोड़, बिग कैट एलायंस जैसे संस्थागत समाधान खोजे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत के किसान ‘हर बूंद, अधिक उपज’ के मिशन पर चलते हुए पानी की एक एक बूँद बचा कर प्रगति और विकास की राह पर चल रहे हैं। हम नेट ज़ीरो 2070 के हमारे लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं। हमारे विशाल रेलवे नेटवर्क ने 2030 तक नेट ज़ीरो तक पहुँचने का निर्णय लिया है। इस समय भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता लगभग 175 गीगावॉट है। 2030 यह 500 गीगावॉट पहुँच जाएगी ।उन्होंने कहा कि हमारे सभी प्रयासों को हम पृथ्वी के प्रति अपना दायित्व मानते हैं। यही भाव हमारे विकास की नींव हैं और हमारी विकास यात्रा के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों में निहित हैं। भारत की विकास यात्रा में पर्यावरण प्रतिबद्धताएं कोई बाधा नहीं बल्कि उत्प्रेरक का काम कर रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा, “जलवायु कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ते हुए हमें प्रदूषण रहित और स्वच्छ तकनीकी आपूर्ति श्रृंखलाओं को लचीला बनाना होगा। अगर हम जरूरतमंद देशों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और किफायती ऋण उपलब्ध नहीं कराएँगे तो हमारी चर्चा केवल चर्चा ही रह जायेगी। जमींन पर बदलाव नहीं आ पायेगा।”उन्होंने कहा, “मैं गर्व से कहता हूँ कि भारत के लोग पर्यावरण के प्रति सचेत हैं और अपने दायित्वों को समझते हैं। सदियों से इस दायित्व का भाव हमारी रगों में बह रहा है। भारत सभी के साथ मिलकर अपना योगदान देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।”
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से मिले मोदी
हिरोशिमा (जापान) प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी ने जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमिर ज़ेलेन्स्की से द्विपक्षीय मुलाकात की और रूस यूक्रेन के बीच संघर्ष को समाप्त करने के लिए बातचीत एवं कूटनीतिक प्रयासों को भारत का समर्थन एवं यूक्रेन के लोगों को मानवीय सहायता देने की बात दोहरायी।प्रधानमंत्री श्री मोदी ने यहां श्री ज़ेलेन्स्की के मुलाकात के बाद ट्वीट किया, “हिरोशिमा में राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की से मुलाकात की। हमने आगे का रास्ता खोजने के लिए बातचीत और कूटनीति के लिए भारत के स्पष्ट समर्थन से अवगत कराया। हम यूक्रेन के लोगों को मानवीय सहायता देना जारी रखेंगे।”

श्री मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्राँ के साथ भी द्विपक्षीय बैठक की। नेताओं ने क्षेत्रीय विकास और वैश्विक चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। दोनों नेताओं ने व्यापार और आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग, नागरिक उड्डयन, नवीकरणीय, संस्कृति, रक्षा क्षेत्र में सह-उत्पादन और विनिर्माण, साथ ही असैन्य परमाणु सहयोग के अलावा नए क्षेत्रों में भी साझीदारी का विस्तार करने पर सहमति जतायी।श्री मोदी ने उन्हें 14 जुलाई को बैस्टिल दिवस के लिए सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति श्री मैक्रों को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के लिए फ्रांस के समर्थन के लिए भी राष्ट्रपति श्री मैक्रों का आभार जताया।(वार्ता)