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दुनिया को नई प्रेरणा प्रदान कर रहा भारत का ध्येय वाक्य वसुधैव कुटुम्बकमः सीएम योगी

मुख्यमंत्री ने अर्जेंटीना, बोत्सवाना, कनाडा, हंगरी, इंडोनेशिया, जापान और लिथुआनिया से आए यंग लीडर्स के साथ की बैठक

  • लोकतंत्र के लिए मिलकर काम करें दुनिया के यंग लीडर्स तो प्रशस्त होगा मानवता के कल्याण का मार्गः योगी आदित्यनाथ
  • उत्तर प्रदेश अपने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए पूरी दुनिया में रखता है महत्वपूर्ण स्थानः मुख्यमंत्री

लखनऊ । दुनिया के यंग लीडर्स लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को दोहराते हुए मिलकर कार्य करेंगे तो न केवल अपने देश का बल्कि दुनिया के अंदर हम मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर पाएंगे। भारत के प्राचीन ध्येय वाक्य वसुधैव कुटुम्बकम के साथ दुनिया के सभी देश मिलकर काम कर रहे हैं तो स्वाभाविक रूप से दुनिया के इन देशों ने लोकतंत्र को किसी न किसी रूप में अंगीकार किया है जो दुनिया को एक नई प्रेरणा प्रदान कर सकता है। ये बातें रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जेन नेक्स्ट डेमोक्रेसी नेटवर्क प्रोग्राम में सम्मिलित होने वाले प्रतिभागियों के अपने सरकारी आवास पर बैठक के दौरान कहीं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अर्जेंटीना, बोत्सवाना, कनाडा, हंगरी, इंडोनेशिया, जापान और लिथुआनिया से आए हुए यंग लीडर्स का उत्तर प्रदेश सरकार और नागरिकों की ओर से अभिनंदन भी किया।

प्राचीन काल से लोकतंत्र की जननी है भारत

अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए सीएम योगी ने कहा कि हमारा देश वर्तमान में अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन लोकतंत्र की जड़ें भारत के अंदर इतनी गहराई से जुड़ी हुई हैं कि यह प्राचीन काल से ही लोकतंत्र की जननी रहा है। लोकतंत्र की जननी के इस सबसे बड़े राज्य में आप सबका आगमन हुआ है। भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने वाला यह राज्य कई मायनों में महत्वपूर्ण है।

इस राज्य में भारत के खाद्यान्न उत्पादन की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका उत्तर प्रदेश की होती है। 11 फीसदी कृषि योग्य भूमि के साथ हम 20 फीसदी भारत के कुल खाद्यान्न का उत्पादन करते हैं। खाद्यान्न उत्पादन में भारत में उत्तर प्रदेश नंबर एक है। इसके साथ ही गन्ना उत्पादन में भी उत्तर प्रदेश नंबर एक है। सब्जी और दुग्ध उत्पादन के साथ ही अन्य महत्वपूर्ण खाद्यान्नों में भी उत्तर प्रदेश नंबर एक पर है। पिछले कुछ वर्षों से इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में जो कार्य उत्तर प्रदेश में हुए हैं उसने उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश के अंदर एक नया विश्वास जगाया है।

भारत से जुड़ी हैं जापान की स्मृतियां

सीएम बोले, मुझे प्रसन्नता है कि आप दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी का भ्रमण करके आए हैं। काशी भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान की नगरी है। सृष्टि की शुरुआत से इस नगरी की पहचान है। यही नहीं काशी के साथ ही दुनिया का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद भी भारत ने दुनिया को दिया है। मुझे प्रसन्नता है कि जापान के यंग लीडर्स भी यहां आए हुए हैं। जापान की स्मृतियां भारत से जुड़ी हुई हैं, क्योंकि भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति की भूमि हो या उनके सिद्धि प्राप्ति की भूमि हो, उनके महापरिनिर्वाण स्थली हो या उनकी पावन धरा के रूप में भारत और उसमें उत्तर प्रदेश की धरती महत्वपूर्ण भूमिका रखती है।

भारत और जापान के बीच में ये सांस्कृतिक संबंध बहुत प्राचीन हैं। आपने वाराणसी में स्वयं जापान की उन स्मृतियों को देखा होगा। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने स्वयं भारत-जापान सांस्कृतिक परिषद के माध्यम से इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया था। इंडोनेशिया के साथ भारत और उत्तर प्रदेश के संबंधों का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि इंडोनेशिया की रामलीला दुनिया के अंदर प्रसिद्ध है। मैं प्रतिवर्ष इंडोनेशिया की रामलीला को यहां पर भगवान राम की जन्मभूमि में आमंत्रित करता हूं और मुझे खुशी होती है कि इंडोनेशिया से आई रामलीला पूरे उत्तर प्रदेश वासियों को मोह लेती है।

वसुधैव कुटुम्बकम के भाव से जुड़कर काम कर रही दुनिया

आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में यह हम सबके लिए अत्यंत गौरव का विषय है कि भारत प्राचीन काल से ही जिन मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों के लिए जाना जाता है, वसुधैव कुटुम्बकम की उस भावना को ध्यान में रखते हुए आज जी-20 देशों की अध्यक्षता का अवसर भी भारत और प्रधानमंत्री मोदी को प्राप्त हुआ है। जब दुनिया के प्रमुख लोकतंत्रों से जुड़े हुए यंग लीडर्स आईसीसीआर के द्वारा इस आयोजन के माध्यम से भारत आ रहे हैं तब जी-20 समिट भी भारत में अलग-अलग स्थानों पर होने जा रहे हैं। उसका थीम भी है वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर। यानी वसुधैव कुटुम्बकम का ये भाव पूरी दुनिया एक परिवार है और इस भाव के साथ दुनिया के सभी देश मिलकर काम कर रहे हैं तो स्वाभाविक रूप से दुनिया के इन देशों ने लोकतंत्र को किसी न किसी रूप में अंगीकार किया है वह दुनिया को एक नई प्रेरणा प्रदान कर सकता है।

यंग लीडर्स लोकतंत्र की भावना को आगे बढ़ाएंगे

उत्तर प्रदेश और भारत के अंदर लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ काम करते हुए हम लोग आमजन के साथ जिस तरह संवाद बनाकर काम करते हैं उसके परिमाण इस सदी की महामारी के दौरान देखने को मिला है। भारत की आबादी 140 करोड़ की है और कोरोना महामारी में आपने देखा होगा कि 80 करोड़ लोगों को फ्री में राशन की व्यवस्था की गई। भारत अब तक 220 करोड़ से अधिक वैक्सीन की डोज अपने लोगों को फ्री में उपलब्ध करा चुका है। दुनिया के 25 से अधिक देशों में फ्री में वैक्सीन भी उपलब्ध कराई है। उत्तर प्रदेश में हम लोग अनेक ऐसे कार्यक्रम चला रहे हैं जो एक सामान्य नागरिक के जीवन में परिवर्तन लाने और आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश और प्रदेश का हर एक नागरिक गौरव की अनुभूति करता है वो इसलिए क्योंकि उसे मालूम है कि न केवल भारत एक सुरक्षित हाथों में है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों को अंगीकार करते हुए प्रत्येक नागरिक के हितों को संरक्षित करने का कार्य भी सरकार कर रही है। जी-20 समिट भी आने वाले समय में दुनिया के अंदर भारत के प्राचीन ध्येय वाक्य वसुधैव कुटुम्बकम के इस भाव को आगे बढ़ाने में कार्य करेगी और मुझे विश्वास है कि दुनिया के सभी प्रतिष्ठित देशों के यंग लीडर्स लोकतंत्र की इस भावना को आगे बढ़ाने में सफल होंगे।

87वें बैच की मेजबानी कर रहा है भारत

जेन नेक्स्ट डेमोक्रेसी नेटवर्क नामक एक नई पहल के रूप में भारत 22 से 31 जनवरी, 2023 तक युवा नेताओं के 7वें बैच की मेजबानी कर रहा है। इस कार्यक्रम की योजना भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा बनाई गई है। इसके तहत वैश्विक मंचों के युवा उभरते नेता भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं, इसकी सांस्कृतिक विरासत, इसकी विकासात्मक पहलों और संघ और राज्य स्तर पर भारतीय लोकतांत्रिक परंपराओं का व्यापक अवलोकन करने के लिए भारत का दौरा करेंगे।

कार्यक्रम को विभिन्न समूहों में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येक समूह में प्रत्येक देश के दो से पांच प्रतिनिधियों के साथ लगभग सात से आठ देश शामिल हैं। आईसीसीआर ने अब तक 31 देशों के जेन-नेक्स्ट डेमोक्रेसी नेटवर्क प्रोग्राम प्रतिनिधियों के 6 बैचों की मेजबानी की थी। ये यात्राएं बहुत सफल रहीं और समूहों ने संसद सहित कई जगहों पर बैठकें कीं।

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