ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और एसएमआर सहयोग के माध्यम से भारत वैश्विक जलवायु लक्ष्य की प्राप्ति में योगदान करेगा: डॉ. सिंह
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु वाणिज्य पर द्विपक्षीय बैठक की अध्यक्षता की
नयी दिल्ली : केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि गगनयान मिशन से भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में शामिल होने के लिए तैयार हैं और यह मिशन भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।डॉ. सिंह अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु वाणिज्य पर द्विपक्षीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में शामिल होने के लिए तैयार हैं।
बैठक में उच्च स्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अमेरिकी राष्ट्रपति के अंतर्राष्ट्रीय जलवायु नीति के वरिष्ठ सलाहकार जॉन पोडेस्टा और अमेरिकी ऊर्जा विभाग के उप सचिव डेविड टर्क कर रहे थे।मंत्रालय की रविवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार बैठक का समापन दोनों देशों द्वारा उभरती प्रौद्योगिकियों में अपने सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि के साथ हुआ, जिसमें आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रौद्योगिकी प्रगति में वैश्विक नेतृत्व को बढ़ाने में आपसी हितों का समावेश जैसे विषय शामिल थे।डॉ सिंह ने बैठक में कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और एसएमआर सहयोग के माध्यम से भारत वैश्विक जलवायु लक्ष्य की प्राप्ति में योगदान करेगा।
डॉ सिंह के पास प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग के राज्य मंत्री की भी जिम्मेदारी है।मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार डॉ. सिंह ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को भारी उद्योग, परिवहन और बिजली उत्पादन को कार्बन मुक्त करने की भारत की रणनीति की आधारशिला बताया।सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. ए. के. सूद ने भारत-अमेरिका साझेदारी के महत्व को दोहराते हुए कहा कि यह केवल ज्ञान के आदान-प्रदान के संबंध में नहीं है, बल्कि ऐसे समाधानों का सह-निर्माण करने के बारे में है जो भविष्य को साकार रूप प्रदान करेंगे। उन्होंने सतत विकास और आर्थिक समृद्धि के लिए नए रास्ते प्रशस्त करने के लिए सहयोग की क्षमता पर जोर दिया।
पृथ्वी विज्ञान सचिव डॉ. रवि चंद्रन ने समुद्री ऊर्जा और कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस) प्रौद्योगिकियों में साझेदारी की प्रगति पर प्रकाश डाला, जबकि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने बायोमास से ऊर्जा रूपांतरण और पहली और दूसरी पीढ़ी के जैव ईंधन के सफल कार्यान्वयन पर भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया। (वार्ता)
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