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मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर

भारत में मोबाइल क्षेत्र में हुआ 34 हजार करोड़ रुपए का निवेश, मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के मामले में पहुंचा दूसरे स्थान पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की मीटिंग हुई। इसके पश्चात् केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, स्मृति ईरानी और प्रकाश जावडेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस संबंध में जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि कैबिनेट बैठक के दौरान टेलीकॉम, जुवेनाइल जस्टिस और मॉरीशस के साथ व्यापारिक समझौते पर अहम फैसले लिए गए हैं। शुरुआत में दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने टेलीकॉम सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में “प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव स्कीम” के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर

प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव स्कीम के बारे में बताते हुए दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा आत्मनिर्भर भारत की योजना में नरेंद्र मोदी की सरकार और उनकी प्रेरणा से भारत मैन्यूफैक्चरिंग का एक हब बने यह एक कोशिश की जा रही है। भारत में इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग को काफी प्रमोट किया गया है। साल 2014 में मोबाइल फोन निर्माण में सिर्फ दो कंपनिया हुआ करती थी। अब करीब 260 कंपनियां भारत में मोबाइल फोन का निर्माण कर रही है। इसी के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग देश बन गया है। उन्होंने कहा कि इसी क्रम मे प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव का कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसका तात्पर्य है कि पहले उद्योग लगाओ, मैन्यूफैक्चरिंग शुरू करो, एक्सपोर्ट करो, रोजगार पैदा करो और इंसेंटिव लो। इसे मोबाइल कम्पोनेंट के क्षेत्र में शुरू किया गया है। उसके बाद बाकी 12 एजेंडा आज चुने गए हैं।

उन्होंने कहा कि एक बड़ी बात यह भी हुई है कि देश की क्षमता और प्रतिभा बढ़ी है। हमने मोबाइल लिंक इंसेंटिव पीएलआई को अप्रैल 2020 में लॉन्च किया था, जबकि उस समय कोरोना अपनी चरम गति पर था। आवेदन करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई थी। इसके बावजूद दुनिया की टॉप कंपनियां और भारत की कंपनियां आगे आईं। इस अवधि में इन कंपनियों ने 10 लाख करोड़ रुपए के मोबाइल फोन बनाने का दावा किया है। कंपनियों द्वारा साथ ही लगभग 8 लाख लोगों को डायरेक्ट-इनडायरेक्ट रोजगार देने की बात भी कही गई है।

मोबाइल क्षेत्र में हुआ 34 हजार करोड़ रुपए का निवेश

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आगे जोड़ते हुए कहा कि मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत में मोबाइल क्षेत्र में आज 34 हजार करोड़ रुपए का इंवेस्टमेंट हो चुका है। दुनिया की टॉप बड़ी कंपनियां भारत में मोबाइल बना रही हैं और एक्सपोर्ट कर रही हैं। एक बड़ी कंपनी ने अभी तक 20 हजार लोगों को नौकरी दी है और अगले साल तक यह कंपनी 1 लाख को डायरेक्ट और तीन लाख को इंडायरेक्ट नौकरी देंगे। पांच साल में यह कंपनी 40 बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन बनाएंगे।

उन्होंने ने यह भी कहा कि भारत में करीब 50 हजार करोड़ रुपए के टेलीकॉम इक्विपमेंट का आयात होता है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले हमने 40 हजार करोड़ रुपए का मोबाइल का पीएलआई बनाया था और जो पीएलआई अब बनाया है वह 12 हजार 195 करोड़ रुपए का है। इसके दो कॉम्पोनेंट हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे आत्मनिर्भर भारत में भारत की एमएसएमई को भी प्रमोट करना चाहते हैं।

पांच साल में 2 लाख 44 हजार 200 करोड़ रुपए का इंक्रीमेंटल प्रोडक्शन

रविशंकर प्रसाद ने जोर देते हुए कहा आगामी पांच साल में भारत 2 लाख 44 हजार 200 करोड़ रुपए का इंक्रीमेंटल प्रोडक्शन करेगा। इस दौरान करीब 40 हजार लोगों को भी डायरेक्ट-इंडायरेक्ट रोजगार दिया जाएगा। उन्होंने कहा हमें भारत के इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग की पूरी प्रक्रिया को ग्लोबल स्टैण्डर्ड तक पहुंचाना है।

कोरोना के बावजूद भारत में क्यों बढ़ रहा आकर्षण

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कोरोना के बावजूद भारत में आकर्षण इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि भारत ने ”ईज ऑफ डूइंग” बिजनेस को प्रोत्साहन दिया है और साथ ही भारत एक बड़ा बाजार है। इसके अलावा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को दुनिया में सराहा गया है।

जुवेनाइल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्शन एक्ट 2015 में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकार किया

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि पीएम ने कैबिनेट के माध्यम से जुवेनाइल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्शन एक्ट 2015 में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकार किया है। हर जिले में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को अधिकार दिया जाएगा, जो एजेंसी जेजे एक्ट को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं उनके काम को मॉनिटर करे। स्मृति ईरानी ने बताया है कि डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट अब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के अंतर्गत कार्य करेंगे।

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