नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को यहां कहा कि भारत में आज कई ऐसे कारकों का संगम दिख रहा है जो भारत की आर्थिक वृद्धि की धारा को पोषित कर रहा है।उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इस समय मुद्रास्फीति पर आत्मसंतोष के लिए कोई जगह नहीं है और स्थिति पर कड़ी नजर रखने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति के उसके कदम जमीनी स्थिति पर निर्भर करेंगे। इन्हीं स्थितियों के आधार पर यह निर्धारित करेगा कि आरबीआई दरों में व़द्धि के सिलसिले पर विराम का इस समय चल रहा दौर बना रहेगा या नहीं।उन्होंने आश्वासन दिया कि आरबीआई यह सुनिश्चित करेगा कि आर्थिक गतिविधि को बनाए रखने के लिए प्रणाली में पर्याप्त तरलता हो। देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है और केंद्रीय बैंक ने रुपये की विनिमय दर को बनाए रखा है। इसने 18 देशों में रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान की अनुमति दी है।
श्री दास ने यहां उद्योग मंडल सीआईआई की 2023वीं वार्षिक बैठक के एक सत्र में कहा कि आरबीआई पूरे विवेक के साथ वित्तीय प्रणाली में स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयास करता रहेगा ताकि और मजबूत आर्थिक वृद्धि का वातावरण तैयार हो।”आरबीआई गवर्नर ने ‘ भविष्य के मोर्चे : प्रतिस्पर्धा क्षमता, प्रौद्योगिकी , सस्टेनेबिलिटी, अंतरराष्ट्रीयकरण’ विषय पर आयोजित इस सत्र को संबोधित करते हुए चार प्रमुख मुद्दों- वैश्विक आर्थिक पृष्ठभूमि, घरेलू परिदृश्य, मुद्रास्फीति और आरबीआई नीति के इर्द-गिर्द रखा।
उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक अनिश्चितता, उच्च मुद्रास्फीति, अस्थिर वित्तीय बाजारों, बैंकिंग क्षेत्र पर दबाव, खाद्य असुरक्षा और ऋण संकट सहित अन्य से प्रभावित है।वैश्विक उथल-पुथल के बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था ने जुझारूपन दिखाया है और भू-राजनीतिक और घरेलू चुनौतियों का सामना करने के लिए अपेक्षित बफर (ढाल) तैयार किए हैं।श्री दास ने कहा कि भारत में मध्यम स्तर की मुद्रास्फीति, कृक्षि और सेवाओं के क्षेत्र का मजबूत प्रदर्शन, सामान्य मानसून की भविष्यवाणी, बैंक ऋण में वृद्धि, निजी निवेश का पुनरुद्धार और उद्योगी की स्थापित क्षमता के उपयोग में वृद्धि अर्थव्यवस्था के लिए उत्साहजनक हैं।
वृहद आर्थिक स्थिरता और वित्तीय क्षेत्र के बारे में उन्होंने कहा कि बैंकों के अवरुद्ध ऋणों का स्तर कम हुआ है, वित्तीय क्षेत्र मजबूत है। भारत को उत्पादन बढ़ाने में युवा आबादी का लाभ मिलेगा।श्री दास ने कहा कि वैश्विक मंदी और मानसून को प्रभावित करने वाले अल नीनो जैसे कुछ कारक आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।ऐसे सभी कारकों को सावधानी से संभालने की आवश्यकता होगी।श्री दास ने कहा कि भविष्य प्रौद्योगिकी का है और नयी नयी प्रौद्योगिकी तैयार करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को मिलकर काम करना चाहिए।
सीआईआई के अध्यक्ष संजीव बजाज ने आरबीआई की मौद्रिक नीति कार्रवाइयों और सरकार की राजकोषीय नीति के बीच उत्कृष्ट ‘जुगलबंदी’ के बारे में बात की, जो लगातार तीसरे वर्ष दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरी है और इस स्थान को बनाए रखने की उम्मीद है। सीआईआई के मनोनीत अध्यक्ष आर दिनेश प्रौद्योगिकी के महत्व और पर्याप्त प्रणालीगत तरलता सुनिश्चित करने के लिए आरबीआई गवर्नर की सराहना की। उन्होंने उम्मीद जताई कि आरबीआई दरों में ठहराव जारी रखेगा।(वार्ता)