
भारत 2036 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी की तैयारी कर रहा है : राष्ट्रपति
21वीं सदी का वैश्विक परिदृश्य बदलने वाला है भारत :मुर्मु
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को कहा कि युवाओं को खेलों में भी आगे बढ़ने के नए अवसर मिल रहे और भारत 2036 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी की तैयारी कर रहा है।राष्ट्रपति ने आज संंसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “मेरी सरकार के प्रभावी प्रयासों का परिणाम है कि भारत के युवा खिलाड़ी वैश्विक मंचों पर रिकॉर्ड संख्या में मेडल्स जीत रहे हैं। कुछ ही दिनों बाद पेरिस ओलंपिक भी शुरू होने जा रहा है।”
21वीं सदी का वैश्विक परिदृश्य बदलने वाला है भारत :मुर्मु
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बदलती वैश्विक व्यवस्था के कालखंड में भारत के मानव केन्द्रित विकास के विज़न को दुनिया के लिए नया भरोसा करार दिया है और कहा है कि भारत आपदाओं में मानवता की रक्षा के साथ साथ एशिया से लेकर यूरोप तक कनेक्टिविटी के विस्तार को बल देकर 21वीं सदी के परिदृश्य को बदलने की दिशा में काम कर रहा है।राष्ट्रपति ने 18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “21 वीं सदी के इस तीसरे दशक में आज वैश्विक व्यवस्था एक नई शक्ल ले रही है। मेरी सरकार के प्रयासों से आज भारत, विश्व बंधु के रूप में दुनिया को नया भरोसा दे रहा है। मानव-केंद्रित दृष्टिकोण रखने की वजह से भारत आज किसी भी संकट के समय पहले कार्रवाई करने वाला और ग्लोबल साउथ की बुलंद आवाज बना है। कोरोना का महासंकट हो, भूकंप जैसी कोई त्रासदी हो या फिर युद्ध की स्थितियां, भारत मानवता को बचाने में आगे रहा है।
श्रीमती मुर्मु ने कहा, “भारत को देखने का विश्व का नज़रिया कैसे बदला है, ये इटली में हुई जी-7 शिखर सम्मेलन में भी हम सभी ने अनुभव किया है। भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान भी विश्व को अनेक मुद्दों पर एकजुट किया। भारत की अध्यक्षता के दौरान ही अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थाई सदस्य बनाया गया है। इससे अफ्रीका महाद्वीप के साथ-साथ पूरे ग्लोबल साउथ का भरोसा मज़बूत हुआ है।”राष्ट्रपति ने कहा, “पड़ोसी प्रथम की नीति पर चलते हुए, भारत ने पड़ोसी देशों के साथ अपने रिश्तों को मज़बूत किया है। सात पड़ोसी देशों के नेताओं का 9 जून को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेना सरकार की इस प्राथमिकता को दर्शाता है।”
उन्होंने कहा, “भारत, सबका साथ-सबका विकास की भावना के साथ, हिन्द प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ भी सहयोग बढ़ा रहा है। पूर्वी एशिया हो या फिर पश्चिमी एशिया और यूरोप, मेरी सरकार कनेक्टिविटी पर बहुत बल दे रही है। भारत के विजन ने ही भारत मध्य-पूर्व यूरोप आर्थिक कॉरिडोर को आकार देना शुरू किया है। यह कॉरिडोर, 21वीं सदी के सबसे बड़े गेमचेंजर्स (परिदृश्य बदलने वाले) में से एक सिद्ध होगा।”
विकसित देशों की बराबरी के लिए ढांचागत विकास पर सरकार का जोर : मुर्मु
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि सरकार विकसित देशों की बराबरी करने के लिए विश्व स्तरीय ढांचागत विकास पर जोर दे रही है और देश में सड़कों का जाल बिछाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गति दोगुना से अधिक कर दी गई है।सुश्री मुर्मु ने कहा कि सरकार विकास को गति देने के लिए वैश्विक स्तर पर आयी नवीनतम तथा आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर रही है और राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के साथ ही हाई स्पीड रेल इकोसिटस्टम को विकसित किया जा रहा है। इसके साथ ही देश के हर हिस्से से जुड़ने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों के जाल के साथ ही एक्सप्रेस वे बनाए जा रहे हैं और तेज गति की रेल गाड़ियां चलाई जा रही है।
कश्मीर घाटी ने चुनावों के जरिए दिया विश्वस्तर पर चल रहे दुष्प्रचार को जवाब : मुर्मु
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को कहा लोक सभा चुनाव में कश्मीर घाटी के लोगों की अभूतपूर्व भागीदारी ने जम्मू-कश्मीर के बारे में विश्वस्तर पर चल रहे दुष्प्रचार अभियान का करारा जवाब दिया है।श्रीमती मुर्मु ने संसद के दोनों संदनों की बैठक को संबोधत करते हुए शुरू में ही 2024 के लोक सभा चुनावों की सफलता का उल्लेख किया । इसी संदर्भ में उन्होंने कश्मीर घाटी में मतदान के नए रिकार्ड कायम होने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “कश्मीर घाटी में वोटिंग के अनेक दशकों के रिकॉर्ड टूटे हैं और वहां के लोगों ने जम्मू-कश्मीर के बारे में दुनिया में फैलाए जा रहे दुष्प्रचार का करारा जवाब दिया है।”
सरकार ने 10 वर्षों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के हर पहलू पर खासा जोर दिया है: मुर्मु
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के हर पहलू पर बहुत जोर दिया है और गांवों में कृषि आधारित उद्योगों, डेयरी और मत्स्य आधारित उद्योगों का विस्तार किया जा रहा है ताकि किसानों की स्थिति में सुधार हो सके।उन्होंने इसमें भी सहकारिता को प्राथमिकता दी गयी है तथा सरकार ने सहकारिता क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना पर काम शुरू किया है ।श्रीमती मुर्मु ने अठारहवीं लोकसभा के गठन के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में गुरुवार को अपने अभिभाषण में कहा कि सरकार, किसान उत्पाद संघ और प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) जैसे सहकारी संगठनों का एक बड़ा नेटवर्क बना रही है । उन्होंने कहा कि छोटे किसानों की बड़ी समस्या भंडारण से जुड़ी होती है ।
उन्होंने कहा कि किसान अपने छोटे खर्चे पूरे कर सकें, इसके लिये पीएम किसान सम्मान निधि के तहत उन्हें तीन लाख 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा राशि दी जा चुकी है । सरकार के नये कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि किसानों के खातों में भेजी जा चुकी है ।उन्होंने कहा कि सरकार ने खरीफ फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी रिकॉर्ड वृद्धि की है । आज का भारत, अपनी वर्तमान जरूरतों को ध्यान में रखते हुये अपनी कृषि व्यवस्था में बदलाव कर रहा है ।उन्होंने कहा कि हम ज्यादा से ज्यादा आत्मनिर्भर हों और ज्यादा से ज्यादा निर्यात से किसानों की आमदनी बढ़े, इस सोच के साथ नीतियां बनायी गयी हैं, निर्णय लिये गये हैं। जैसे सरकार दलहन और तिलहन में दूसरे देशों पर निर्भरता कम करने के लिये देश के किसानों को हर संभव मदद दे रही है ।
राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक बाजार में किस तरह के खाद्य उत्पाद की डिमांड ज्यादा है,उसके आधार पर नयी रणनीति बनायी जा रही है । आजकल ऑर्गेनिक उत्पादों को लेकर दुनिया में मांग तेज़ी से बढ़ रही है । भारत के किसानों के पास इस डिमांड को पूरा करने की भरपूर क्षमता है । इसलिये सरकार प्राकृतिक खेती और इससे जुड़े उत्पादों की आपूर्ति कड़ी को सशक्त कर रही है ।ऐसे प्रयासों से किसानों का खेती पर होने वाला खर्च भी कम होगा और उनकी आय भी और बढ़ेगी । उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 10 वर्षों में बुनियादी ढांचे के विकास पर भी तेजी से काम हुआ है और तीन लाख 80 हजार ग्रामीण सड़कों का विकास किया गया है।(वार्ता)
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