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भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय योगदान देने वाला एक प्रमुख देश है -प्रसाद

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने हमेशा रूपांतरकारी कार्यक्रमों में विश्वास किया है, चाहे यह डिजिटल इंडिया हो, मेक इन इंडिया हो या स्टार्ट अप इंडिया हो। इन पहलों ने साधारण भारतीयों को अधिकारसंपन्न बनाया है, डिजिटल समावेशन की ओर अग्रसर किया, नवोन्मेषण एवं उद्यमशीलता को प्रोत्साहित किया और एक वैश्विक डिजिटल शक्ति के रूप में भारत का कद बढ़ाया।

इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का संवर्धन मेक इन इंडिया कार्यक्रम का एक प्रमुख घटक रहा है। राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2019, संशोधित विशेष प्रोत्साहन स्कीम (एमएसआईपीएस), इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर तथा इलेक्ट्रॉनिक्स विकास फंड जैसे प्रयासों के कारण भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 2014 के 29 बिलियन डालर से बढ़कर 2019 में 70 बिलियन डालर तक पहुंच गया। विशेष रूप से, मोबाइल फोन विनिर्माण की बढोत्तरी इस अवधि के दौरान उल्लेखनीय रही है। 2014 में केवल दो मोबाइल फैक्टरियों की तुलना में, भारत अब विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक बन गया है। 2018-19 में मोबाइल हैंडसेटों का उत्पादन 29 करोड़ इकाइयों तक पहुंच गया जो 1.70 लाख करोड़ रुपये के बराबर है जबकि 2014 में केवल 6 करोड़ इकाइयां थीं जो 19 हजार करोड़ रुपये के बराबर थीं। जहां 2014-15 में इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात 38,263 करोड़ रुपये का था, 2018-19 में यह बढ़कर 61,908 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में 2012 में भारत का हिस्सा केवल 1.3 प्रतिशत था जो बढ़कर 2018 में 3 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री  रवि शंकर प्रसाद कहते रहे हैं कि इसका यह अर्थ नहीं है कि भारत आइसोलेशन में है, बल्कि भारत उपयुक्त प्रौद्योगिकी, एफडीआई सहित पूंजी और असाधारण मानव संसाधन के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय योगदान देने वाला एक प्रमुख देश है। एक मजबूत विनिर्माण तंत्र, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक परिसंपत्ति होगा, का निर्माण करने के उद्वेश्य से हम पूरी मूल्य श्रृंखला में एक मजबूत तंत्र का विकास करने और इसे वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ समेकित करने की योजना बना रहे हैं। इन तीन योजनाओं, जिनके नाम हैं- (1) बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन स्कीम (पीएलआई), (2) इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट एवं सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण के संवर्धन के लिए स्कीम (एसपीईसीएस) तथा (3) संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) स्कीम का सार तत्व है।

पीएलआई स्कीम भारत में विनिर्मित एवं टारगेट सेगमेंटों के तहत कवर्ड वस्तुओं की संवृद्धि बिक्री (आधार वर्ष पर) पर पात्र कंपनियों को आधार वर्ष के बाद के पांच वर्षों की अवधि के लिए 4 प्रतिशत से 6 प्रतिशत का प्रोत्साहन प्रदान करेगी।  एसपीईसीएस इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं अर्थात इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट, सेमीकंडक्टर/डिस्प्ले फैब्रीकेशन इकाइयों, असेंबली, टेस्ट, मार्किंग एवं पैकेजिंग (एटीएमपी) इकाइयों, स्पेशलाइज्ड सब-असेंबलीज एवं उपरोक्त वस्तुओं के निर्माण के लिए पूंजीगत वस्तुओं की चिन्हित सूची के लिए पूंजीगत व्यय पर 25 प्रतिशत का वित्तीय प्रोत्साहन उपलब्ध कराएगी। ईएमसी प्रमुख वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माताओं को उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ साथ आकर्षित करने के लिए 2.0 रेडी बिल्ट फैक्टरी (आरबीएफ) शेड्स/ प्लग एंड प्ले सुविधाओं सहित सामान्य फैसिलिटीज एवं सुविधाओं के साथ साथ विश्व स्तरीय अवसंरचना के सृजन के लिए सहायता उपलब्ध कराएगी।

इन तीनों स्कीमों के लिए लगभग 50,000 करोड़ रुपये (लगभग 7 बिलियन डालर) की आवश्यकता है। ये योजनाएं घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए कमी को खत्म करने में मदद करेगी और इस प्रकार, देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण तंत्र को मजबूत बनायेंगी। तीनों योजनाएं एक साथ मिल कर बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, कंपोनेंट्स की घरेलू आपूर्ति श्रृंखला तथा अत्याधुनिक अवसंरचना तथा बड़ी एंकर इकाइयों तथा उनकी आपूर्ति श्रृंखला साझीदारों के लिए सामान्य सुविधाओं में सक्षम बनाएंगी। ये योजनाएं 1 ट्रिलियन डालर डिजिटल अर्थव्यवस्था तथा 2025 तक 5 ट्रिलियन डालर जीडीपी अर्जित करने में उल्लेखनीय रूप से योगदान देंगी। इन तीनों नई येाजनाओं से उल्लेखनीय निवेश आकर्षित होने, मोबाइल फोनों के उत्पादन में बढोत्तरी होने और उनके पार्ट्स/कंपोनेंट्स के 2025 तक लगभग 10,00,000 करोड़ रूपये के होने तथा लगभग 5 लाख प्रत्यक्ष और 15 लाख अप्रत्यक्ष रोजगारों के सृजित होने की उम्मीद है।

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