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देश में कोविड टीकाकरण के बाद रक्तस्राव व थक्के जमने की घटनाएं नगण्य

 राष्ट्रीय एईएफआई समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी

नई दिल्ली । राष्ट्रीय एईएफआई (टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटना) समिति की ओर से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोविड टीकाकरण के बाद रक्तस्राव और थक्के जमने के मामले बहुत कम हैं और यह देश में ऐसी स्थितियों के सामने आने की अपेक्षित संख्या के अनुरूप हैं।

कुछ देशों में 11 मार्च को, विशेष रूप से एस्ट्रा जेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन (भारत में कोविशील्ड) के साथ, टीकाकरण के बाद “रक्तस्राव और थक्के जमने की घटनाओं”, को लेकर अलर्ट जारी किए गए हैं। वैश्विक चिंताओं को देखते हुए भारत में प्रतिकूल घटनाओं (एई) का तत्काल गहन विश्लेषण कराने का फैसला लिया गया था।

राष्ट्रीय एईएफआई समिति ने उल्लेख किया है कि 3 अप्रैल तक, टीके की 7,54,35,381 खुराक (कोविशील्ड- 6,86,50,819; कोवैक्सीन-67,84,562) लगाई गईं हैं। इनमें 6,59,44,106 पहली खुराक और 94,91,275 दूसरी खुराक शामिल थीं। कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से देश के 753 जिलों में से 684 जिलों में को-विन प्लेटफॉर्म के माध्यम से 23,000 से ज्यादा प्रतिकूल घटनाएं (एई) दर्ज की गई थीं। इनमें से सिर्फ 700 मामले (@9.3 मामले/10 लाख टीके की लगी खुराक) ही गंभीर और जटिल प्रकृति के रूप में दर्ज किए गए थे।

एईएफआई समिति ने गंभीर और जटिल घटनाओं वाले 498 मामलों की गहन समीक्षा पूरी की है, जिनमें से कोविशील्ड टीका लगने के बाद 0.61 मामलों/10 लाख खुराक की रिपोर्टिंग रेट के साथ 26 मामलों को संभावित थ्रोम्बोम्बोलिक घटना (रक्त वाहिका में थक्के का जमना, जो ढीला हो सकता है, रक्त प्रवाह के माध्यम से दूरी रक्त वाहिका तक जा सकता है) के रूप में दर्ज किया गया है।
कोवैक्सीन टीका लगाने के बाद संभावित थ्रोम्बोम्बोलिक का एक भी मामला नहीं दर्ज किया गया है।

भारत में एईएफआई के आंकड़ों ने दिखाया है कि यहां बेहद कम, लेकिन निश्चित तौर पर थ्रोम्बोम्बोलिक घटनाओं का जोखिम है। भारत में ऐसी शिकायतें दर्ज करने की दर (रिपोर्टिंग रेट) लगभग 0.61/10 लाख खुराक है, जो ब्रिटेन के चिकित्सा और स्वास्थ्य नियामक प्राधिकरण (एमएचआरए) की ओर से दर्ज किए गए 4 मामलों/10 लाख खुराक से बहुत कम है। जर्मनी ने प्रति 10 लाख खुराक पर ऐसी 10 घटनाएं दर्ज की हैं।

यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि थ्रोम्बोम्बोलिक की घटनाएं सामान्य आबादी में भी होती रहती हैं, जैसा कि परिस्थितियां और वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि यह जोखिम यूरोपीय मूल के व्यक्तियों की तुलना में दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई मूल के व्यक्तियों में लगभग 70 प्रतिशत कम होता है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों और टीका लगवाने वाले लाभार्थियों को अलग से सलाह जारी कर रहा है, ताकि लोगों को किसी भी कोविड-19 वैक्सीन (विशेष रूप से कोविशील्ड) लगने के बाद 20 दिनों के भीतर होने वाले संदिग्ध थ्रोम्बोम्बोलिक लक्षणों के बारे में जागरूक होने और जिस स्वास्थ्य सेवा केंद्र पर टीका लगाया था, उसे ऐसी किसी घटना की सूचना देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके :

– सांस फूलना;
-सीने में दर्द;
-अंगों में दर्द/अंगों को दबाने पर दर्द या अंगों (बांह या पिण्डलियों) में सूजन;
-इंजेक्शन वाली जगह से बाहर के क्षेत्र में कई, सुई की नोक के आकार के लाल धब्बे या त्वचा में नीले-काले धब्बे बनना;
-पलटी के साथ या बगैर पलटी के लगातार पेट दर्द;
-पलटी के साथ या बगैर पलटी के पहले से कोई परेशानी न होने बावजूद दौरे पड़ना;
-पलटी के साथ या बगैर पलटी के तेज और लगातार सिरदर्द (माइग्रेन या पुराने सिरदर्द की पहले कोई समस्या न होने के बावजूद);
-अंगों या शरीर का कोई विशेष हिस्सा या (चेहरे सहित) शरीर के किसी अंग में कमजोरी/लकवा;
-बिना किसी स्पष्ट कारण के लगातार पलटी होना;
-धुंधली दिखना या आंखों में दर्द या दो-दो चित्र बनना;
-मानसिक स्थिति में बदलाव या भ्रम या चेतना का अवसाद के स्तर पर होना
-कोई अन्य लक्षण या स्वास्थ्य की स्थिति जो टीके लगाने वाले व्यक्ति या परिवार के लिए चिंता का विषय हो।

कोविशील्ड, कोविड-19 टीका, लगातार पूरे विश्व और भारत में संक्रमण रोकने और कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों को कम करने की जबरदस्त क्षमता के साथ निश्चित तौर पर सकारात्मक लाभ जोखिम की पहचान बनाए हुए है। भारत में 27 अप्रैल, 2021 तक कोविशील्ड वैक्सीन की 13.4 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय सभी कोविड-19 टीकों की सुरक्षा की लगातार निगरानी कर रहा है और संदिग्ध प्रतिकूल घटनाओं की सूचना देने को भी बढ़ावा दे रहा है।

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