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वायु सेना के विमानों की आपातकालीन लैंडिंग सुविधा का उद्घाटन कल, बाड़मेर में राजमार्ग की हवाई पट्टी तैयार

भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सरहद से 40 किलोमीटर दूर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी गुरुवार को 3.5 किलोमीटर लम्बी हवाई पट्टी का उद्घाटन अनोखे ढंग से करेंगे। इस हाइवे के रनवे पर बुधवार को परीक्षण के तौर पर फाइटर प्लेन सुखोई की लैंडिंग और टेक ऑफ कराया गया। युद्ध या किसी आपातकाल के मौके पर इस हाइवे का इस्तेमाल बतौर हवाई पट्टी किया जा सकेगा।

वायु सेना के विमानों की आपातकालीन लैंडिंग सुविधा का कल उद्घाटन

उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेस-वे के अलावा अब राजस्थान के जालौर जिले में भारतमाला परियोजना के तहत बने हाइवे पर भी भारतीय वायु सेना के फाइटर प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग हो सकेगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी गुरुवार को इसका औपचारिक रूप से उद्घाटन करेंगे लेकिन ट्रायल के तौर पर आज इस हाइवे के रनवे पर फाइटर प्लेन सुखोई की लैंडिंग और टेक ऑफ कराया गया। इसके लिए आज सुबह 7:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक हाइवे पर आवागमन को बंद करवा दिया गया था। इससे पहले एयरफोर्स के दो हेलीकॉप्टर की लैंडिंग करवाई गई।

वायु सेना के लिए इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड पूरी तरह तैयार

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने भारतमाला परियोजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग-925ए पर 3.5 किलोमीटर लंबे और 33 मीटर चौड़े हिस्से को भारतीय वायु सेना के लिए इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड (ईएलएफ) के रूप में तैयार किया है। राजमार्ग पर सत्ता और गांधव गांवों के बीच 41/430 किमी. से 44/430 किमी. के हिस्से में यह लैंडिंग सुविधा होगी जो गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नव विकसित टू लेन पेव्ड शोल्डर का हिस्सा है। कुल लंबाई 196.97 किलोमीटर लम्बे राजमार्ग को विकसित करने में 765.52 करोड़ रुपये लागत आई है जिसमें ईएलएफ की लागत 32.95 करोड़ रुपये है।

सीमावर्ती क्षेत्र में बढ़ेगी भारतीय सेना की सतर्कता

इस परियोजना से बाड़मेर और जालौर जिले के सीमावर्ती गांवों के बीच संपर्क बढ़ेगा। यह हिस्सा पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित होने से भारतीय सेना की सतर्कता बढ़ने के साथ ही देश की अधोसंरचना भी मजबूत होगी। इस इमरजेंसी लैंडिंग स्ट्रिप के अलावा वायुसेना और भारतीय सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कुंदनपुरा, सिंघानिया और भाखासर गांवों में 100X30 मीटर आकार के तीन हेलीपैड भी बनाये गये हैं।

पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा तंत्र को मिलेगी मजबूती

इसके निर्माण से भारतीय सेना तथा देश की पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा तंत्र को मजबूती मिलेगी। इस इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड का निर्माण जुलाई 2019 में शुरू हुआ था और जनवरी 2021 में पूरा कर लिया गया। यानी ईएलएफ का निर्माण महज 19 महीनों के भीतर किया गया है। हवाई पट्टी का निर्माण भारतीय वायुसेना और एनएचएआई की देखरेख में जीएचवी इंडिया प्रा.लि. कंपनी ने किया है। सामान्य दिनों में ईएलएफ का इस्तेमाल यातायात के लिए किया जाएगा लेकिन जरूरत पड़ने पर जब वायुसेना इसका इस्तेमाल करेगी तो सर्विस रोड से यातायात गुजारा जाएगा। इस लैंडिंग स्ट्रिप पर भारतीय वायुसेना के हर प्रकार के विमान उतर सकेंगे।

ईएलएफ की खासियत

इमरजेंसी लैंडिंग स्ट्रिप के दोनों छोरों पर 40 मीटरX180 मीटर की दो पार्किंग सुविधाएं तैयार की गई हैं, ताकि फाइटर प्लेन को पार्किंग में रखा जा सके। इसके अलावा 25 मीटरX65 मीटर के आकार का एटीसी टॉवर बनाया गया है। यह टॉवर दो मंजिला है और एटीसी केबिन हर सुविधा से लैस है। यहां शौचालय का भी निर्माण किया गया है। वायुसेना की गतिविधियों के दौरान स्थानीय ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए भारतीय वायुसेना के सुझाव पर 1.5 मीटर की बाड़बंदी की गई है। साथ ही कंक्रीट के फुटपाथ सहित सात मीटर चौड़ा डायवर्जन मार्ग बनाया गया है।

 

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