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ठंड से कैसे करें दुधारू पशुओं की देखभाल

ठंड का मौसम शुरू हो चुका है और भारत के कई हिस्सों में पारा तेज़ी से नीचे जा रहा है। ऐसे में सबसे समस्या पशुओं को होती है, ख़ासकर उन्हें जो दूध देती हैं, विशेष देखभाल की जरूरत होती है। दुधारू पशुओं को इस मौसम में कैसे बीमारियों से सुरक्षित कर उन्हें स्वस्थ रखा जाय। इस विषय में नाना जी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय,जबलपुर के सेवानिवृत्त डीन डॉ शिवकांत पांडे ने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत की और महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

पशुओं के लिए आहार व जल प्रबंधन

डॉ शिवकांत पांडे के अनुसार पशुओं के आहार पर ध्यान देते हुए हरा और मुख्य चारा का अनुपात करीब एक से तीन होना चाहिए। साथ ही आहार में सोयाबीन और खली की मात्रा भी बढ़ाना चाहिए। ठंड में क्योंकि उन्हें ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है, ऐसे में उन्हें प्रोटीन, खनिज तत्व, पानी और वसा की ज्यादा मात्रा युक्त आहार दें। पानी हमेशा ताजा ही पिलाएं। कम से कम 15-20 डिग्री पानी का होना चाहिये। साथ ही यह जरूर ध्यान दें कि ठंड के कारण वह कम पानी न पिएं और धूप में ही नहलाएं। इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर हम अपने पशुओं को ठंड से बचा सकते हैं और भरपूर मात्रा में दूध भी ले सकते हैं।

 कैसे करें ठंड में पशुओं के लिए आवास प्रबंधन

डॉ शिवकांत पांडे के अनुसार पशुओं के लिए ठंड में सुरक्षित आवास की जरूरत होती है और इसपर विशेष ध्यान देना चाहिए। पशुशाला के दरवाजे व खिड़कियों को बोरे लगाकर सुरक्षित करें। पशुओं के बैठने के स्थान पर पुआल, भूसा, पेड़ों की पत्तियों को बिछाना जरूरी है। इसके अलावा पशुशाला के छत पर तिरपाल, पालीथीन शीट भी लगाकर पशुओं को ठंड से बचाया जा सकता है। चूंकि पशुओं के शरीर का तापमान 101 डिग्री से 98 डिग्री के बीच रहता है, लेकिन पशुशाला का तापमान काफी कम हो जाता है, अतः इसे संतुलित करने की आवश्यकता है। ठंड में पशुओं को कभी भी सुबह नौ बजे और शाम पांव बजे के बाद कभी बाहर न निकालें। नवजात पशुओं व बछड़े-बछड़ियों को ठंड व शीत लहर से बचाव की विशेष आवश्यकता होती है।पशुपालकों को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि छोटे पशुओं के आवास का तापमान संतुलित बना रहे।

ठंड के मौसम में पशुपालकों के लिये ध्यान देने योग्य बातें…

– पशुओं को खुले स्थानों में न रखें,दरवाजे और खिड़कियों को बोरे से बंद करें।

– पशुशाला से गोमूत्र और गोबर के निकास की उचित व्यवस्था रखें।

– ऐसी व्यवस्था करें जिससे पशुशाला में देर तक सूर्य की रोशनी रहे।

– पानी हमेशा ताजा पिलाएं

– बिछवान में पुआल का प्रयोग करें।

– आलाव जरूर जलाएं

– नवजात पशुओं के आवास का विशेष प्रबंधन हो।

– गर्भित पशुओं का विशेष ध्यान रखें व जच्चा-बच्चा को ढके हुए स्थान में बिछावन पर रखकर ठंड से बचाव करें।

– ठंड से प्रभावित पशु के शरीर मे कपकपी,बुखार के लक्षण होते हैं तो अविलंब पशु चिकित्सक को दिखाएं।(हि. स.)।

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