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राजस्थान का महिलाओं की गरिमा और सशक्तिकरण का इतिहास-मुर्मु

जयपुर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान के इतिहास की प्रशंसा करते हुए कहा है कि यहां महिलाओं की गरिमा और सशक्तिकरण का इतिहास रहा है।श्रीमती मुर्मु आज यहां दोपहर में राजभवन में संविधान उद्यान का लोकार्पण करने के बाद आयोजित कार्यक्रम में बोल रही थीं। उन्होंने राजस्थान का समानता और महिला सशक्तिकरण के लिए बड़ा योगदान बताते हुए कहा कि हरविलास शारदा ने बाल विवाह के खिलाफ कानून बनाने के लिए वर्ष 1929 में अधिनियम बनाया जो बाद में शारदा एक्ट के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसलिए यहां का इतिहास महिलाओं की गरिमा और सशक्तिकरण के इतिहास के रुप में जाना जाता है।

उन्होंने कहा कि प्राचीन बौद्ध संघों में संसदीय प्रणाली के नियमों का पालन किया जाता था और उनकी सदस्यों के बैठने की व्यवस्था, प्रस्ताव रखने, मतों की गणना, निंदा प्रस्ताव आदि व्यवस्थाएं अब भी चलन में हैं। हमारे संविधान निर्माताओं ने प्राचीन लोकतांत्रिक परंपराओं को पुनर्जीवित किया है।उन्होंने संविधान निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर के कथन को दोहराया “ मैं समझता हूं। संविधान कितना ही अच्छा हो अगर उसका अनुसरण करने वाले बुरे हों तो वह बुरा हो सकता है। संविधान कितना ही बुरा हो, वह अच्छा हो सकता है अगर उसका पालन करने वाले लोग अच्छे हों।”

उन्होंने कहा कि बाबा भीमराव अंबेडकर संवैधानिक नैतिकता पर बहुत जोर दिया था और उन्होंने कहा था प्रचीन भारत में अनेक गणतंत्र थे। जहां राज सत्ताएं थीं या तो निर्वाचित थीं या राजाओं की शक्तियां सीमित थीं।श्रीमती मुर्मु ने कहा कि हर प्राणी के प्रति संवेदनशीलता हमारा मुख्य उद्देश्य है। भावी पीढ़ियों को अपनी आवश्यकता के अनुसार संविधान में बदलाव का पूरा अधिकार हो, इसी के मद्देनजर संविधान में संशोधन का प्रावधान किया गया और अब तक 105 संविधान संशोधन हो चुके हैं। हमारा जीवंत संविधान है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने यंग इंडिया में लिखा था कि मैं ऐसे भारत के लिए काम करूंगा कि जिसमें गरीब से गरीब आदमी को लगे कि अपने देश को बनाने में उसकी बात भी मानी जाती है।

उन्होंने संविधान सभा में शामिल पन्द्रह महिला सदस्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरोजनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, मालती चौधरी जैसी महिलाओं ने आगे बढ़कर बड़े बड़े कार्य किए।उन्होंने कहा कि आज देश में सौ से ज्यादा महिला सांसद हैं। लोकसभा में 82 तथा राज्यसभा में 33 महिला सांसदों का प्रतिनिधित्व होना एक रिकॉर्ड है। महिलाओं ने अपने संघर्ष एवं योग्यता के बल पर पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक अपनी उपस्थति एवं योगदान को निरंतर बढ़ाया है एवं समाज एवं देश की सेवा कर रही है।

उन्होंने कहा कि संविधान निर्माण का मुख्य उद्देश्य उसके आदर्शों के प्रति जागरुकता बनाये रखना है। यह महत्वपूर्ण उद्देश्य है, देश के लोकतंत्र को मजबूत बनाये रखने की दिशा में प्रयास है। इस प्रयास के लिए मैं राजस्थान सरकार एवं राज्यवासियों को बधाई देती हूं।उन्होंने संविधान उद्यान के लोकर्पण के बाद उसमें स्थापित प्रतिमाओं का अवलोकन करके अत्यंत प्रसन्नता जताते हुए कहा कि इन प्रतिभाओं के उच्च आदर्शों से लोगों को प्रेरणा मिलेगी।राष्ट्रपति ने राजभवन में संविधान उद्यान के लोकार्पण के बाद बीकानेर में एक हजार मेगावाट के सोलर पावर स्टेशन का वर्चुअल शिलान्यास भी किया।

मुर्मु ने राजस्थान राजभवन में संविधान उद्यान का किया लोकार्पण

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राजस्थान राजभवन में नवनिर्मित संविधान उद्यान एवं इससे जुड़े सौंदर्यीकरण कार्यों का आज यहां लोकार्पण किया।श्रीमती मुर्मु ने दोपहर में यहां संविधान उद्यान में स्थापित मयूर स्तम्भ, फ्लैग पोस्ट, गांधी प्रतिमा एवं महाराणा प्रताप की अपने घोड़े चेतक के साथ विश्रान्ति मुद्रा में स्थापित प्रतिमा का अवलोकन किया। इस मौके राष्ट्रपति का राज्यपाल कलराज मिश्र एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वागत किया।

इससे पहले राष्ट्रपति के जयपुर आगमन पर श्री मिश्र एवं श्री गहलोत ने जयपुर स्टेट हैंगर पर उनका स्वागत किया।इस अवसर पर पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में श्री मिश्र एवं श्री गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी पी जोशी, नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री शांति धारीवाल नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे।

उल्लेखनीय है कि श्री मिश्र की अभिनव पहल पर राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है जहां आमजन में संवैधानिक जागरुकता लाने के लिए राजभवन में संविधान उद्यान स्थापित किया गया है और इसका शिलान्यास श्री मिश्र, श्री गहलोत और डॉ. जोशी ने गत वर्ष 26 जनवरी को किया था।(वार्ता)

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