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रैपिड टेस्ट ,आरटी-पीसीएस डायग्नोस्टिक किट बनाने में मई तक देश आत्मनिर्भर हो जाएगा: हर्षवर्धन

फ्लू के इलाज में इस्तेमाल हो सकने वाले कमसे कम से छह तरह के टीकों पर काम चल रहा है जिनमें से चार पर शोध अंतिम चरण में है–हर्षवर्धन

नई दिल्ली । केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज यहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और उसके स्वायत्त संस्थानों (एआई और उसके सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों) बीआईआरएसी तथा बीआईबीसीओएल द्वारा कोविड संकट से निपटने के लिए विशेष रूप से वैक्सीन, तथा स्वेदशी रैपिड टेस्ट और आरटी -पीसीआर नैदानिक ​​किट विकसित करने की दिशा में की गई विभिन्न पहलों की समीक्षा की।

डीबीटी की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने बताया कि डीबीटी ने कोविड से निपटने के लिए तत्काल समाधान के साथ-साथदीर्घकालिक तैयारियों के लिए एक बहु-आयामी अनुसंधान रणनीति और कार्य योजना तैयार की है।इस बहुपक्षीय प्रयासों में कोविड के लिए फ्लू जैसा टीका विकसित करने के साथ ही होस्ट और पैथोजन पर स्वदेशी डायग्नोस्टिक्स जीनोमिक अध्ययन शामिल है।

जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) ने डायग्नोस्टिक्स, टीके, नोवेल थैरेप्यूटिक्स, तथा दवाओं को अन्य तरह से इस्तेमाल या किसी और तरह के उपाय अपनाए जाने के लिए एक कोविड अनुसंधान  कंसोर्टियम बनाए जाने की बात कही है।

डीबीटी वैज्ञानिकों के साथ बातचीत के दौरान, केंद्रीय मंत्री को संभावित एंटीवायरल दवाएं विकसित करने  के विभिन्न तरीकों के बारे में बताया गया। उन्हें यह जानकारी भी दी गई कि कोविड वायरस के संक्रमण से ठीक हुए लोगों के शरीर से किस तरह से प्रतिरोधक तत्वों को कोविड के इलाज में इस्तेमाल के लिए हासिल किया जाएगा।स्वास्थ्य मंत्री को डीबीटी के एआईएस द्वारा कैंडिट वैक्सीन विकसित करने के अनुसंधानों की भी जानकारी दी गई जो नैदानिक ​​परीक्षण से पहले अवधारणा और इम्युनोजेनेसिटी और सुरक्षा मूल्यांकन के प्रमाण को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से पूर्व-नैदानिक ​​अध्ययन के विभिन्न चरणों में हैं। फिलहाल, इनमें से कम से कम 9 अध्ययन प्रारंभिक अवस्था में हैं।

आनुवांशिक अनुक्रमण के बारे में चर्चा करते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “ये अनुवांशिक अनुक्रमण के प्रयास मुझे 26 साल पहले के पोलियो उन्मूलन अभियान की याद दिलाते हैं। पोलियो अभियान के आखिरी चरण में देश में  तीव्र पक्षाघात के मामलों का पता लगाने के लिए सक्रिय निगरानी की गई थी। उस समय भी, पोलियो वायरस के संक्रमण की अवस्थाओं को उजागर करने के लिए आनुवांशिक अनुक्रमण का उपयोग किया गया था, जिसने अंततः पोलियो के उन्मूलन में मदद की।”

प्रस्तुति के बादडॉ. हर्षवर्धन ने वैज्ञानिकों द्वारा कोविड-19 के शमन के लिए किए जा रहे अभिनव प्रयासों के लिए उनकी सराहना की।  उन्होंने कहा “डीबीटी वैज्ञानिकों के ईमानदार प्रयासों से देश अगले महीने के अंत तक आरटी-पीसीएस और एंटीबॉडी परीक्षण किट के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा। इससे अगले महीने के अंत तक प्रति दिन एक लाख परीक्षण करने के लक्ष्य को पूरा करना संभव होगा। केन्द्रीय मंत्री ने नए टीके, नई दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के विकास पर काम करने वाले वैज्ञानिकों को अपने प्रयास तेज करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “कमसे कम से छह तरह के टीकों पर काम चल रहा है जिनमें से चार पर शोध अंतिम चरण में है इन्हें जल्दी इस्तेमाल की मंजूरी दिलाने के लिए एक नियामक मंच का अलग से गठन किया गया है।’’

डॉ. हर्षवर्धन ने 150 स्टार्ट अप्स को दी जा रही मदद के लिए बीआईआरएसी के प्रयासों  की सराहना की। उन्होंने इस मौके पर बीआईबीसीओएल के एक सार्वजनिक उपक्रम द्वारा बनाया गया हैंडसैनिटाइजर भी जारी किया डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “इस सैनिटाइज़र की प्रत्येक बोतल की  बिक्री  से मिलने वाली रकम में से एक रुपया पीएम केयर्स कोष में जाएगा”।

वीडियो कान्फ्रेंसिंग में डीबीटी की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप,कई वरिष्ठ अधिकारी ,वैज्ञानिक त​था बीआईआरएसी और बीआईबीसीओएल के भी कई बड़े अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

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