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पूर्वांचल के समग्र विकास पर मंथन के लिए आज से तीन दिन गोरखपुर में रहेगी सरकार

सम्भावना वाले हर क्षेत्र पर मंथन करेंगे नीति निर्माता, शासन के वरिष्ठ अधिकारी और जाने-माने एक्सपर्ट, मंथन के मंत्रणा पर अमल से तेज होगी तरक्की की रफ्तार

लखनऊ : 1962 में गाजीपुर के तत्कालीन सांसद विश्वनाथ गहमरी ने संसद में अपने पहले ही संबोधन में गाजीपुर को केंद्र में रखकर समूचे पूर्वांचल की बदहाली का वास्तविक शब्द चित्र रच दिया था। उस समय गहमरी के साथ पूरी संसद रोइ थी। तब से पूर्वी उत्तर प्रदेश के इस भू-भाग को पिछड़ा और बीमारू मान लिया गया था। पर, 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हालात बदलने लगे। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से इसमें और तेजी आई है। अब तो धीरे धीरे पूर्वांचल की पहचान बदलने लगी है। एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) के जरिये हर जिले के पारम्परिक उद्योग को ग्लोबल पहचान, फोरलेन, सिक्सलेन से विस्तारित सड़कें, एक्सप्रेस वे, औद्योगिक विकास व इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, चिकित्सकीय सुविधाओं के विस्तार से पांच दशक के इंसेफेलाइटिस के दंश का उन्मूलन, किसानों की आय दोगुनी करने को नियोजित व समन्वित प्रयास, नई चीनी मिलों की स्थापना, पर्यटन समेत अन्य सेवा क्षेत्रों में विस्तार, प्राइमरी से लेकर उच्च, तकनीकी व मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन के नाते अब पूर्वांचल की पहचान बदलने लगी है।

विकास की यह धारा सतत, अविरल प्रवाहित होती रहे, योगी सरकार इसे लेकर भी संजीदा है। पूर्वांचल के समग्र विकास का ब्लू प्रिंट तैयार करने को सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में 10 से 12 दिसंबर तक राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी का आयोजन होने जा रहा है। प्रदेश शासन के नियोजन विभाग के सौजन्य व गोरखपुर विश्वविद्यालय के अकादमिक सहयोग से होने वाले तीन दिन के कार्यक्रम की गम्भीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि योगी सरकार का इन तीन दिनों में डेरा गोरखपुर रहेगा। खुद मुख्यमंत्री योगी कुछ सत्रों में मौजूद रहेंगे।

‘पूर्वांचल का विकास: मुद्दे, रणनीति एवं भावी दिशा’ विषयक राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी मे पांच सेक्टरों प्राइमरी, मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस, सोशल व वाटर सेक्टर में चार दर्जन से अधिक सत्रों में विकास की भावी रूपरेखा तैयार की जाएगी। हर सत्र में प्रदेश सरकार के मंत्री, शाशन के वरिष्ठ अधिकारी व देश विदेश के विषय विशेषज्ञ मंथन कर सतत विकास का रोड मैप बनाएंगे।

इस दौरान कृषि व कृषि आधारित क्षेत्र के उन्नयन से किसानों की आय दोगुनी करने, विनिर्माण व सेवा क्षेत्र के विकास व रोजगार की नई संभावनाओं, सामाजिक सशक्तिकरण व जल प्रबंधन के जरिये पूर्वांचल को खुशहाल बनाने पर मंत्रणा खास होगी। इस राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी का उद्धाटन 10 दिसम्बर को शाम पांच बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। सीएम दूसरे दिन 11 दिसम्बर को सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक सभी मंत्रियों, पूर्वांचल के सभी सांसदों व पूर्वांचल के सभी विधायकों के साथ एक;एक घण्टे अलग-अलग बैठक कर इस क्षेत्र के विकास पर मंत्रणा करेंगे। राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी के समापन सत्र में भी 12 दिसम्बर को शाम 4 बजे से सीएम योगी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। समापन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय आयुष मंत्री, स्वतन्त्र प्रभार श्रीपद यशो नाइक की मौजूदगी रहेगी।

सूबे के दोनों उप मुख्यमंत्री समेत कई विभागों के मंत्रियों की रहेगी सहभागिता
अलग अलग सत्रों में उप मुख्यमंत्री द्वय केशव प्रसाद मौर्या, डॉ दिनेश शर्मा, खादी व ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, वस्त्र उद्योग, लघु, मध्यम उद्योग और निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, शहरी विकास मंत्री आशुतोष टण्डन, संस्थागत वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्या, मातृ व शिशु कल्याण मंत्री जय प्रताप सिंह, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा, वन, पर्यावरण व जंतु उद्यान मंत्री दर सिंह चौहान, पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी,जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह, समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री, पशुपालन, दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री अनिल राजभर, पर्यटन विकास मंत्री नीलकंठ तिवारी, दुग्ध विकास व मत्स्य मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री स्वतन्त्र प्रभार सतीश द्विवेदी, व्यावसायिक शिक्षा व कौशल विकास राज्य मंत्री स्वतन्त्र प्रभार कपिलदेव अग्रवाल, कृषि शिक्षा अनुसंधान राज्य मंत्री लाखन सिंह राजपूत, राजस्व व बाढ़ नियंत्रण राज्य मंत्री विजय कश्यप, लघु व मध्यम उद्यम मंत्री चौधरी उदयभान सिंह, आवास एवं शहरी नियोजन राज्य मंत्री गिरीश चंद्र यादव, परिवहन व संसदीय कार्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अशोक कटारिया, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग, महिला व बाल विकास राज्य मंत्री स्वाति सिंह, तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह की सहभागिता रहेगी।

योगी की कमान से पहले उपेक्षित रहा पूर्वांचल
1962 में संसद में विश्वनाथ गहमरी द्वारा संसद में पूर्वांचल की मुफलिसी का जिक्र के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पूर्वांचल के विकास के लिए पटेल आयोग का गठन किया। आयोग के सदस्यों ने दो साल तक दौरा कर बदहाली की रिपोर्ट बनाई और 1964 में सरकार को सौंप दिया। पर रिपोर्ट की सिफारिशें फाइलों में ही गुम होकर रह गईं। बाद के दिनों में राज्य पुनर्गठन आयोग, केएम पनि्नकर आयोग ने भी पूर्वांचल की बदहाली दूर करने को अपनी संस्तुतियां कीं लेकिन उनका भी वही हश्र हुआ। क्षेत्र के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए 1991 में पूर्वाचल विकास निधि की स्थापना हुई, लेकिन पूर्वांचल के माथे से बीमारू का ठप्पा फिर भी चस्पा रहा। 2017 तक कमोवेश यही स्थिति बनी रही। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने इंडो-गंगेटिक बेल्ट की इस धरा की उर्वरता, प्रचुर मानव संसाधन, पारम्परिक उद्योगों से विकास की संभावनाओं को पहचाना, उसे नियोजित दिशा दी। योगी के अबतक साढ़े तीन साल के कार्यकाल में इस अंचल से उपेक्षा का दंश दूर होता चला गया है। विकास की बुनियादी जरूरत सड़कों का जाल बिछा है तो बंद चीनी मिलों की जगह नई मिलों की स्थापना से किसानों की बांछे खिल गई हैं। गोरखपुर में खाद कारखाना जून जुलाई से उत्पादन प्रारम्भ कर देगा तो अन्नदाता को और सहूलियत हो जाएगी। हर जिले के एक विशिष्ट पारम्परिक उत्पाद को ओडीओपी में शामिल कर योगी सरकार ने पूर्वांचल में भी हर जिले को औद्योगिकरण की राह दिखाई है। एक्सप्रेस के किनारे इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के स्थापित होने से पूर्वांचल औद्योगिक नक़्शे पर भी चमकने लगेगा। सेवा क्षेत्र में विकास और रोजगार की संभावनाओं के लिए पर्यटन स्थलों का कायाकल्प हो रहा है।

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