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नीट-पीजी:आरक्षण मानदंड की समीक्षा करेगी सरकार

केंद्र सरकार ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि मेडिकल की स्नातकोत्तर स्तर (एमए और एमडी) के पाठ्यक्रमों में इस वर्ष दाखिले से संबंधित ‘नीट-पीजी’ में ऑल इंडिया कोटे के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) अभ्यार्थियों के लिए आठ लाख रुपये की आय संबंधी मानदंड पर फिर से विचार करेगी।इस दौरान नीट-पीजी की काउंसलिंग की प्रक्रिया पर रोक लगी रहेगी। सरकार के जवाब से असंतुष्ट शीर्ष अदालत ने 25 अक्टूबर को काउंसिलिंग पर रोक लगा दी थी।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ के समक्ष सुनवायी के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बताया कि सरकार ने आठ लाख रुपए के मापदंड पर फिर से विचार करने का फैसला किया है।शीर्ष अदालत को सरकार के फैसले से अवगत कराते हुए श्री मेहता ने समीक्षा के लिए चार सप्ताह का समय देने की गुहार लगाई। पीठ ने उनकी यह मांग स्वीकार करते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई अब जनवरी में होगी और तब तक काउंसलिंग की प्रक्रिया स्थगित रहेगी।

शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाइयों के दौरान केंद्र सरकार से आठ लाख रुपए आय का मापदंड तय करने का ‘आधार’ बताने को कहा था, लेकिन कई बार फटकार के बावजूद सरकार की ओर से पीठ के समक्ष कोई स्पष्ट राय नहीं रखी गई थी।देश भर के मेडिकल कॉलेजों में एमएस और एमडी की कक्षाओं में 50 फ़ीसदी सीटें ऑल इंडिया कोटे से भरने का सरकार ने फैसला लिया था।

इस संबंध में केंद्र सरकार ने 29 जुलाई को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी ) को 27 फ़ीसदी के साथ-साथ ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गई है। याचिका में इस अधिसूचना को चुनौती दी गई है।न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 25 अक्टूबर की सुनवायी के दौरान याचिकाकर्ता की गुजारिश पर केंद्र सरकार को काउंसलिंग रोकने का आदेश दिया। पीठ ने केंद्र से कहा था कि वह ओबीसी तथा ईडब्ल्यूएस वर्ग को आरक्षण मापदंड को चुनौती के मामले में फैसला आने तक ‘नीट-पीजी’ की काउंसलिंग स्थगित रखें।

शीर्ष अदालत ने आरक्षण के लाभ के लिए आठ लाख रुपये की वार्षिक आय को आधार बनाने पर केंद्र सरकार से सवाल किये थे। ईडब्ल्यूएस के लिए आठ लाख रुपए का आधार किस तरह से तय किया गया है। अदालत ने इसे पूर्व 21 और सात अक्टूबर को भी यही सवाल पूछा था।पीठ ने पूछा था कि आठ लाख रुपये वार्षिक आय का आधार तय करने के लिए कौन-कौन से बिंदुओं पर गौर किया गया, अदालत ने कहा था कि हलफनामा के जरिए 21 अक्टूबर तक विस्तृत विवरण अदालत के समक्ष पेश करे, लेकिन सरकार का जवाब उसके बाद कई सुनवाई होने के बावजूद पर नहीं आया।

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