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स्वदेशी हथियारों से लड़ेंगे और जीतेंगे भविष्य के युद्ध : जनरल नरवणे

सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के ऐजेंडे के प्रति वचनबद्धता व्यक्त करते हुए आज कहा कि सेना भविष्य के युद्ध स्वदेशी हथियारों से लड़ने तथा जीतने के लिए संकल्पबद्ध है।जनरल नरवणे ने सोमवार को यहां ,“ आर्मी मेक प्रोजेक्टस 2021 ” वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि आर्थिक मंदी की मौजूदा असाधारण परिस्थितियों में सरकार की ‘ आत्मनिर्भर भारत’ की पहल से घरेलू उद्योगों को नये सिरे से मजबूत बनाने के लिए नयी ऊर्जा तथा प्रेरणा मिली है।

उन्होंने कहा कि घरेलू उद्योगों की इस योजना में उत्साहजनक प्रतिक्रिया और पहल से भविष्य के युद्ध स्वदेशी हथियारों से लड़ने तथा जीतने के हमारे संकल्प को मजबूती मिली है।उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढावा देने के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे विभिन्न सुधारों जैसे प्रत्यक्ष विदेश निवेश की सीमा 49 फीसदी से 74 फीसदी करने , 200 रक्षा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगाने , स्वदेशी हथियारों तथा प्रणालियों की खरीद के लिए अलग से बजट तय करने और आयुध फैक्ट्रियों के निगमीकरण के फैसलों का आने वाले समय में बहुत अधिक फायदा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि हम इस बदलाव के वाहक बन रहे हैं जिसमें देश को रक्षा उपकरणों के विनिर्माण का हब बनाने की क्षमता है।जनरल नरवणे ने कहा कि सेना में तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है और वह अपनी संचालन जरूरतों के लिए अधिक से अधिक स्वदेशी उपकरणों के इस्तेमाल पर जाेर दे रही है। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि विभिन्न संघर्षों और युद्ध जैसी स्थितियों से निपटने के लिए हमारे पास जल्द ही देश में ही विकसित प्रौद्योगिकी उपलब्ध रहेगी।

उन्होंने कहा कि नयी चुनौतियों से निपटने तथा उधार की प्रौद्योगिकी पर निर्भरता कम करने के लिए स्वदेशी और स्थानीय क्षमताओं को बढाना बेहद जरूरी है। सेना इस पहल को बखूबी आगे बढा सकती है और जिस तरह से हमारा औद्योगिक आधार बढ रहा है उससे हमेें विश्वास है कि हमारी घरेलू जरूरतों को देश में ही पूरा किया जा सकता है।सेना प्रमुख ने कहा कि सेना हमारे उद्योगों के स्वदेशीकरण को बढावा देने के प्रयासों के प्रति वचनबद्ध है। उद्योग जगत को सेना की जरूरतों के बारे में अच्छी तरह से पता है। उन्होंने कहा कि अभी सेना 36 ‘मेक इंन इंडिया’ परियोजनाओं में शामिल है जिनमें से 15 से संबंधित प्रस्ताव उद्योग जगत की ओर से ही मिले थे।

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