नयी दिल्ली : हरित ऊर्जा क्षेत्र की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने आज स्पष्ट किया कि अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और वरिष्ठ कार्यकारी विनीत जैन पर अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का आरोप नहीं लगाया गया है।
अडानी समूह की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने बुधवार को शेयर बाजार फाइलिंग में अडानी समूह के अधिकारियों के खिलाफ रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आरोपों पर अलग-अलग मीडिया संस्थानों द्वारा की गई रिपोर्टिंग को गलत बताया और कहा, “मीडिया में प्रकाशित और प्रसारित रिपोर्ट बताती हैं कि हमारे कुछ निदेशकों अर्थात श्री गौतम अडानी, श्री सागर अडानी और श्री विनीत जैन पर अभियोग में एफसीपीए के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। इस तरह के बयान गलत हैं।
श्री गौतम अडानी, श्री सागर अडानी और श्री विनीत जैन पर अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) के अभियोग या अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) की सिविल शिकायत में निर्धारित मामलों में एफसीपीए के किसी भी उल्लंघन का आरोप नहीं लगाया गया है। अभियोग में ‘काउंट’ का अर्थ प्रतिवादी के विरुद्ध लगाए गए व्यक्तिगत आरोपों से है।”कंपनी ने कहा कि अमेरिकी न्याय विभाग के अभियोग पत्र, जिसमें पांच आरोप हैं, श्री गौतम अडानी, श्री सागर अडानी या विनीत जैन का कोई उल्लेख नहीं है और पहले आरोप में उन्हें बाहर रखा गया है और न ही पांचवें आरोप में इन तीन नामों का उल्लेख है।
भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोपों का उल्लेखन करने वाले अभियोग की धारा एक में केवल कनाडाई संस्थागत निवेशक एज़्योर पावर और एज़्योर के सबसे बड़े शेयरधारक सीडीपीक्यू के रंजीत गुप्ता, सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल शामिल हैं। इसके तहत डीओजे द्वारा किसी अडानी अधिकारी का नाम नहीं लिया गया है।एजीईएल ने स्पष्ट किया कि हालांकि देश-विदेश के अलग-अलग मीडिया संस्थानों ने न्याय विभाग के अभियोग की गलत समझ के कारण अडानी के निदेशकों पर अमेरिकी न्याय विभाग और एसईसी द्वारा सभी पांच मामलों में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का आरोप लगाए जाने की गलत और लापरवाहीपूर्ण रिपोर्टिंग की है। अडानी के अधिकारियों पर केवल धारा दो के तहत ‘कथित प्रतिभूति धोखाधड़ी साजिश’, धारा तीन के तहत ‘कथित वायर धोखाधड़ी साजिश’ और ‘कथित प्रतिभूति धोखाधड़ी’ के लिए आरोप लगाए गए हैं।
कंपनी ने कहा कि अमेरिकी न्याय विभाग के अभियोग में इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अडानी समूह के अधिकारियों ने भारत के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी थी। अभियोग और शिकायत केवल इस दावे पर आधारित हैं कि रिश्वत का वादा किया गया था या इस पर चर्चा की गई थी। उसने कहा, “यह सब संभावना और एज़्योर पावर के पूर्व कर्मचारियों की सुनी-सुनाई बातों पर आधारित है। सीडीपीक्यू ने अडानी समूह के निदेशकों के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग और अमेरिकी एसईसी की कार्रवाई को नैतिक और कानूनी दोनों ही दृष्टि से खतरनाक रूप से अस्थिर आधार पर खड़ा कर दिया है।
”एजीईएल ने कहा कि अमेरिका की बेबुनियाद कार्रवाई और लापरवाही से की गई झूठी रिपोर्टिंग के कारण अडानी समूह को अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं का रद्द होना, वित्तीय बाजार पर असर और रणनीतिक साझेदारों, निवेशकों और आम जनता की ओर से अचानक जांच जैसे कई गंभीर परिणाम भुगतने पड़े हैं।कंपनी ने कहा, “अडानी समूह भारत का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्लेयर है, जिसका वैश्विक ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में बड़ा कारोबार है। पिछले कुछ वर्षों में अडानी समूह अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने परिचालन का विस्तार कर रहा है और अफ्रीका, बंग्लादेश, श्रीलंका, इजराइल, ऑस्ट्रेलिया में कई अमेरिकी और चीनी कंपनियों के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा कर रहा है। अमेरिकी न्याय विभाग के अभियोग की सूचना के बाद से अडानी समूह को अपनी 11 सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में लगभग 55 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।
”उल्लेखनीय है कि अमेरिकी न्याय विभाग और प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग ने पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के न्यायालय में अडानी समूह के निदेशकों गौतम अडानी, सागर अडानी और उनके सहयोगियों के खिलाफ एक आपराधिक अभियोग जारी किया और एक दीवानी शिकायत दर्ज की।अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा 20 नवंबर 2024 को जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में फेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई), न्यूयॉर्क फील्ड ऑफ़िस के प्रभारी सहायक निदेशक जेम्स ई. डेनेही ने कहा, “गौतम एस. अडानी और सात अन्य व्यावसायिक अधिकारियों ने कथित तौर पर अपने कारोबार को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से आकर्षक अनुबंधों को वित्तपोषित करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत दी।
अडानी और अन्य प्रतिवादियों ने रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के बारे में झूठे बयानों के आधार पर पूंजी जुटाकर निवेशकों को धोखा दिया जबकि अन्य प्रतिवादियों ने कथित तौर पर सरकार की जांच में बाधा डालकर रिश्वतखोरी की साजिश को छुपाने का प्रयास किया।” हालांकि इसके एक दिन बाद 21 नवंबर, 2024 को अडानी समूह के प्रवक्ता ने इन आरोपों को निराधार बताया और इसे सिरे से खारिज कर दिया। (वार्ता)