UP Live

महाकुम्भ:स्नान पर्व पर सभी घाटों और अखाड़ों पर हेलीकॉप्टर से हुई पुष्पवर्षा,अभिभूत श्रद्धालु बोले – जय श्री राम

पौष पूर्णिमा स्नान पर्व से प्रयागराज महाकुम्भ का शंखनाद , सनातन की एकता से मिला महाकुम्भ को विस्तार.महाकुम्भ में शैव, वैष्णव और उदासीन अखाड़ों में दिखा अनेकता में एकता का भाव.व्यक्ति नहीं समष्टि का पर्व है महाकुम्भ, मानवता और विश्व कल्याण के लिए हो रहा है आवाहन.

महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ 2025 के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा स्नान के दिन सोमवार को संगम तट पर डुबकी लगाने पहुंचे श्रद्धालुओं पर योगी सरकार ने हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कराई। हेलीकॉप्टर से सभी घाटों और अखाड़ों पर स्नान के दौरान श्रद्धालुओं पर फूलों की बारिश की गई। गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश देख संगम तट पर मौजूद श्रद्धालुओं ने अभिभूत होकर जय श्री राम के नारे लगाए।

महाकुम्भ मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं पर स्नान पर्वों के मौके पर पुष्प वर्षा को लेकर योगी सरकार के निर्देश पर उद्यान विभाग ने पिछले काफी समय से तैयारी कर रखी थी। इसके लिए गुलाब की पंखुड़ियों की खास तौर पर व्यवस्था की गई थी। महाकुम्भ के सभी स्नान पर्वों पर पुष्प वर्षा कराने की तैयारी की गई है। प्रत्येक स्नान पर्व पर लगभग 20 कुंतल गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश करने की तैयारी है, जिसकी श्रृंखला में पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा स्नान पर सोमवार को श्रद्धालुओं पर गुलाब की पंखुड़ियां बरसाईं गई।एक ओर जहां हेलीकॉप्टर से महाकुम्भ में स्नान करने आए श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की गई तो दूसरी ओर इससे मेले की सुरक्षा व्यवस्था की भी निगरानी होती रही। सुरक्षा एजेंसियां मेले में तैनाती के साथ ही हवाई माध्यमों से भी स्नान पर्व के मौके पर लगातार अपनी नजर बनाए रहीं। पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी लगातार व्यवस्थाओं की निगरानी में जुटे रहे।

पौष पूर्णिमा से शुरू कल्पवास की परम्परा में मिटी असमानता और जातिगत भेदभाव

त्रिवेणी के पावन तट पर महाकुम्भ की शुरुआत भारत की सनातन परंपरा का उद्घोष और विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम का शंखनाद है। इसके अंदर अंतर्निहित है अनेकता में एकता का वह संदेश जो महान भारतीय संस्कृति का मूल है। महाकुम्भ एक धार्मिक आयोजन का पर्व मात्र नहीं है। आस्था और अध्यात्म के इस महापर्व में शैव , वैष्णव और उदासीन भक्ति धाराओं का मेल होता है। महाकुम्भ में शैव परंपरा के अंतर्गत आने वाले सात अखाड़े , वैष्णव परम्परा का अनुगमन करने वाले तीन अखाड़ों के साथ उदासीन सम्प्रदाय की विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करने वाले श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन और नया उदासीन अखाड़ा निर्वाण का संगम होता है। इसी तरह श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल की सहजता और सेवाभाव के गुरुओं की वाणी यहां सभी अखाड़ों को साथ लेकर विभिन्नता में एकता का संदेश देती है। एकता के महाकुम्भ का भाव भी इसी में सम्मिलित है।

कल्पवास की परम्परा में मिटी असमानता और जातिगत भेदभाव

प्रयागराज महाकुंभ में वैसे 144 वर्ष बाद विशिष्ट खगोलीय संयोग बन रहा है जिसके चलते ग्रहों और नक्षत्रों के जानकार इसे अपने दृष्टिकोण से देखते हैं। सिद्ध महामृत्युंजय संस्थान के पीठाधीश्वर स्वामी सहजानंद सरस्वती जी बताते हैं कि महाकुम्भ एक खगोलीय घटना मात्र नहीं है। वसुधैव कुटुंबकम् का विचार लेकर सबको अपने में समाहित कर लेने वाले सनातन के इस महापर्व में जातीय भेदभाव, छुआछूत, ऊंच-नीच सब अप्रासंगिक हो जाते हैं। सभी जाति से जुड़े अमीर गरीब एक साथ मिलकर यहां पुण्य की डुबकी लगाते हैं। पौष पूर्णिमा से शुरू हुए प्रयागराज महाकुम्भ के साथ यहां कल्पवास की भी शुरुआत हुई है। महाकुम्भ में एक महीने तक तंबुओं में रहकर संयम और त्याग की साधना करने वाले कल्पवासी सभी जातियों से आते हैं। सभी तरह का ऊंच नीच का भेदभाव यहां नहीं दिखता। सब साथ में गंगा स्नान कर सामूहिक कीर्तन भजन में शामिल होते हैं। जातीय , वर्गीय एकता और समन्वय का यह विचार ही महाकुम्भ को एकता के महाकुम्भ के रूप में स्थापित करता है।

व्यक्ति नहीं समष्टि को साथ लेकर चलने का संकल्प है महाकुम्भ

पौष पूर्णिमा के साथ शुरू हुए प्रयागराज महाकुम्भ में सबको साथ लेकर चलने का संकल्प दिखता है। महाकुम्भ में तंबुओं में एक महीने तक रहकर संयम और त्याग के साथ जप, तप और साधना करने वाले कल्पवासियों की संख्या 7 लाख से अधिक है जो उस ग्राम्य संस्कृति का हिस्सा है जो कृषि प्रधान भारत का प्रतिनिधित्व करता है। इसी महाकुम्भ में डोम सिटी और निजी टेंट सिटी में रहकर पुण्य की डुबकी लगाने आने वाला अभिजात्य वर्ग भी है। लेकिन सभी पुण्य अर्जित अर्जित करने का भाव लेकर आए हैं। इस संकल्प में भी एकता और समन्वय को भी स्थान दिया गया है जो महाकुम्भ में ही संभव लगता है।

हर शिविर, आयोजन में विश्व कल्याण और प्राणियों की सद्भावना का उद्घोष

महाकुम्भ सनातन का पर्व और गर्व है। वह सनातन संस्कृति जो वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा पर टिकी है। उसी की प्रेरणा से महाकुम्भ में अखाड़ों, साधु संतों और संस्थाओं के आयोजन में भी केंद्र में व्यक्ति नहीं समष्टि है, समस्त मानवता है। श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी कहते हैं कि महाकुम्भ में स्थापित हर शिविर और आयोजन में हर पूजा-प्रार्थना में ‘विश्व का कल्याण हो, प्राणियों में सद्भावना हो ‘ का उदघोष और सामाजिक सरोकारों की चिंता है । पहली बार अखाड़ों ने जिस तरह से पर्यावरण प्रदूषण की चिंता को अपनी बैठकों और छावनी प्रवेश यात्रा में स्थान दिया गया वह इसी का संकेत है।

1977 से कर रही हूं महाकुम्भ में स्नान, तीर्थ यात्रियों के लिए पहले नहीं देखी ऐसी व्यवस्था- उमा भारती

पौष पूर्णिमा के शाही स्नान के साथ प्रयागराज महाकुम्भ 2025 की शुरुआत हो चुकी है। देश और दुनिया से करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचकर पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। सोमवार को प्रयागराज पहुंची पूर्व सांसद साध्वी उमा भारती महाकुम्भ की व्यवस्थाओं को देखकर अभीभूत दिखी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल (एक्स) पर व्यवस्थाओं को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रशासन की जमकर तारीफ की।

उमा भारती ने कहा कि वो सोमवार सवेरे श्री प्रयागराज पहुंच गई। जब वो श्री प्रयागराज जं. रेलवे स्टेशन पर उतरी तो भ्रम और भय दोनों दूर हो गए। उनको स्टेशन से लेकर पूरे रास्ते में तीर्थ यात्रियों के लिए सुविधाएं, सुरक्षा इतनी अच्छी लगी जो आज तक नहीं देखी। ठंड के बारे में जो भ्रम था उतनी नहीं है फिर भी योगी सरकार ने ठंड से मुकाबले की भी बहुत अच्छी व्यवस्था कर रखी है।

उमा भारती ने कहा कि 1977 से मैंने श्री प्रयागराज के महाकुम्भ में स्नान शुरू किया है। तब से लेकर इस महाकुंभ तक यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए इतनी अच्छी व्यवस्था, सुरक्षा, सुविधा, प्रशासन एवं पुलिस का अतिविनम्र व्यवहार पहले कभी नहीं देखा। धन्य है भारत, धन्य है श्री प्रयागराज और धन्य है महाकुंभ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का करोड़ों भारतवासियों की ओर से मेरा अभिनंदन।

घाटों को स्वच्छ बनाए रखने के लिए 2 हजार गंगा सेवा दूतों को किया गया है नियुक्त

महाकुम्भ के पहले दिन पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर घाटों की सुरक्षा, सुविधा और स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए बड़ी संख्या में गंगा सेवा दूत तैनात रहे। घाटों पर बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा पूजा अर्चना के दौरान जैसे ही पुष्प अर्पित किए जाते, ये गंगा सेवा दूत तुरंत उसे निकालकर नदी को साफ कर देते। गंगा और यमुना की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए करीब 2000 गंगा सेवा दूतों को सभी सेक्टर्स में बने घाटों पर नियुक्त किया गया है। इन सभी गंगा सेवा दूतों को मेला प्रशासन की ओर से भी ट्रेन्ड भी किया गया है। महाकुम्भ के पहले दिन सभी गंगा सेवा दूत अपनी नियत ड्यूटी पर तैनात रहे और श्रद्धालुओं के लिए नदियों को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहे।

स्काउट एंड गाइड के वॉलंटियर्स भी दिखे तत्पर

इनकी मदद के लिए स्काउट एंड गाइड के भी युवक एवं युवतियां तत्परता से तैयार नजर आए। ये युवक एवं युवतियां स्वयं सेवा के तहत घाटों पर मुस्तैदी से कार्य करते दिखे। सोनभद्र के स्काउट एंड गाइड आरिफ ने बताया कि 9 जनवरी से ही वो और उनकी टीम यहां पर आ गए हैं। उनकी टीम में मिर्जापुर, वाराणसी से भी स्काउट एंड गाइड हैं। कुल मिलाकर 91 लोग स्वयं सेवा में लगे हुए हैं। इसके लिए उन्हें बाकायदा ट्रेनिंग भी दी गई है। 45 दिनों में कुल 10 हजार 200 स्काउट एंड गाइड पूरे महाकुम्भ में अपनी सेवाएं देंगे। हर हफ्ते 250-250 लोग यहां पर पहुंचेंगे। उनके रहने और खाने-पीने के लिए प्रशासन की ओर से सेक्टर 6 में व्यवस्था की गई है।

घाट पर पुलिसकर्मियों ने भी निभाई जिम्मेदारी

घाटों की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए मेला प्रशासन की ओर से बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए हैं। स्नान संपन्न होने के बाद श्रद्धालु ज्यादा देर तक घाट पर न बने रहें, इसकी जिम्मेदारी पुलिसकर्मियों की है। वो स्नान कर चुके श्रद्धालुओं को वापस घाट से जाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, ताकि जो श्रद्धालु स्नान के लिए आ रहे हैं उन्हें भी घाट खाली मिले। इसके लिए पूरे दिन पुलिसकर्मी सक्रियता से काम करते रहे।

मुख्य स्नान पर्व, इसके एक दिन पहले-बाद 350 शटल बस में कर सकेंगे निःशुल्क यात्रा

योगी सरकार के निर्देश पर उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम 350 शटल बसों में मुख्य स्नान पर्वों और इसके एक दिन पहले व बाद में निशुल्क यात्रा करायेगा। महाकुम्भ में यह यात्रा 18 दिन होगी। परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर परिवहन निगम श्रद्धालुओं को मुफ्त यात्रा का लाभ देने जा रहा है। महाकुम्भ-2025 के दौरान मेला क्षेत्र में परिवहन निगम द्वारा 350 शटल बसों के संचालन की तैयारी है।

परिवहन मंत्री ने बताया कि महाकुम्भ-2025 में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक कुल 06 मुख्य स्नान निर्धारित हैं। क्रमशः 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा, 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या, 03 फरवरी को बसंत पंचमी, 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा एवं 26 फरवरी को महाशिवरात्रि है। इन तिथियों को पड़ने वाले मुख्य स्नान, मुख्य स्नान के एक दिन पूर्व व एक दिन बाद तक मुफ्त यात्रा का लाभ प्राप्त होगा। इस प्रकार कुल 18 दिन तक मुफ्त यात्रा का लाभ श्रद्धालुओं को प्राप्त होगा। शटल बसें विभिन्न पार्किंग स्थलों से श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र तक निःशुल्क यात्रा करायेगी।

अपर प्रबंध निदेशक श्रीराम सिंह वर्मा ने पत्र जारी कर सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देशित किया है कि उक्त निर्देशों का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने बताया कि शटल बसों मेें मुख्य स्नान एवं उसके एक दिन पूर्व व पश्चात यात्रियों को जीरो मूल्य टिकट जारी किया जायेगा।

महाकुम्भ के पहले स्नान पर 50 से अधिक मेला स्पेशल ट्रेनों का किया गया संचालन

आस्था के महापर्व,महाकुम्भ 2025 की शुरूआत आज, 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ हो गई। सनातन आस्था का सबसे बड़ा पर्व होने के कारण देश भर से श्रद्धालु महाकुम्भ में स्नान करने प्रयागराज आते हैं। मेला प्रशासन के अनुसार महाकुम्भ के पहले स्नान पर लगभग 1.5 करोड़ श्रद्धालुओं में त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान किया। जिनमें से लाखों की संख्या में श्रद्धालु ट्रेनों के माध्यम से प्रयागराज पहुंचे। प्रयागराज रेल मण्डल ने पहले से की गई तैयारियों के कारण श्रद्धालुओं को ज्यादा दिक्कतों का समना नहीं करना पड़ा। प्रयागराज रेल मण्डल ने यात्रियों की संख्या के मुताबिक शाम 06 बजे तक 50 से अधिक स्पेशल ट्रेनें चलाई।

प्रयागराज जंक्शन से 21 आउटवर्ड और 13 इनवर्ड ट्रेनों का हुआ संचालन

प्रयागराज रेल मण्डल ने श्रद्धालुओं की सुविधा और जरूरत के मुताबिक सुरक्षा, आश्रय, आसान टिकट वितरण एवं बड़ी संख्या में गाड़ियों की व्यवस्था की गयी है । महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुये रेल प्रशासन द्वारा पौष पूर्णिमा पर्व के अवसर पर शाम 06 बजे तक 50 से अधिक मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया गया। इनमें से 21 आउटवार्ड और 13 इनवर्ड ट्रेनों का संचालन किया गया। प्रयागराज जंक्शन से 7 स्पेशल ट्रेनें 01 ट्रेन कानपुर के लिए, 03 पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन के लिए, 01 गाड़ी कटनी, 01 गाड़ी वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी और 01 गाड़ी अयोध्या कैंट के लिए के लिए चलायी गयी।
प्रयागराज रेल मण्डल पर श्रद्धालु के लिए आश्रय स्थलों, टिकट घरों का हुआ सफल संचालन

प्रयागराज छिवकी स्टेशन से बांदा स्टेशन के लिए 1 स्पेशल मेला ट्रेन चलाई गई। तो वहीं नैनी स्टेशन से 1 स्पेशल ट्रेन चित्रकूट के लिए और प्रयाग स्टेशन से 02, लखनऊ से 1, आलमनगर से 1, अयोध्या से 3 और 4 रिंग रेल ट्रेनों का संचालन किया गया| इसके बाद भी प्रयागराज रेल प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की आवश्यकता के अनुरूप रात्रि में और भी स्पेशल ट्रेनों का संचाल किया गया| इसके अतिरिक्त श्रदधालुओं को आश्रय स्थलों में रहने, ठहरने और टिकट घर की भी व्यवस्था का सुचारू रूप से संचालन किया गया।

अमृत स्नान की आखाड़ों में हो रही है दिव्य भव्य तैयारी,सुबह 6.15 पर होगा महाकुंभ का प्रथम अखाड़े का स्नान

सोशल मीडिया पर नंबर वन ट्रेंड बना #एकता_का_महाकुम्भ

संगम की रेती पर आस्था का सैलाब,डेढ़ करोड़ ने लगायी पवित्र डुबकी

Website Design Services Website Design Services - Infotech Evolution
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Graphic Design & Advertisement Design
Back to top button