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Economic Survey: राजकोषीय स्थिति में सुधार , आर्थिक वृद्धि 8.0-8.5 का अनुमान

जीडीपी में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत: आर्थिक सर्वेक्षण

कोविड-19 की ताजा लहर में नरमी और आबादी के बड़े हिस्से के टीकाकरण के बीच सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा अगले वित्त वर्ष 2022-23 में 8.0-8.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि का एक सावधानीभरा अनुमान लगाया गया है और राजकोषीय स्थिति को पिछले दो वर्ष की तुलना में बेहतर रहने की संभावना जतायी गयी है।यह अनुमान अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के अनुमान से कम है जिसने हाल में वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 में भारत की वृद्धि नौ-नौ प्रतिशत रहने तथा 2023-24 में इसके 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। समीक्षा में कहा गया है कि इन अनुमानों को देखते हुए भारतीय अर्थव्यस्था इन तीनों वर्षों में दुनिया में सबसे तीव्र गति से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था रहेगी।अग्रिम सरकारी अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (डीडीपी) के वर्ष 2021-22 में आर्थिक वृद्धि 9.2 प्रतिशत रहेगी जबकि पिछले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी।राजकोषीय दशा को कोविड से त्रस्त पिछले दो वर्षों की तुलना में काफी बेहतर बताया गया है।

वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा तैयार की जाने वाली वार्षिक आर्थिक समीक्षा को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण में संसद के दोनों सदनों लोक सभा और राज्य सभा के पटल पर रखा। आर्थिक समीक्षा में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करने के साथ-साथ इसके समक्ष आंतरिक और वाह्य चुनौतियों तथा संभावनाओं को प्रस्तुत किया गया है। इसमें अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के रुझान और अनुमान आंकड़ों सहित प्रस्तुत किए गए हैं।समीक्षा में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि का यह अनुमान इस मान्यता पर आधारित है कि इस दौरान महामारी को लेकर आगे कोई आर्थिक गतिरोध नहीं पैदा होगा, मानसून सामान्य रहेगा, बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों द्वारा नकदी प्रवाह को कम करने का प्रस्तावित काम व्यवस्थित ढंग से होगा, तेल की कीमतें 70-75 डाॅलर प्रति बैरल के बीच रहेंगी तथा वर्ष के दौरान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की रुकावटें धीरे-धीरे कम हो जाएगी।अगले वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि का यह अनुमान ऐसे समय आया है जबकि कोविड-19 की नयी लहर हल्की पड़ रही है तथा देश में कोविड टीकाकरण के तहत योग्य 90 प्रतिशत से अधिक नागरिकों को काेरोना की एक डोज तथा 75 प्रतिशत को दोनों डोज लग चुकी है।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज ही संसंद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि देश को ऐसा रक्षा कवच दिया है जिससे हमारे नागरिकों की रक्षा हुई और उनका मनोबल भी बढ़ा है।आर्थिक समीक्षा में अगले साल की आर्थिक वृद्धि का अनुमान विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के अनुमानों के स्तर का ही है। इन बहुपक्षीय वित्तीय संगठनों ने भारत के जीडीपी में अगले साल क्रमश 8.7 प्रतिशत और 7.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है।रेटिंग एजेंसी इक्रा की अर्थशास्त्री अदिती नायर ने कहा,“आर्थिक सर्वेक्षण में अगले वित्त वर्ष के लिए 8.0-8.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान इस अनुमान की ओट लेकर लगाया गया है कि आगे कोरोना की लहर का व्यवधान नहीं आएगा। हमारा मानना है कि सामाजिक सुरक्षा के विभिन्न उपायों से आर्थिक इकाइयां स्थिति का मुकाबला करने के लिए अब पहले से अच्छी स्थिति में हैं।’सुश्री नायर ने यह भी कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार के सरकारी पूंजीगत व्यय पर निरंतर जोर उत्साहजनक है, क्योंकि इससे आर्थिक स्थिति में मजबूत सुधार को बल मिलने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि आगामी बजट में पूंजीगत व्यय के लिए आवंटन पर्याप्त होना चाहिए। इक्रा का अब भी मानना है कि विनिवेश से प्राप्तियों का अनुमान पूरा न होने से जकोषीय घाटा अनुमान से कुछ ऊपर जा सकता है।सम्पत्ति बाजार पर अनुसंधान करने वाली कंपनी नाइट फ्रैंक की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा,“ वित्त वर्ष 2013 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण का 8-8.5 की आर्थिक वृद्धि का अनुमान सावधानी भरा है और आईएमएफ द्वारा अनुमानित की तुलना में कम है।”समीक्षा में भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र के बढ़ते महत्व को रेखांकित करते हुए कहा गया है सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत है।महामारी के कारण सम्पर्क पर आधारित होटल, यात्रा, पर्यटन और अन्य सेवाओं के कारोबार पर सबसे अधिक आघात के वावजूद 2021-22 की पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र में 10.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। चालू वित्त वर्ष में समग्र सेवा क्षेत्र में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।सेवा क्षेत्र में वित्‍त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में 16.73 अरब डॉलर का एफडीआई प्राप्‍त हुआ और वित्त वर्ष की पहली छमाही में सेवाओं के शुद्ध निर्यात में 22.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी।

समीक्षा में राजकोषीय स्थिति में हाल के वर्षों की तुलना में सुधार का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि सरकार राजस्व संग्रह पर जोर और लक्षित व्यय नीति के चलते अप्रैल-नवंबर 2021 की अवधि में राजकोषीय घाटा पूरे वर्ष के बजट अनुमान का 46.2 प्रतिशत रहा। अप्रैल-नवंबर 2020 की इसी अवधि में यह बजट अनुमान का 135.1 प्रतिशत और और अप्रैल-नवंबर 2019 में बजट अनुमान का 114.8 प्रतिशत था।चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर की अवधि की सरकार की प्राप्तियों में एक साल पहले की इसी अवधि की तुलना में 67.2 प्रतिशत की वृद्धि और 2021-22 के बजट अनंतिम वास्तविक अनुमानों की तुलना में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।इसी तरह इस दौरान सरकार का सकल कर राजस्व सालाना आधार पर 50 प्रतिशत से अधिक रहा।समीक्षा में कहा गया है कि यह प्रदर्शन 2019-2020 के पूर्व-महामारी स्तरों की तुलना में भी मजबूत है।अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान, पूंजीगत व्यय में सालाना आधार पर 13.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और बुनियादी ढांचा-गहन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।कोविड महामारी से पैदा हालात से निपटने के लिए अतिरिक्त संसाधनों का प्रबंध करने में केंद्र सरकार का कर्ज बढ़कर 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद का 59.3 प्रतिशत हो गया है। यह 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद के 49.1 प्रतिशत के बराबर था।

जीडीपी में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत: आर्थिक सर्वेक्षण

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश करते हुए कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्‍पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से अधिक रहा।समीक्षा में इस बात का भी उल्‍लेख किया गया है कि चालू वित्‍त वर्ष की पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र में क्रमबद्ध सुधार भी दर्ज किया गया। इसमें कहा गया है कि 2021-22 की प्रथम छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र में कुल मिलाकर 10.8 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि हुई। वर्ष 2021-22 में समग्र सेवा क्षेत्र का जीवीए 8.2 प्रतिशत बढ़ने की आशा है। हालांकि, आर्थिक समीक्षा में इस बात पर विशेष जोर देते हुए कहा गया है कि कोरोना के ओमि‍क्रॉन वैरिएंट के फैलने के कारण विशेषकर उन क्षेत्रों में निकट भविष्‍य में कुछ हद तक अनिश्चितता रहने की संभावना है जिनमें मानव संपर्क आवश्यक होता है।आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत में सेवा क्षेत्र एफडीआई प्रवाह का सबसे बड़ा प्राप्‍तकर्ता रहा है। वर्ष 2021-22 की पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र को 16.73 अरब डॉलर का प्रवाह हुआ है। वित्‍तीय, व्‍यापार, आउटसोर्सिंग, अनुसंधान एवं विकास, कुरियर, शिक्षा उप-क्षेत्र के साथ प्रौद्योगिकी परीक्षण एवं विश्‍लेषण में एफडीआई अधिक रहा है।

आर्थिक समीक्षा में इस बात को रेखांकित किया गया है कि वैश्विक सेवा निर्यात में भारत का प्रमुख स्‍थान रहा। वर्ष 2020 में वह शीर्ष 10 सेवा निर्यातक देशों में बना रहा। विश्‍व वाणिज्यिक सेवाओं के निर्यात में इसकी भागीदारी वर्ष 2019 में 3.4 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 4.1 प्रतिशत हो गई।समीक्षा में कहा गया कि व्‍यापारिक निर्यात की तुलना में भारत के सेवाओं के निर्यात पर कोविड-19 प्रेरित वैश्विक लॉकडाउन का प्रभाव कम गंभीर था। परिवहन सेवा के निर्यात पर कोविड-19 के प्रभाव के बावजूद सॉफ्टवेयर निर्यात, व्‍यापार और ट्रांसपोर्टेशन सेवाओं की सहायता की बदौलत सेवाओं के सकल निर्यात में दहाई आंकड़े में वृद्धि दर्ज की गई जिसके परिणामस्वरूप वित्‍त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में सेवाओं के शुद्ध निर्यात में 22.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।आर्थिक समीक्षा में आईटी-बीपीएम सेवा को भारत के सेवा क्षेत्र के प्रमुख खंड के रूप में वर्णित किया गया है। नेस्‍कॉम के अनुमान के अनुसार वर्ष 2020-21 के दौरान आईटी-बीपीएम राजस्‍व (ई-कॉमर्स के अतिरिक्‍त) वार्षिक 2.26 प्रतिशत बढ़कर 1.38 लाख कर्मचारियों को जोड़ते हुए 194 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

समीक्षा में कहा गया है कि आईटी-बीपीएम क्षेत्र के अंतर्गत आईटी सेवाओं की हिस्‍सेदारी अधिक है। पिछले साल के दौरान अन्‍य सेवा प्रदाता विनियमों, दूरसंचार क्षेत्र के सुधारों और उपभोक्‍ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम 2020 सहित क्षेत्र में नवाचार और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए कई नीतिगत पहल की गई। समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि इससे प्रतिभा तक अभिगम का विस्‍तार होगा, रोजगार सृजन बढ़ेगा और इस क्षेत्र को विकास एवं नवाचार के अगले स्‍तर तक पहुंचाएगा।समीक्षा में बताया गया है कि भारत में पिछले 6 वर्षों में स्‍टार्ट-अप की संख्‍या में उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है। इनमें से अधिकांश स्‍टार्ट-अप सेवा क्षेत्र से संबंधित हैं। 10 जनवरी 2022 तक 61,400 से ज्‍यादा स्‍टार्ट-अप को मान्‍यता दिया जा चुका है। इसके अलावा यह भी बताया गया है कि भारत में 2021 में रिकॉर्ड 44 स्‍टार्ट-अप यूनिकॉर्न स्थिति तक पहुंचे।

इसमें इस बात का भी उल्‍लेख किया गया है कि बौद्धिक संपदा विशेषकर पेटेंट आधारित अर्थव्‍यवस्‍था की कुंजी है। भारत में दायर पेटेंट की संख्‍या 2010-11 में 39,400 से बढ़कर 2020-21 में 58,502 हो गई है और इसी अवधि के दौरान भारत में दिये गये पेटेंट 7,509 से बढ़कर 28,391 हो गए हैं।समीक्षा में कहा गया है कि सामान्‍यत: जीडीपी वृद्धि, विदेशी मुद्रा आय और रोजगार में पर्यटन क्षेत्र का प्रमुख योगदान रहता है। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण भारत सहित सभी जगहों पर वैश्विक यात्रा तथा पर्यटन को कमजोर करने वाला प्रभाव पड़ा है। आर्थिक समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि अंतर्राष्‍ट्रीय पर्यटन का पुन: आरंभ होना काफी हद तक यात्रा प्रतिबंधों, सामंजस्‍यपूर्ण सुरक्षा और सुरक्षा प्रोटोकॉल तथा उपभोक्‍ताओं के विश्‍वास को बहाल करने में सहायता करने के लिए प्रभावी संचार के संदर्भ में देशों के बीच एक समन्वित प्रतिक्रिया पर निर्भर करता रहेगा।

वंदे भारत मिशन के तहत विशेष अंतर्राष्‍ट्रीय उड़ानें संचालित की जा रही हैं, जो वर्तमान में अपने 15वें चरण में है और 63.55 लाख यात्रियों को ले जा चुकी हैं।समीक्षा में कहा गया है कि बंदरगाहों का विकास अर्थव्‍यवस्‍था के लिए महत्‍वपूर्ण है। बंदरगाह आयात-निर्यात कार्गो का लगभग 90 प्रतिशत और मूल्‍य के हिसाब से 70 प्रतिशत संभालते हैं। मार्च 2021 तक सभी बंदरगाहों की कुल कार्गो क्षमता बढ़कर 1,246.86 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) हो गई, जबकि मार्च 2014 में 1052.23 एमटीपीए थी। वर्ष 2020-21 में कोविड-19 के कारण उत्‍पन्‍न बाधाओं से प्रभावित होने के बाद अप्रैल-नवम्‍बर 2021 के दौरान 10.16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज किये जाने के साथ वर्ष 2021-22 में बंदरगाह यातायात में भी वृद्धि हुई है। देश में बंदरगाह आधारित विकास को बढ़ावा देने के प्रति लक्षित सागरमाला कार्यक्रम का भी समीक्षा में उल्‍लेख किया गया है। वर्तमान में 5.53 लाख करोड़ रुपये की कुल 802 परियोजनाएं इस कार्यक्रम का अंग हैं।

समीक्षा में कहा गया है कि 1960 के दशक में अपनी स्‍थापना होने के बाद से ही भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का काफी विकास हुआ है। अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित स्‍वदेशी तकनीक से निर्मित अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली, समाज की विभिन्‍न आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए उपग्रहों के बेड़े सहित अंतरिक्ष परिसंपत्तियों सहित सभी डोमेन में क्षमताओं का विकास किया गया है। सरकार ने अंतरिक्ष आधारित सेवाएं प्रदान करने में निजी क्षेत्र की भागीदारी की परिकल्‍पना करते हुए वर्ष 2020 में अं‍तरिक्ष क्षेत्र में विभिन्‍न सुधार किए। इन सुधारों में न्‍यू स्‍पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) को सशक्‍त बनाना और वर्तमान आपूर्ति आधारित मॉडल को मांग आधारित मॉडल में बदलना, अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत स्‍वतंत्र नोडल एजेंसी अर्थात भारतीय राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन तथा प्राधिकरण केन्‍द्र (इन-स्‍पेस) का सृजन तथा देश में अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए एक पूर्वारनुमेय, दूरंदेशी, स्‍पष्‍ट एवं सक्षम नियामक व्‍यवस्‍था प्रदान करना शामिल है।न्यूज़ सोर्स वार्ता

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