Varanasi

मोदी सरकार में काशी का बदला स्वरूप,पूरी दुनिया देखने को लालायित :डाॅ. एस. जयशंकर

पूर्व की सरकारों में दिल्ली से एक रुपया चलता था और लाभार्थी तक महज 15 पैसे ही पहुंचते थे,आज पूरा रुपया लाभार्थी के खाते में जाता है-डाॅ. एस. जयशंकर

वाराणसी : सनबीम स्कूल वरुणा में पूर्वांचल स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन एवं सनबीम शिक्षण समूह द्वारा आयोजित समारोह ‘‘शिक्षा के साथ सशक्तीकरणरू बेहतर कल के लिए शिक्षण’’ का उद्घाटन विदेश मंत्री डाॅ. एस. जयशंकर द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सनबीम स्कूल के अलावा अन्य विद्यालयों के 400 प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डाॅ. एस. जयशंकर (विदेश मंत्रालय, भारत सरकार) के कर-कमलों द्वारा द्वीप-प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्यजनों का स्वागत डाॅ. दीपक मधोक (अध्यक्ष, पूर्वांचल वेलफेयर स्कूल्स एसोसिएशन एवं सनबीम शिक्षण समूह), सनबीम शिक्षण समूह की उपाध्यक्ष श्रीमती भारती मधोक, निदेशिका श्रीमती अमृता बर्मन, मानद निदेशक श्री हर्ष मधोक ने किया।

बतौर मुख्य अतिथि डाॅ. एस. जयशंकर ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बदलते हुए शैक्षणिक परिवेश व वैश्विक दृष्टिकोण पर अपने विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने कहा कि हमें भारत को समावेशी भारत बनाने की तरफ बढ़ना है।एक तरफ हमें आधुनिकता की दौड़ में आगे रहते हुए ड्रोन, बुलेट ट्रेन और स्पेस के लिए काम करना है तो दूसरी तरफ हमें मुफ्त ईलाज,मुफ्त राशन,सड़के और बिजली,पानी जैसी बुनियादी जरूरतों को भी पूरा करना है। कहा कि हमें हर स्तर पर देश को आगे लेकर जाना है। यदि काशी की बात की जाए तो पिछले दस वर्षों में काशी का अभूतपूर्व विकास हुआ और रोजगार के नए अवसर का जन्म हुआ।

कहा कि मोदी सरकार में काशी का बदला स्वरूप, आज पूरी दुनिया काशी देखने को लालायित हो रही है। आज काशी में 4.5 लाख लोगों को आयुष्मान कार्ड मिल चुका है। पीएम आवास योजना का लाभ उठाते हुए काशी के 25000 लोगों को आवास मिल चुका है। दस लाख लोगों को फ्री राशन की सुविधा मिल रही है। लाखों घरों में पानी के कनेक्शन पहुंच रहे हैं। आज काशी में 5.5 लाख लोगों ने मुद्रा लोन का लाभ उठाया तो 20 हजार लोगों ने स्वनिधि योजना के जरिए अपने नए काम शुरू किए। कौशल विकास योजना के जरिए 50 हजार लोगों को ट्रेनिंग देकर नए अवसर प्रदान किए गए।

कहा कि हम दुनिया की सबसे प्राचीन संस्कृति हैं इसलिए हमें अपनी पहचान को बरकरार रखना है। हमें अपनी छवि को भूलना नहीं है लेकिन इसके साथ ही हमें आधुनिकता की दौड़ भी दौड़नी है और सबसे आगे भी रहना है। कहा कि एक दौर था जब आयुर्वेद और योग की महत्ता को हम भूल गए थे लेकिन कोरोना महामारी के दौरान इनकी महत्ता को पूरी दुनिया में नई पहचान मिली। आज योग दिवस पर व्हाइट हाउस सहित पूरी दुनिया योग करते नजर आती है।

आज काशी समेत देश में विकास कार्यों को तीव्र गति मिल रही है तो इसके पीछे ईमानदार सोच और डिजिटल क्रांति है। डिजिटल युग के कारण हम लाभार्थियों की पहचान कर पा रहे हैं अन्यथा एक दौर ऐसा भी था कि जब दिल्ली से एक रुपया चलता था तो लाभार्थी तक मात्र 15 पैसे ही पहुंचते थे।जबकि आज पूरा का पूरा एक रुपया सीधे लाभार्थी के बैंक खातों में जाता है।डाॅ. एस. जयशंकर जी ने शिक्षा के सशक्तीकरण के द्वारा भविष्य को संवारने एवं शिक्षा की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा व्यवस्था में अभी अनेकों सुधार करने हैं। छात्रों एवं शिक्षकों के प्रश्नों के उत्तर में उन्होंने आने वाले समय में भारत की विदेश नीतियों के तहत आने वाले अवसर एवं चुनौतियों के बारे में भी बात की।

छात्रा मान्या श्रीवास्तव ने प्रश्न किया कि पिछले दशक में हम देखते हैं कि हम अंतरराष्ट्रीय समुदायों के साथ अपने व्यवहार में अधिक सक्रिय हुए हैं और पश्चिम सहित दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों में बदलाव आया है। आप इसे कैसे देखते हैं। जवाब में उन्होंने कहा कि चुनौतियां काफी हद तक हैं लेकिन मौका कहां है अवसर कहां है हम उस ओर देखते हैं। कहा कि यूक्रेन में युद्ध चल रहा है। गाजा में लड़ाई चल रही है. दक्षिण चीन सागर और यहां तक कि चीन के साथ हमारी अपनी सीमा पर भी समस्याएं हैं।

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आतंकवाद है। दुनिया के देशों में बड़ी वित्तीय समस्याएँ हैं। कर्ज की समस्या है, व्यापार वापसी की समस्या है। कोविड भी है। इसलिए मैं कहूंगा कि तत्काल भविष्य में, अगले तीन से पांच वर्षों में, मुझे बहुत गड़बड़ी दिखाई देती है। इसलिए हमें एक बहुत मजबूत सरकार की जरूरत है। एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास अनुभव है, विवेक है, जो भारत को इसके पार ले जाने में सक्षम हो और ये हमारा सौभाग्य है कि इन चुनौतियों से लड़ने के लिए हमारे पास मोदी जी जैसा सशक्त नेतृत्व मौजूद है।

एक अन्य सवाल में पूछा गया कि अंग्रेजी पर वैश्विक जोर दिया जा रहा है, क्या जिनके पास अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है वो पीछे रह जाएंगे। जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि अंग्रेजी जानने वालों को ही आगे बढ़ना चाहिए। जिनको कम जानकारी है वो पीछे रहें यह अन्याय है। आपने पिछले कुछ वर्षों में देखा होगा कि चिकित्सा से जुड़ी पुस्तकें या प्रौद्योगिकी से जुड़ी पुस्तकों का हिन्दी में रुपांतरण हो रहा है जो हिन्दी भाषी को डॉक्टर इंजीनियर बनने में सहायक सिद्ध हो रहा है। लेकिन वैश्वीकरण के इस युग में हमें विदेशी भाषाओं का विरोध नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका भी अपना उपयोग है। इसी प्रकार छात्रों एवं शिक्षकों द्वारा पूछे गए अनेक प्रश्नों का उन्होंने सहजता पूर्वक जवाब दिया।

इनकी रही उपस्थिति
इस अवसर पर डाॅ. विजय चैथाईवाले (प्रमुख, विदेश मंत्रालय, बीजेपी), अशोक धवन (विधान परिषद सदस्य), डाॅ. दीपक मधोक (अध्यक्ष, पूर्वांचल वेलफेयर स्कूल्स एसोसिएशन एवं सनबीम शिक्षण समूह), श्री राहुल सिंह (उपाध्यक्ष, पूर्वांचल वेलफेयर स्कूल्स एसोसिएशन एवं सचिव संत अतुलानन्द काॅन्वेण्ट स्कूल), श्री वैभव कपूर (संयोजक, विशेष सम्पर्क अभियान, लोकसभा वाराणसी), श्री पंकज राजगढ़िया (उपाध्यक्ष, पूर्वांचल वेलफेयर स्कूल्स एसोसिएशन), श्री जगदीप मधोक (कोषाध्यक्ष, पूर्वांचल वेलफेयर स्कूल्स एसोसिएशन), श्री पुष्प अग्रवाल (द्वितीय सचिव, पूर्वांचल वेलफेयर स्कूल्स एसोसिएशन), सनबीम शिक्षण समूह की उपाध्यक्ष श्रीमती भारती मधोक, निदेशिका श्रीमती अमृता बर्मन, मानद निदेशक श्री हर्ष मधोक एवं प्रधानाचार्या डाॅ. अनुपमा मिश्रा आदि गणमान्य उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन सौरभ चक्रवर्ती एवं नमन कपूर द्वारा किया गया, अन्त में श्री राहुल सिंह (उपाध्यक्ष, पूर्वांचल वेलफेयर स्कूल्स एसोसिएशन) ने मुख्य अतिथि एवं उपस्थित सुधिजनों के प्रति कृतज्ञता एवं धन्यवाद-ज्ञापन किया।

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