अजीत मिश्र
पटना। कई दिनों से जारी प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों के भागदौड़ और सरकार पर दबाव के बावजूद सरकार ने सूबे में फिलहाल स्कूल-कालेजों को खोलने से साफ मना कर दिया है।बिहार में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़कर जहां 6000 से अधिक हो गयी है,वहीं 35 लोगों की मौत भी सूचना है।इस स्थिति में सरकार बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही बरतने को तैयार नहीं है।बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने आज बताया कि कोरोना वायरस के खतरे को ध्यान में रखते हुए फिलहाल बिहार में शैक्षणिक संस्थान खोलना जल्दबाजी होगी।
शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में शिक्षा विभाग समीक्षा बैठक करेगा,जिसमें इस बात का फैसला लिया जा सकता है कि बिहार में शिक्षण संस्थान यानी स्कूल-कॉलेज कब खुलेंगे।उन्होंने कहा कि सभी जिलों के अभिभावकों,छात्रों और संस्थान के निदेशकों से सुझाव मांगे गए थे, जिसमें से अधिकांश सुझाव संस्थान खोलने की सहमति देने लायक नहीं थे।ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने फिलहाल शिक्षण संस्थानों को नहीं खोलने का निर्णय लिया है।
हालांकि इस महामारी में छात्रों का पठन पाठन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।स्कूल प्रबंधन स्कूल नहीं खुलने के बावजूद नियमित तौर पर अभिभवकों पर फ़ीस का दबाव बनाए हुए है वहीं कई प्रबन्धकों पर अपने अध्यापकों के साथ मनमानी के भी आरोप हैं।कई जगह प्राइवेट अध्यापकों की सेवाएं भी समाप्त कर देने की शिकायतें मिल रही हैं।