Varanasi

दीपक जैन : संवेदनाओं से भरा एक दीप, जिसने हर दिल में उजाला कर दिया

स्वर्गीय दीपक जैन श्री काशी दिगंबर जैन समाज के वह प्रकाशपुंज थे, जिन्होंने सादगी, सेवा और संवेदनशीलता से हर दिल में जगह बनाई। वे धर्म, समाज और व्यवसाय - तीनों में समर्पण की मिसाल थे। “सप्तऋषि मित्र मंडली” के प्रमुख दीप के रूप में वे मित्रता, स्नेह और मानवीयता के प्रतीक बने। उनकी कोमलता और ईमानदारी ने उन्हें सबका प्रिय बना दिया। उनका जीवन आज भी प्रेरणा और आदर्श का स्रोत है।

  • कोमल हृदय, सौम्य स्वभाव और सेवा भावना से समाज में अमिट छाप छोड़ने वाले स्वर्गीय दीपक जैन का जीवन आज भी प्रेरणा का प्रकाशस्तंभ है।

वाराणसी। कुछ लोग अपनी मौजूदगी से नहीं, बल्कि अपने कर्मों और करुणा से हमेशा अमर हो जाते हैं। श्री काशी दिगंबर जैन समाज के संरक्षक, पूर्व अध्यक्ष, प्रतिष्ठित उद्योगपति और समाजसेवी स्वर्गीय दीपक जैन ऐसे ही व्यक्तित्व थे – संवेदनशील हृदय वाले, अत्यंत भावुक, लेकिन भीतर से अद्भुत रूप से मजबूत इंसान। उन्होंने धर्म, समाज और व्यापार – तीनों को सेवा का माध्यम बनाया और अपने जीवन से यह सिखाया कि “महानता सफलता में नहीं, संवेदना में होती है।” उनका एक सपना था – वाराणसी के चंद्रावती में एक भव्य जैन मंदिर का निर्माण। यह सपना उनके असमय निधन से अधूरा रह गया, किंतु समाज आज भी इसे उनके नाम से पूरा करने का संकल्प लिए हुए है।

स्व. दीपक जैन का व्यक्तित्व सादगी और सौम्यता का प्रतीक था। वे गणिनी प्रमुख अर्हिका श्री ज्ञानमती माताजी के अनन्य शिष्य रहे। माताजी के मार्गदर्शन में उन्होंने मांगीतुंगी (महाराष्ट्र) और हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश) के जैन मंदिरों के निर्माण और जीर्णोद्धार में अग्रणी भूमिका निभाई। उनका दिन श्री काशी दिगंबर जैन मंदिर, भेलूपुर में अभिषेक से प्रारंभ होता था। धर्म उनके जीवन का केंद्र था, और सेवा उसका सार। समाज में वे “जैन समाज के संकटमोचक” कहलाते थे। संवाद, सहमति और संवेदना – यही उनके नेतृत्व की पहचान थी। सारनाथ और नरिया जैन मंदिरों की वर्षों पुरानी समस्याएँ उनके प्रयासों से सुलझीं। उन्होंने अपने पिता स्व. ऋषभ जैन (पूर्व अध्यक्ष) की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भेलूपुर जैन मंदिर को और भी भव्य रूप दिया। उनका विश्वास था – “हर समस्या बातों से हल हो जाती है, बस नीयत और नज़रिया साफ होना चाहिए।”

संकल्प संस्था के संरक्षक अनिल कुमार जैन ने कहा, “दीपक जैन जी समाज के ऐसे व्यक्ति थे, जिनकी कोमलता ही उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। वे मानते थे कि संवाद हर विवाद का हल है, और इसी सोच ने उन्हें असाधारण बनाया।” व्यवसाय में भी उन्होंने ईमानदारी और मानवता की मिसाल पेश की। 1974 में अपने पिता के साथ वाराणसी में टेक्सटाइल उद्योग की नींव रखी। बाद में उन्होंने रियल एस्टेट में कदम रखा और पीडीआर मॉल सहित अनेक परियोजनाएँ पूरी कीं। वाराणसी टेक्सटाइल यार्न फैक्ट्री के अधिष्ठाता के रूप में उन्होंने सैकड़ों परिवारों को रोज़गार दिया। एक कर्मचारी ने भावुक होकर कहा – “हमने मालिक नहीं, अपना अभिभावक खो दिया।” राजकुमार टिबड़ेवाल ने कहा, “दीपक जैन ने व्यवसाय को सेवा का माध्यम बनाया। उनकी सत्यनिष्ठा और सादगी हमारे लिए प्रेरणा हैं।”

मित्रों के बीच स्व. दीपक जैन का व्यक्तित्व सबसे अलग था। वे अत्यंत भावुक, सहज और आत्मीय व्यक्ति थे। “सप्तऋषि मित्र मंडली” के प्रमुख दीप के रूप में वे काशी में मित्रता और स्नेह का प्रतीक बन गए। उनके साथी कहते हैं, “दीपक भैया वह दीप थे, जो हर दिल में रोशनी भर देते थे। उनकी मुस्कान हर चिंता मिटा देती थी।”

पुत्र प्रतीक जैन ने भावुक होकर कहा, “पिताजी ने सिखाया कि सेवा, सच्चाई और सहयोग ही जीवन का सबसे बड़ा धर्म है। उनके विचार और मूल्य हमारे हर कदम में दिशा देंगे।”

वास्तव में, स्वर्गीय दीपक जैन का जीवन एक ऐसे दीपक की तरह था जो स्वयं जलकर भी समाज को आलोकित करता रहा। उनकी स्मृतियाँ, उनके कर्म और उनका स्नेह – आज भी हर हृदय में उजाला फैला रहे हैं।वे ईस्टर्न यूपी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के संस्थापक सदस्य थे और एक्सपोर्ट प्रेसिडेंट अवॉर्ड सहित अनेक सरकारी सम्मान प्राप्त कर चुके थे। वे संकल्प संस्था और रोटरी क्लब इंटरनेशनल के सक्रिय सदस्य भी रहे।

सीएमजी टाइम्स परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि

संवेदनाओं से भरे, कोमल हृदय और सौम्य स्वभाव के धनी स्वर्गीय दीपक जैन जी का जीवन समाज, धर्म और मानवता के प्रति समर्पण की अनुपम मिसाल रहा। उन्होंने सेवा को साधना और संवाद को समाधान का मार्ग बनाया। उनकी मुस्कान, उनका अपनापन और उनका निस्वार्थ प्रेम आज भी हर हृदय में उजाला कर रहा है। वे “सप्तऋषि मित्र मंडली” के वह दीप थे, जिनके स्नेह ने मित्रता को जीवन का सबसे सुंदर रूप दिया। उनका विश्वास था – “हर समस्या बातों से हल हो जाती है, बस नीयत और नज़रिया साफ होना चाहिए।” काशी उन्हें नमन करती है – उस दीपक को, जो स्वयं जलकर भी दूसरों के जीवन में प्रकाश भर गया।

आपकी प्रेरणा, आपके मूल्य और आपकी सादगी हमारे हृदयों में सदा अमर रहेंगे।

वाराणसी का वह चिकित्सक, जिसके शब्द ही दवा बन जाते थे..

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