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बजट में व्यक्तिगत आयकर की दरों में कटौती, घरेलू उद्योंगों के हक में सीमा शुल्क की दरें बढ़ायी गयी

नयी दिल्ली, फरवरी । आर्थिक सुस्ती से जूझ रही अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने के लिये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को पेश आम बजट में व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती करने के साथ ही सस्ते मकानों पर कर लाभ बढ़ाने और कंपनियों पर लाभांश वितरण कर समाप्त करने की घोषणा की।

वित्त मंत्री ने लोकसभा में 2020- 21 का बजट पेश करते हुये रसोई और भोजन की मेज पर इस्तेमाल होने वाले बर्तनों, बिजली के सामान से लेकर चप्पल जूते, फर्नीचर, स्टेशनरी और खिलौनों पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया है। इससे ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलने और घरेलू कंपनियों को सस्ते आयात से सुरक्षा मिलने की उम्मीद है।

सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसर बजट पेश करते हुये व्यक्तिगत आयकर दाताओं को घटी दरों के साथ वैकल्पिक आयकर व्यवस्था का प्रस्ताव किया है। सात स्लैब वाली नई प्रस्तावित कर व्यवस्था में मौजूदा पांच, 20 और 30 प्रतिशत की कर दर के अलावा 10 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 25 प्रतिशत के नये स्लैब शामिल किये गये हैं। आयकर की नई व्यवस्था वैकल्पिक रखी गई है और जो करदाता अलग अलग रियायतें और कटौतियां नहीं लेना चाहेंगे वह इस नई व्यवस्था को अपना सकते हैं।

नई आयकर व्यवसथा में ढाई लाख रुपये तक की सालाना आय को पहले की तरह कर मुक्त रखा गया है जबकि ढाई लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये की आय पर 5 प्रतिशत की दर से आयकर देय होगा। इसी प्रकार 5 से 7.5 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 7.5 से 10 लाख रुपये की आय पर 15 प्रतिशत, 10 से 12.5 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत, 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये की आय पर 25 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर का प्रस्ताव किया गया है।

बजट के अनुसार प्रस्तावि वैकल्पिक नए आयकर ढांचे को चुनने वाले करदाताओं को आयकर कानून की धारा 80सी और 80डी, यात्रा भत्ता, आवास किराया भत्ता, मनोरंजन भत्ता, पेशेवर कर और खुद के मकान अथवा खाली पड़ी संपत्ति के आवास रिण के ब्याज पर मिलने वाले कर लाभ और कटौती उपलब्ध नहीं होगी।

वित्त मंत्री ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘हमारा लक्ष्य आने वाले समय में आयकर पर रियायतों और कटौतियों की व्यवस्था को समाप्त करना है।’

व्यक्तिगत आयकर की मौजूदा व्यवस्था में ढाई लाख रुपये की सालाना आय पूरी तरह से करमुक्त है। इसके बाद ढाई लाख से 5 लाख रुपये की आय पर पांच प्रतिशत, पांच से 10 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिात और 10 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगता है।

वित्त मंत्री ने बजट प्रस्ताव में कहा कि आयकर की नई दरें करदाताओं के लिये वैकल्पिक हैं। यानी वह चाहें तो नये कर स्लैब के अनुरूप कर का भुगतान कर सकते हैं या फिर पुरानी व्यवस्था के मुताबिक ही आयकर का भुगतान कर सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट कि कि दोनों व्यवस्थाओं में पांच लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं देना होगा।

पिछले 11 साल के निम्न स्तर पर पहुंच आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिये वित्त मंत्री ने ढांचागत परियोजनाओं, ग्रामीण विकास और कृषि क्षेत्र पर खर्च बढ़ाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने कहा कि किसान कल्याण और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये सरकार 16 सूत्रीय कार्ययोजना का प्रस्ताव कर रही है। उन्होंने कहा कि कृषि सेवाओं में व्यापक निवेश की जरूरत है।

सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 6.11 करोड़ किसानों का बीमा किया है।

सीतारमण ने पिछले साल सितंबर में कंपनी कर में भी भारी कटौती का तोहफा कंपनियों को दिया। कंपनी कर में करीब 10 प्रतिशत की कटौती करने से सरकारी खजाने को 1.45 लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया। यही वजह है कि 2019- 20 का राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत के बजट अनुमान से बढ़कर 3.8 प्रतिशत के संशोधित अनुमान पर पहुंच गया।

नये वित्त वर्ष 2020- 21 के लिये राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत रहने का बजट अनुमान लगाया गया है।

वित्त मंत्री ने प्रत्यक्ष कर क्षेत्रमें व्यापक सुधार उपायों को आगे बढ़ाते हुये पुराने विवादित कर मामलों का निपटान करने के लिये ‘‘विवाद से विश्वास’’ योजना की एक बार फिर घोषणा की है। इस योजना के तहत 31 मार्च 2020 तक करदाता यदि भुगतान करता है तो केवल विवादित राशि का ही भुगतान करना होगा। ब्याज और जुर्माने से छूट होगी। इस तिथि के बाद योजना का लाभ उठाने वालों को करदाताओं को कुछ अतिरिक्त कर राशि का भुगतान करना पड़ सकता है। योजना 30 जून 2020 तक खुली रहेगी।

वर्ष 2020- 21 का कुल बजट 30 लाख 42 हजार 230 करोड़ रुपये का है जिसमें कर राजस्व प्राप्तियां 20 लाख 20 हजार 926 करोड़ रुपये, उधार एवं अन्य प्राप्तियों से 10 लाख 21 हजार 304 करोड़ रुपये प्राप्त करने का बजट अनुमान रखा गया है। बजट में राजस्व घाटा 2019- 20 के बजट अनुमान 2.3 प्रतिशत के मुकाबले मामूली बढ़कर 2.4 प्रतिशत रहने का संशोधित अनुमान लगाया गया है जबकि 2020- 21 में इसके 2.7 प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान है।

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