CrimeState

यौनकर्मी की सेवाएं लेने वाला ग्राहक भी दोषी, न्यायालय का अहम फैसला

  • यौन सेवाएं लेने वाले पर भी अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा संभव
  • सरथ चंद्रन मामले में ऐतिहासिक फैसला, धारा 5(1)(d) और 7 बरकरार

तिरुवनंतपुरम : केरल उच्च न्यायालय ने वेश्यावृत्ति से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि यौनकर्मी की सेवाएं लेने वाला व्यक्ति भी “वेश्यावृत्ति के लिए प्रेरित करने वाला” माना जाएगा और उस पर अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति वी.जी. अरुण की पीठ ने सरथ चंद्रन बनाम केरल राज्य (Crl.M.C. No. 8198/2022, Neutral Citation: 2025\:KER:59585) मामले में सुनाया।

मामला क्या है

यह केस पेरूरकाडा पुलिस स्टेशन (अपराध संख्या 331/2021) से जुड़ा है। 18 मार्च 2021 को तिरुवनंतपुरम के कुडप्पनक्कुन्नू क्षेत्र में स्थित एक मकान (TC-21/755) पर पुलिस ने छापा मारा। छापेमारी में घर के अंदर सरथ चंद्रन और एक महिला को नग्न अवस्था में पाया गया। अन्य कमरों में भी पुरुष और महिलाएं मौजूद थे। जांच में सामने आया कि मकान में चल रहे वेश्यालय का संचालन आरोपी संख्या 1 और 2 कर रहे थे। वे ग्राहकों से 2000 प्रति घंटे वसूल रहे थे और यौनकर्मियों को 1000 भुगतान कर रहे थे।

याचिकाकर्ता का पक्ष

सरथ चंद्रन ने अपने वकील के माध्यम से अदालत में तर्क दिया कि वह केवल “ग्राहक” था, वेश्यालय से उसका कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने कहा कि:

  • धारा 3 (वेश्यालय चलाना) और धारा 4 (वेश्यावृत्ति से आय पर निर्भर रहना) उस पर लागू नहीं होतीं।
  • धारा 7 (निषिद्ध क्षेत्र में वेश्यावृत्ति) तभी लागू होगी जब यह साबित हो कि क्षेत्र अधिसूचित था।
  • धारा 5(1)(d) (वेश्यावृत्ति के लिए प्रेरित करना) के तहत भी वह दोषी नहीं है क्योंकि उसने किसी को प्रेरित नहीं किया, केवल सेवा ली।

हाईकोर्ट का निर्णय

न्यायालय ने विस्तार से सभी धाराओं पर विचार किया और कहा—

  • धारा 3 और 4 के आरोप सरथ चंद्रन पर लागू नहीं होते, इसलिए इन्हें निरस्त किया गया।
  • धारा 7 के तहत कार्रवाई बरकरार रहेगी, बशर्ते अभियोजन यह साबित करे कि कृत्य निषिद्ध क्षेत्र में हुआ।
  • धारा 5(1)(d) पूरी तरह लागू होगी क्योंकि ग्राहक द्वारा भुगतान करना ही यौनकर्मी को वेश्यावृत्ति के लिए “प्रेरित” करना है।

अदालत ने Mathai v. State of Kerala (2022) और Abhijith v. State of Kerala (2023) मामलों का हवाला देते हुए कहा कि ग्राहक भी वेश्यावृत्ति की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार होता है।

न्यायालय की कड़ी टिप्पणी

न्यायालय ने कहा कि अधिकांश यौनकर्मी मानव तस्करी की शिकार होती हैं और उन्हें मजबूरी में इस धंधे में धकेला जाता है। ऐसे में, सेवाएं लेने वाले को सिर्फ “ग्राहक” कहना भ्रामक है। यौन सेवाओं के बदले दी गई राशि ही उस महिला को शोषण की स्थिति में बनाए रखती है।

कानूनी महत्व

यह फैसला एक अहम मिसाल है। अदालत ने साफ कर दिया कि वेश्यावृत्ति में शामिल **ग्राहक भी दोषी है और उसे अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम की धाराओं के तहत दंडित किया जा सकता है।

भोजपुरी फिल्मों की कहानी और संवाद में गिरावट: संस्कृति की आत्मा को चोट

BABA GANINATH BHAKT MANDAL  BABA GANINATH BHAKT MANDAL

Related Articles

Back to top button