
देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच एम्स डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने भारत की बढ़ती हुई आर-वैल्यू को देखते हुए चिंता जताई है। डॉ गुलेरिया ने कहा कि आर-वैल्यू 0.96 से शुरू होकर 1 तक जाना, चिंता का विषय है। इसका बढ़ना दिखाता है कि एक कोविड संक्रमित व्यक्ति से संक्रमण फैलने की संभावना अब ज्यादा हो गई है। डॉ गुलेरिया ने आगे कहा कि जिन क्षेत्रों में यह उछाल देखा जा रहा है, उनपर प्रतिबंध लगाना चाहिए और ट्रांसमिशन की चेन तोड़ने के लिए टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट रणनीति अपनानी चाहिए।
लेकिन यह ‘आर’ फैक्टर है क्या, जिसे लेकर इतनी चिंता जताई जा रही है? चलिए जानते हैं कि इस समय आर फैक्टर क्या है और यह कैसे केस बढ़ने का संकेत देता है?
क्या है आर वैल्यू?
आर फैक्टर यानि यानी रिप्रोडक्शन रेट। ये बताता है कि किसी एक इन्फेक्टेड व्यक्ति से कितने लोग आगे इन्फेक्ट हो रहे हैं या भविष्य में हो सकते हैं। मान लीजिये आर फैक्टर 1.0 से ज्यादा है तो इसका मतलब है कि केस बढ़ रहे हैं। वहीं, आर फैक्टर 1.0 से कम है या कम होते चले जा रहा है तो ये केस घटने का संकेत होता है। आसान शब्दों में समझें, तो अगर 100 व्यक्ति इन्फेक्टेड हैं, वह 100 लोगों को इन्फेक्ट करते हैं तो आर वैल्यू होगी 1। लेकिन, अगर वे 100 लोग 80 लोगों को इन्फेक्ट कर रहे हैं तो यह आर वैल्यू होगी 0.80।
भारत में आर वैल्यू कितनी है?
इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंसेस, चैन्नई की स्टडी के अनुसार, देश में जुलाई में यह आर फैक्टर 1.0 से अधिक पहुंच गया है। पूरे भारत में मई के मध्य में यह 0.78 था। यानि 100 लोग 78 लोगों को ही इन्फेक्ट कर पा रहे थे। पर जुलाई के अंत में और अगस्त के पहले हफ्ते में आर वैल्यू बढ़कर 1.0 हो गई है। यानी 100 लोग 100 लोगों को इन्फेक्ट कर रहे हैं। डॉ रणदीप गुलेरिया भारत के संदर्भ में समझाते हुए कहते हैं, कि “खसरा या चिकनपॉक्स में 8 या उससे अधिक का आर-फैक्टर होता है, जिसका मतलब है कि एक व्यक्ति आठ अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। इससे आप समझ सकते हैं कि यह वायरस अत्यधिक संक्रामक है।”
आर-वैल्यू के घटने-बढ़ने का क्या मतलब है?
अब आप सोच रहे होंगे कि आर-वैल्यू के घटने और बढ़ने का क्या मतलब होता है? दरअसल, इस स्टडी के मुताबिक, जितनी ज्यादा आर वैल्यू होगी उतने ही तेजी से केस आएंगे। अगर 1.0 पर आर वैल्यू कायम रहती है, तो अगस्त तक एक्टिव केस उतने ही रहेंगे जितने आ रहे हैं, अगर आर-वैल्यू घटती है तो एक्टिव केस की संख्या भी अपने आप घटेगी। जाहिर सी बात है आर-वैल्यू में 0.1 का अंतर भी दो हफ्ते में एक्टिव केसेज की संख्या को दोगुना कर सकता है। अगर ‘आर’ एक से अधिक होगा तो हर चरण में संक्रमितों की संख्या बढ़ती जाएगी, तकनीकी रूप से, इसे महामारी का चरण कहा जाता है। यह संख्या जितनी बड़ी होगी, महामारी आबादी में उतनी ही तेजी से फैलेगी।
केरल भेजी गई 6 सदस्यों की टीम
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, केरल में कोविड का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है। वहां आर-वैल्यू लगातार 1.11 के करीब बनी हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोविड-19 के प्रभावी प्रबंधन के लिए केरल में 6 सदस्यों की एक टीम भेजी गयी है, जो उन जिलों का दौरा करेगी जहां संक्रमण की दर सबसे ज्यादा सामने आ रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी ट्वीट कर कहा कि केंद्र सरकार एनसीडीसी निदेशक की अगुवाई में सदस्यीय टीम केरल भेज रही है। केरल में कोविड के मामले अब भी बहुत ज्यादा सामने आने के कारण टीम कोविड प्रबंधन में राज्य के जारी प्रयासों में मदद करेगी।
गृह मंत्रालय भी लिख चुका है राज्यों को पत्र
बता दें, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इससे पहले जुलाई में सभी राज्यों को कोविड-19 के बढ़ते ‘आर’ फैक्टर को लेकर अलर्ट किया था। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्यों को पत्र लिखकर कहा था कि आपको पता ही होगा कि आर फैक्टर का 1.0 से अधिक होना कोविड-19 के केस बढ़ने का संकेत है। इसलिए बेहद जरूरी है कि अधिकारी सतर्क हो जाएं और भीड़ वाले इलाकों में मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य कोविड-19 बचाव उपायों का सख्ती से पालन कराएं।