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कांग्रेस नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुख राम का निधन

नई दिल्ली : हिमाचल प्रदेश की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम का निधन हो गया। वे 94 साल के थे। मंगलवार देर रात्रि दिल्ली एम्स में उन्होंने आखिरी सांसें ली। बीते चार मई को मनाली में उन्हें ब्रेन स्ट्रोक पड़ा था। इसके बाद उन्हें मंडी जोनल अस्पताल में भर्ती किया गया। सात मई को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के हेलीकॉप्टर से उन्हें मंडी से एयरलिफ्ट कर दिल्ली स्थित एम्स लाया गया था। जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी।

पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है ‘अलविदा दादाजी, अभी नहीं बजेगी फोन की घंटी।’ पंडित सुखराम के निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक छा गया है। उन्हें हिमाचल प्रदेश में संचार क्रांति का जनक माना जाता है। पंडित सुखराम वर्ष 1993 से 1996 तक केंद्रीय दूरसंचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रहे।

आज प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में भी टेलीफोन की घंटी बजती है और लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, यह सब पंडित सुखराम की देन है। इसके अलावा पर्यटन उद्योग को संचार के माध्यम से जो फायदा हुआ है और कृषि उत्पादों को मंडियों के माध्यम से राष्ट्रीय बाजार से जाना सुखराम के प्रयासों से हुआ है।

पंडित सुखराम ने पांच बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा का चुनाव जीता। केंद्रीय मंत्री रहते भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी पाए जाने पर वर्ष 2011 में अदालत ने उन्हें पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी। कांग्रेस के राज में केंद्रीय मंत्री रहते पंडित सुखराम दूरसंचार घोटाले में घिरने के चलते पार्टी से निष्कासित कर दिए गए थे।

उन्होंने पहली बार 1998 में कांग्रेस से अलग होकर हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी का गठन किया था।इसके तुरंत बाद उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस (हिविकां) का गठन कर दिया था। 1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को 31-31 सीटें मिलीं लेकिन सुखराम की हिविकां ने धूमल को समर्थन देकर वीरभद्र के नेतृत्व वाली कांग्रेस को महज एक सीट के अंतर से सरकार बनाने से रोक दिया।

भाजपा की सरकार में धूमल मुख्यमंत्री बने। पंडित सुखराम ने इसके बाद वर्ष 2003 में परिवार समेत कांग्रेस में वापसी कर ली। उनके बेटे अनिल शर्मा ने सदर से चुनाव लड़ा और सरकार में मंत्री बने। इसके बाद से सुखराम परिवार वर्ष 2017 तक कांग्रेस में रहा।

लेकिन विधानसभा चुनाव के साल 2017 में वीरभद्र सिंह से नोकझोंक पर चुनाव से ऐन पहले सुखराम परिवार भाजपा में शामिल हो गया। अनिल शर्मा उस वक्त कांग्रेस की वीरभद्र सरकार में पंचायती राज मंत्री थे। लोकसभा चुनाव से पहले पंडित सुखराम शर्मा ने पोते आश्रय के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया था।

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