NationalState

रामविलास पासवान पंचतत्व में विलीन,बेटे चिराग पासवान ने दी मुखाग्नि

पटना । बिहार के कद्दावर नेता एवं केंद्रीय मंत्री रहे रामविलास पासवान का शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ हाजीपुर के पास दीघा स्थित जनार्दन घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। पासवान के पुत्र एवं सांसद चिराग पासवान ने मुखाग्नि दी। लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक दिवंगत पासवान के अंतिम संस्कार में दलों का भेद नहीं दिखा और उनकी अंतिम यात्रा में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की मौजूदगी दिखी। अंतिम संस्कार के दौरान दीघा स्थित घाट पर भारी संख्या में लोग मौजूद थे और ‘रामविलास अमर रहें’ के नारे लगा रहे थे। इस दौरान घाट पर पासवान की पत्नी रीना पासवान भी मौजूद थीं। आसपास के गांव से काफी संख्या में लोग लकड़ी लेकर आए थे। काफी संख्या में लोग दीघा घाट पर अपने नेता की एक अंतिम झलक पाने के लिये पहुंचे थे और वे कोविड-19 महामारी के खतरे से भी बेपरवाह नजर आ रहे थे।

लोगों के बीच सामाजिक दूर बनाये रखने के लिये सुरक्षा बलों को इस दौरान काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी। लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के साथ 70 के दशक में अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले रामविलास पासवान 1969 में पहली बार अलौली सीट से विधानसभा चुनाव जीते थे। 1977 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले पासवान 9 बार लोकसभा सांसद रहे। साल 2000 में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया था। रामविलास पासवान बिहार के ऐसे नेता थे, जिन्होंने देश के छह प्रधानमंत्री के साथ काम किया। अंतिम यात्रा एसके पुरी स्थित उनके आवास से शुरू हुई। जनार्दन घाट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, राजद नेता तेजस्वी यादव, भाजपा नेता मंगल पांडे समेत विभिन्न नेताओं ने रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि दी। रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि देने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “उनके निधन से हम सभी दुखी हैं। उन्होंने युवा अवस्था से ही सेवा का काम किया है। हम उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। कामना करते हैं कि उनके जो काम हैं उनको लोग याद रखेंगे।”

पासवान के अंतिम संस्कार में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद शामिल हुए। रविशंकर प्रसाद ने कहा, “रामविलास जी बिहार ही नहीं, देश के नेता थे, वो एक जन नेता थे। मैं अटल जी की सरकार में उनके साथ कोयला खान राज्य मंत्री था, मैं उनकी क्षमता जानता हूं। वो उपेक्षितों की एक बहुत बड़ी आवाज़ बने। ये उनके जाने का समय नहीं था।” गौरतलब है कि लंबी बीमारी के बाद गुरुवार देर शाम पासवान का निधन हो गया। 74 वर्षीय पासवान पिछले कई दिनों से दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। अभी कुछ दिनों पहले ही उनके हृदय का ऑपरेशन भी हुआ था।

BABA GANINATH BHAKT MANDAL  BABA GANINATH BHAKT MANDAL

Related Articles

Back to top button