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समय के अनुरूप खुद को तैयार न करने वाले पीछे छूट जाते हैं : मुख्यमंत्री

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह सामरोह के समापन अवसर पर बोले सीएम योगी

  • सामूहिकता की भावना और टीम वर्क से प्रयास के आएंगे सार्थक परिणाम : मुख्यमंत्री

गोरखपुर । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कालचक्र किसी की परवाह नहीं करता है, उसका प्रवाह निरंतर चलता रहता है, इसलिए हमें खुद को समय की धारा के अनुरूप तैयार करना होगा। समय के अनुरूप सोचने और चलने की आदत डालनी होगी। समय के अनुरूप खुद को तैयार न कर पाने वाले पिछड़ कर पिछलग्गू हो जाते हैं।

सीएम योगी मंगलवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 92वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम समय के अनुरूप समाज के प्रत्येक तबके को जोड़ते हुए टीम भावना के साथ समाज और देश हित के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाएं। जब सामूहिकता की भावना और टीम वर्क से प्रयास किए जाएंगे तो परिणाम भी उसी के अनुरूप सार्थक आएंगे। परिणाम ही प्रयास और तैयारी के स्तर का वास्तविक परिचय देता है।

टीम वर्क से सफलता का प्रमाण है इंसेफेलाइटिस पर नियंत्रण

टीम वर्क और परिणाम के बीच साम्य को समझाते हुए मुख्यमंत्री ने इंसेफेलाइटिस नियंत्रण की सफलता को भी उद्घृत किया। उन्होंने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश का बचपन इंसेफेलाइटिस के दुष्चक्र में 1977 से लेकर 40 साल तक फंसा रहा। पूर्वी उत्तर प्रदेश के 38 जिलों में पचास हजार से अधिक बच्चों की मौत हो गई। पहले उपचार की व्यवस्था नहीं थी। उपचार की व्यवस्था हुई, वैक्सीन आया तो वायरस ने अपना नेचर चेंज कर लिया। 2017 में जब हमारी सरकार आई तो प्रदेश और केंद्र सरकार ने टीम भावना के साथ, डब्लूएचओ, यूनिसेफ और अन्य संगठनों के सहयोग तथा सरकार के विभिन्न विभागों के समन्वय से मिलकर लड़ाई लड़ी। इसका परिणाम रहा कि 40 साल की समस्या का समाधान 2 साल में हो गया। इंसेफेलाइटिस नियंत्रण की सफलता कठिन चुनौतियों का सामना करने से लेकर टीम भावना से परिणाम प्राप्त करने की यात्रा रही है।

मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से बचें, रचनात्मक गतिविधियों को दें समय

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज की पीढ़ी के मोबाइल फोन के इस्तेमाल में अत्यधिक समय बिताने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी मोबाइल के उपयोग में अनावश्यक अत्यधिक समय बिताने से बचे। अपना समय प्रकृति के बीच, रचनात्मक कार्यों, अध्ययन और कौशल विकास की गतिविधियों में बिताए। उन्होंने आगाह किया कि हमें यह ध्यान रखना होगा कि तकनीकी हमसे संचालित हो, हम तकनीकी से संचालित न हों।

रुचि के अनुसार लीक से हटकर कुछ नया करने का हो प्रयास

नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के जीवन से सीख लेने की बात करते हुए सीएम योगी ने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी रुचि के अनुसार लीक से हटकर कुछ नया करने का प्रयास करना चाहिए। यह क्षेत्र समाज सेवा, सामाजिक चेतना, महिला एवं बाल उत्थान, अन्नदाता किसानों के जीवन में परिवर्तन या समाज से जुड़ा कुछ भी हो सकता है। हम किसी भी एक क्षेत्र को चुनकर आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र में, रुचि के अनुसार ईमानदारी और कठिन परिश्रम से कार्य करेंगे तो परिणाम अवश्य आएगा। उन्होंने कहा कि जीवन शॉर्टकट का मार्ग नहीं है। जीवन में सफलता के सतत प्रवाह के लिए परिश्रम और ईमानदारी का कोई विकल्प नहीं है।

विजन और एक्शन के बिना चलते होता है कन्फ्यूजन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यदि जीवन मे अधूरी तैयारी होगी, विजन और एक्शन नहीं होगा तो कन्फ्यूजन की स्थिति बनी रहेगी। जीवन का उद्देश्य सिर्फ डिग्री और नौकरी हासिल करना नहीं हो सकता। जीवन का उद्देश्य विराट होना चाहिए। यदि हम विजन के अनुरूप निष्ठा और ईमानदारी से प्रयास करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने यही साबित किया है।

कैलाश सत्यार्थी का जीवन सबके लिए प्रेरक

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात समाज सुधारक और नोबल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का स्वागत करते हुए सीएम योगी ने कहा कि आज ही के दिन दस वर्ष पूर्व उन्हें दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ था। कैलाश सत्यार्थी का जीवन प्रत्येक क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरक है, खासकर उन युवाओं के लिए जो किन्हीं कारणों से असमंजस की स्थिति में रहते हैं।

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापकों के मूल्यों-आदर्शों को आगे बढ़ाने को प्रतिबद्ध

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद अपने संस्थापकों के मूल्यों और आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए 92 वर्षों से निरंतर प्रतिबद्ध के साथ कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था और नागरिकों के मन में असमंजस की स्थिति थी, तब युवाओं में देश हित और स्वाभिमान की भावना को जगाने के लिए 1932 में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी। देश और स्वाभिमान की प्रेरणा के प्रतीक महाराणा प्रताप के त्याग और बलिदान को केंद्र में रखकर राष्ट्रवादी शिक्षा का कार्य प्रारंभ किया। आज यह परिषद पूर्वी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रवादी शिक्षा की गतिविधियों को निरंतर आगे बढ़ाते हुए सेवारत है।

संस्थाओं और मेधावियों को किया गया पुरस्कृत

संस्थापक सप्ताह के मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नोबल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की उत्कृष्ट संस्थाओं, शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया। मंच से 200 पुरस्कार वितरित किए गए। करीब 800 पुरस्कार संस्थाओं के माध्यम से वितरित किए जाएंगे।

शिप्रा सिंह की पुस्तक ‘शिक्षा की भारतीय अवधारणा’ का हुआ विमोचन

संस्थापक समारोह के मुख्य महोत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नोबल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के हाथों एमपीपीजी कॉलेज जंगल धूसड़ में शिक्षा शास्त्र विभाग की अध्यक्ष शिप्रा सिंह की पुस्तक ‘शिक्षा की भारतीय अवधारणा’ का विमोचन भी किया गया।संस्थापक सप्ताह के समापन समारोह में स्वागत संबोधन महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. यूपी सिंह, आभार ज्ञापन डीवीएपीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. ओमप्रकाश सिंह और संचालन डॉ. श्रीभगवान सिंह ने किया।

इस अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन, महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके सिंह, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय आरोग्यधाम के कुलपति डॉ. सुरिंदर सिंह, मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय बलरामपुर के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह, सांसद रविकिशन शुक्ल, महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, एमएलसी डॉ. धर्मेंद्र सिंह, विधायक फतेह बहादुर सिंह, राजेश त्रिपाठी, विपिन सिंह, महेंद्रपाल सिंह, प्रदीप शुक्ल, सरवन निषाद, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी, कैलाश सत्यार्थी की पत्नी सुमेधा सत्यार्थी, कालीबाड़ी के महंत रविंद्रदास, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के सभी पदाधिकारी व सदस्य, परिषद से जुड़ी शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों, शिक्षकों व विद्यार्थियों की सहभागिता रही।

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