
आरएसएस के शिक्षा वर्गों में बदलाव किया गया
भुज : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल ने संघ में शामिल होने वाले लोगों के प्रशिक्षण की व्यवस्था यानी शिक्षा वर्ग में समय के हिसाब से व्यापक परिवर्तन करने तथा जनवरी के प्रथम पखवाड़े में देश के हर घर में श्री रामलला के चित्र के साथ जनसंपर्क करने का निर्णय लिया है।
संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की यहां चली तीन दिन की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। बैठक में संघ के संगठन के हिसाब से 45 प्रांतों एवं 11 क्षेत्रों के संघचालक, कार्यवाह, प्रचारक, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य तथा कुछ विविध संगठनों के अखिल भारतीय संगठन मंत्रियों सहित 357 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।बैठक के समापन के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले संवाददाताओं को तीन दिनों में हुई चर्चा के बिन्दुओं और निर्णयों की जानकारी दी।सरकार्यवाह ने कहा कि राष्ट्रीय अस्मिता का बहुत बड़ा आंदोलन हमारे जीवन में हुआ है। श्री राम जन्मभूमि मंदिर का कार्य लगभग संपन्न हो रहा है। 22 जनवरी को श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा नवनिर्मित मंदिर में होने वाली है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण दिया है।
देशभर के लोग इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनें, इसके लिए 1 जनवरी से 15 जनवरी तक देशभर में व्यापक जनसंपर्क अभियान के निमित्त पूजित अक्षत और श्री रामलला का चित्र लेकर स्वयंसेवक घर-घर जनसंपर्क करेंगे।उन्होंने बताया कि बैठक में व्यापक विचार-विमर्श के बाद संघ के प्रशिक्षण वर्गों में बदलने का काम किया गया है जिस में तरुण और प्रौढ़ सहित हर आयुवर्ग के लिए पाठ्यक्रम अलग-अलग होगा। बौद्धिक और शारीरिक के अतिरिक्त समाज जीवन के विविध क्षेत्रों में प्रत्यक्ष क्षेत्र में जाकर अपना योगदान देने का प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।श्री होसबाले ने कहा कि देशभर में सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा की दृष्टि से सीमा जागरण मंच के माध्यम से इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा, सुरक्षा, स्वावलंबन, सहित नागरिक कर्तव्य के संबंध में प्रयास किए जाएंगे और इस कार्य को अधिक गति से आगे बढ़ाया जाएगा। सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय नागरिक एवं सुरक्षा तंत्र के साथ सामंजस्य बढ़ाने के लिए भी विशेष प्रयत्न किये जाएंगे।
उन्होंने बताया कि शताब्दी वर्ष के निमित्त सामाजिक समरसता, ग्राम विकास, पर्यावरण संरक्षण, गौ-सेवा एवं परिवार प्रबोधन जैसे विषय आग्रहपूर्वक समाज के समक्ष रखने का प्रयास किया है। पहले स्वयंसेवक और शाखा के स्तर पर इन आयामों का क्रियान्वयन करना है। इसलिए सामाजिक समरसता से समाज को जोड़ना, परिवार प्रबोधन से सांस्कृतिक मूल्य अगली पीढ़ी में आने चाहिए, पर्यावरण रक्षा संदर्भ में पेड़ लगाना, पॉलीथिन का उपयोग कम करना एवं जल संरक्षण करना है।सरकार्यवाह ने उदाहरण देते हुए कहा कि जोधपुर प्रांत, जो राजस्थान का एक तृतीयांश भाग है, उसमें संघ के कार्यकर्ता ने 14,000 किमी यात्रा की और 15 लाख पेड़ लगाए। कर्नाटक में सीड बॉल पद्धति से एक करोड़ पौधे लगाने की योजना बनाई।
उन्होंने कहा कि देश के सभी नागरिकों की जीवनशैली स्वदेशी होनी चाहिए, एवं नागरिक कर्तव्य का पालन करते हुए अनुशासन अपने जीवन में लाना चाहिए।उन्होंने कहा कि बैठक में अन्य विषयों पर भी हमने चर्चा की। संघ के दो प्रकार के कार्य चलते हैं, एक शाखा आधारित, समाज में व्यक्ति निर्माण के कार्य को संघ ने आग्रहपूर्वक 98 वर्षों से चलाया है। सेवा सहित अन्य कार्यक्रम जो बाहर दिखता है, वह एक प्रकार है। व्यक्ति निर्माण का कार्य, जिसके माध्यम से एक-एक बस्ती में, मोहल्ले में देश के लिए खड़ा होने वाले व्यक्ति का निर्माण होता है। वर्तमान समय में देशभर में दैनिक और साप्ताहिक शाखाओं की संख्या 95528 है।सरकार्यवाह ने कहा कि शताब्दी वर्ष तक संघ कार्य को देश के 59060 मण्डलों तक पहुँचाने का लक्ष्य लिया गया है। शाखा में सभी आयु वर्ग के लोग आते हैं। सामान्यतः संघ में स्वयंसेवकों की सदस्यता नहीं होती। इस वर्ष गूरु पूजन में 37 लाख से अधिक स्वयंसेवक सहभागी हुए थे, जो हमारे नित्य शाखा से संबंध रखने वाले स्वयंसेवक हैं।
संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने वर्ष 2001 के भयावह भूकंप को याद करते हुए संघ की प्रेरणा से पुनर्वास और सेवा कार्य का स्मरण किया जो आज भी स्वयंसेवकों के प्रयत्नों और समाज के सहयोग से निरंतर चल रहे हैं। सौराष्ट्र-कच्छ के कार्यकर्ता सुदूर असम और त्रिपुरा में चलने वाली योजनाओं के लिए सहायता करते हैं, पूर्व और पश्चिम के छोर को जोड़ने का यह कार्य महत्वपूर्ण है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक साल में दो बार होती है। एक बार मार्च में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के पूर्व होती है तथा एक बार स्वतंत्र रूप से दशहरा एवं दीपावली के मध्य में होती है।संवाददाता सम्मेलन में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर, सह प्रचार प्रमुख आलोक कुमार भी उपस्थित थे।(वार्ता)