National

आयोध्या समाधान का श्रेय न मिले, इसलिए गिरायी गयी चंद्रशेखर सरकार : हरिवंश

नयी दिल्ली : राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को विलक्षण दृढ़-निश्चयी, साहसी और कर्तव्य निष्ठ नायक बताते हुए सोमवार को कहा कि 1980 के दशक में “उनकी सरकार को इसलिए गिराया गया ताकि अयोध्या विवाद के समाधान का श्रेय उन्हें न मिल सके।”श्री हरिवंश ने कहा कि श्री चंद्रशेखर प्रधानमंत्री के रूप में अपने अल्पावधि के कार्यकाल में “अयोध्या विवाद को बातचीत से हल करने के निकट पहुंच चुके थे।” उन्होंने कहा कि यह बात राजनेता शरद पवार ने भी अपनी पुस्तक में लिखी है और कुछ अन्य जानकार लोगों ने भी इसका उल्लेख किया है।‘चंद्रशेखर: दी लास्ट आयकन ऑफ आयडोलॉजिकल पालिटिक्स’ (चंद्रशेखर: आदर्शवादी राजनीति के अंतिम शलाका पुरुष) के सह-लेखक श्री हरवंश ने कहा, “चंद्रशेखर की सरकार इसलिए गिरा दी गयी ताकि उनको अयोध्या विवाद हल करने का श्रेय न मिल जाय।

” श्री हरिवंश ने अंग्रेजी में यह पुस्तक रविदत्त बाजपेयी के साथ मिल कर लिखी है। उन्होंने यूनीवार्ता को बताया कि वह चंद्रशेखर के जीवन और कृतीत्व पर हिंदी में पुस्तक पर भी काम कर रहे हैं।श्री हरिवंश प्रखर समाजवादी नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 17वीं पुण्यतिथि पर यहां आयोजित एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता लोक सभा सदस्य लवली आनंद ने की और इसका आयोजन श्री चंद्रशेखर के अनुयायी एवं पूर्व सांसद आनंद मोहन ने किया। श्री मोहन को इस आयोजन के लिए भेजे गए संदेश में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने कहा, “चंद्रशेखरजी अपनी सरलता, ईमानदारी, दृढ़ निश्चय और साहस के लिए जाने जाते थे।

”श्री चंद्रशेखर (17 अप्रैल 1927 – 08 जुलाई 2007) 40 साल से अधिक समय तक सांसद रहे। वह कांग्रेस में समाजवादी गुट के तेज तर्रार नेता थे और आपातकाल में उन्हें एकाकी जेल में डाल दिया गया था। वह 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 के बीच भारत के आठवें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।सांसद श्रीमती आनंद ने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेयर युवाओं के आदर्श थे। उनका राजनीतिक जीवन भावी पीढ़ियों लिए प्रेरणा स्रोत है। यह कार्यक्रम उनके आदर्शाें और सिद्धांतों को आगे बढ़ने के निश्चय के साथ आयोजित किया गया है।

श्री हरिवंश ने कहा श्री चंद्रशेखर ने एक सबसे नाजुक दौर में सरकार संभाली थी और देश को दिवालियापन ( विदेशी भुगतान संकट) से बचाया तथा देश आज वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बन रहा है। उन्होंने कहा, “श्री चंद्रशेखर अपने 65 वर्ष के राजनीतिक जीवन में सात माह ही सत्ता में रहे । उन्होंने किसी दल को नहीं छोड़ा, दलों ने उनको छोड़ा।” उन्होंने अपने कार्यकाल में तमिलनाडु में आतंकवाद और पूर्वोत्तर की समस्या के समाधान के लिए भी कारगर कदम उठाए थे।राज्य सभा के उपसभापित ने कहा कि श्री चंद्रशेखर ने कांग्रेस में रहते हुए भी, सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के चलते राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी का विरोध करते हुए कहा था कि उनको “वोट देने के बजाय, अपना वोट अरब सागर में फेंक दूंगा।

”प्रसिद्ध पत्रकार एवं विचारक राम बहादुर राय ने कहा कि चन्द्रशेखर जब प्रधानमंत्री बनने वाले थे तो देश आरक्षण की आग से सुलग रहा था। उन्होंने अयोध्या मसले के समाधान का प्रयास किया और बात आगे बढ़ी तो कांग्रेस नेता श्री राजीव गांधी ने एक पुलिसकर्मी के जासूसी करने की बात लोकसभा में कह दी। बाद में श्री गांधी के गलती मानने के बाबजूद श्री चंद्रशेखर ने पद से इस्तीफा दे दिया ।बिहार के पूर्व मंत्री अख्लाक अहमद कहा कि चंद्रशेखर ऐसे राजनेता थे जिनके समर्थक सभी राजनीतिक दल में थे।

बिहार के पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह ने श्री चंद्रशेखर के विचारों को देश भर में फैलाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने इस आयोजन के लिये पूर्व सांसद आनंद मोहन और सांसद लवली आनंद की सराहना की। कार्यक्रम का संचालन पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के अनुयायी सादाता अनवर ने किया। (वार्ता)

Website Design Services Website Design Services - Infotech Evolution
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Graphic Design & Advertisement Design
Back to top button