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सीबीआई ने डीएचएफएल घोटाले के तीन से पूछताछ की

नयी दिल्ली-लखनऊ । सीबीआई ने उत्तर प्रदेश में 2,267 करोड़ रुपये के कर्मचारी भविष्य निधि घोटाले के सिलसिले में यूपीपीसीएल के पूर्व प्रबंध निदेशक एपी मिश्रा और दो प्रमुख आरोपियों से पूछताछ की।

इस मामले में ऊर्जा क्षेत्र के कर्मचारियों की बजट को दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन में निवेश किया गया था। कंपनी के विरूद्ध 30,000 करोड़ रुपये से अधिक के कोष का गबन करने के आरोप में कई जांच चल रही हैं।

अधिकारियों ने बताया कि मिश्रा के अलावा एजेंसी ने उत्तर प्रदेश राज्य ऊर्जा क्षेत्र कर्मचारी ट्रस्ट के पूर्व सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता और उत्तर प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटिड (यूपीपीसीएल) के पूर्व निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी से हाल में पूछताछ की।

उन्होंने बताया कि गुप्ता और द्विवेदी का नाम सीबीआई की प्राथमिकी में है, जबकि मिश्रा को आरोपी नहीं बनाया गया है। उनकी कथित भूमिका का जिक्र प्राथमिकी में है।

उन्होंने बताया कि पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद से वे लखनऊ जेल में बंद हैं।

उन्होंने बताया कि मामले की जांच कर रही लखनऊ में सीबीआई की भ्रष्टाचार रोधी शाखा की टीम ने विशेष अदालत से दोनों आरोपियों से पूछताछ की इजाजत मांगी थी।

अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में की गई पूछताछ कई घंटों तक चली। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या सवाल पूछे गए।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा एजेंसी मिश्रा समेत कम से कम नौ और संदिग्धों से पहले ही पूछताछ कर चुकी है।

सीबीआई ने इस मामले की जांच का जिम्मा पांच मार्च को अपने हाथ में लिया था। इस बाबत लखनऊ के हज़रतगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि डीएचएफएल ने मुखौटा कंपनियों के जरिए 97,000 करोड़ रुपये के कुल बैंक कर्ज में से कथित रूप से 31,000 करोड़ रुपये का गबन किया है। इसके बाद कंपनी कई जांचों का सामना कर रही है। यह भी आरोप लगाया गया है कि यूपीपीसीएल के अधिकारियों ने साजिशन डीएचएफएल की योजनाओं में नियमों को ताक पर रखकर भविष्य निधि का पैसा लगाया।

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