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गंगा संरक्षण की ओर बड़ा कदम: वाराणसी और भदोही में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को नमामि गंगे की हरी झंडी

60वीं कार्यकारी समिति की बैठक में गंगा नदी के कायाकल्प से जुड़ी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को दी गई मंजूरी

  • वरुणा नदी के प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना को मिली मंजूरी
  • “गंगा थ्रू द एजेस – ए लिटरेरी बायोस्कोप” परियोजना को दी गई मंजूरी

लखनऊ । राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 60वीं कार्यकारी समिति की बैठक में गंगा नदी के संरक्षण और कायाकल्प के लिए वाराणसी और भदोही में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को मंजूरी दी हैं। इस बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की। इन परियोजनाओं का उद्देश्य न केवल गंगा नदी की स्वच्छता और सतत विकास को बढ़ावा देना है, बल्कि इसके पर्यावरणीय और सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित करना भी है।

बैठक में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दुर्गा ड्रेन के इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन और 60 एमएलडी क्षमता के एसटीपी निर्माण परियोजना को 274.31 करोड़ रुपए की लागत के साथ मंजूरी दी गई। हाइब्रिड एन्युटी मोड पर आधारित इस परियोजना में 15 वर्षों का संचालन एवं रखरखाव भी शामिल है। इसके तहत 60 एमएलडी एसटीपी के साथ 75 एमएलडी क्षमता के मुख्य पंपिंग स्टेशन और अन्य आवश्यक संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। यह पहल गंगा नदी में प्रदूषण रोकने और वाराणसी में अपशिष्ट जल प्रबंधन को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

वहीं, भदोही में गंगा की प्रमुख सहायक नदी वरुणा के प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना को मंजूरी दी गई है। 127.26 करोड़ रुपए की इस परियोजना का उद्देश्य वरुणा में बिना उपचारित सीवेज के प्रवाह को रोकना और उसके जल की गुणवत्ता में सुधार करना है। परियोजना के तहत तीन अत्याधुनिक एसटीपी (17 एमएलडी, 5 एमएलडी और 3 एमएलडी क्षमता वाले) निर्मित किए जाएंगे। इसके अलावा, चार प्रमुख नालों को टैप करने के लिए एक व्यापक सीवर नेटवर्क विकसित किया जाएगा, ताकि गंदे पानी को नदी में बहने से रोका जा सके। यह परियोजना डीबीओटी मॉडल पर आधारित होगी, जिसमें अगले 15 वर्षों तक संचालन और रखरखाव की व्यवस्था भी शामिल है।

कार्यकारी समिति की बैठक में “गंगा थ्रू द एजेस – ए लिटरेरी बायोस्कोप” परियोजना को मंजूरी दी गई, जो साहित्य, शिक्षा और सामुदायिक गतिविधियों के माध्यम से गंगा संरक्षण में जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह परियोजना राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और नेशनल बुक ट्रस्ट के सहयोग से तीन वर्षों तक संचालित होगी और मोबाइल लाइब्रेरी, डिजिटल स्टोरीटेलिंग, स्कूल कार्यशालाएं और नदी तटों पर साहित्यिक सत्र जैसे नवाचार कार्यक्रमों के माध्यम से गंगा की ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और पारिस्थितिकीय महत्ता को उजागर करेगी। 5.4 करोड़ रुपए के बजट के साथ इस पहल में गंगा मोबाइल परिक्रमा, चौपाल गंगा किनारे, गंगा जागरूकता सप्ताह और गंगा एंबेसडर कार्यक्रम शामिल हैं, जो समुदाय की सक्रिय भागीदारी और सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन को प्रेरित करेंगे। इंटरैक्टिव आयोजनों, सोशल मीडिया अभियानों और शैक्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से यह परियोजना गंगा संरक्षण, युवा सहभागिता और सांस्कृतिक जागरूकता को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

कार्यकारी समिति की बैठक में स्वीकृत परियोजनाएँ गंगा संरक्षण की प्रतिबद्धता को नए आयाम देंगी, जहाँ बुनियादी ढांचे के विस्तार, प्रदूषण नियंत्रण और जनसहभागिता के ज़रिए इस पवित्र नदी को संवारने का संकल्प लिया गया है। इस मिशन के तहत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और वनीकरण जैसी महत्वपूर्ण पहलों को गति दी जा रही है। यह मिशन न केवल गंगा को शुद्ध और संरक्षित करने का अभियान है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को पुनः स्थापित करने की दिशा में भी एक प्रेरणादायक कदम है।

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