रायपुर/नई दिल्ली । भारत में फिलहाल कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके पीछे कोरोना के डबल म्यूटेंट वैरिएंट को कारण माना जा रहा है। कोरोना डबल म्यूटेंट वैरिएंट B.1.167 को पहली बार पिछले साल अक्टूबर में ही डिटेक्ट कर लिया गया था। हालांकि जीनोम सीक्वेंस टेस्टिंग की रफ्तार धीमी होने की वजह से इस पर तेजी से कदम नहीं उठाए जा सके। अब खतरा और बढ़ गया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक डबल म्यूटेंट वैरिएंट में एक और म्यूटेशन होने से इसके ट्रिपल म्यूटेंट में बदलने की जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय को दी गई है। डबल म्यूटेंट वैरिएंट की स्पाइक प्रोटीन में तीसरा म्यूटेशन हुआ है। महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ से लिए गए सैंपल में नया म्यूटेशन होते देखा गया है। ये वो राज्य हैं जहां कोरोना की दूसरी लहर में मामले तेजी से बढ़े हैं। इन राज्यों से लिए 17 सैंपल में ऐसा दिखा है। माना जा रहा है कि डबल म्यूटेशन वैरिएंट के कारण ही मामलों में इतनी तेज रफ्तार से बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में ट्रिपल म्यूटेंट वैरिएंट का पता चलने के बाद चिंता और बढ़ गई है।
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने एक नए वैरिएंट `डबल म्यूटेंट` की जानकारी कुछ महीने पहले दी थी। इस वैरिएंट को वैज्ञानिक तौर पर B.1.617 नाम दिया है, जिसमें दो तरह के म्यूटेशंस हैं- E484Q और L452R म्यूटेशन। ये वायरस का वो रूप है, जिसके जीनोम में दो बार बदलाव हो चुका है। वायरस खुद को लंबे समय तक प्रभावी रखने के लिए लगातार अपनी जेनेटिक संरचना में बदलाव लाते रहते हैं, ताकि उन्हें खत्म ना किया जा सके। दो तरह के वायरस म्यूटेशन के कारण ही यह बेहद खतरनाक माना जा रहा है। अब ट्रिपल म्यूटेंट की बात सामने आ रही है।
क्लस्टर-बेस्ड जीनोम सीक्वेंस टेस्टिंग और सर्विलांस से वायरस के किसी म्यूटेशन की पहचान होती है। भारत में अबतक जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए 10 सर्विलांस साइट्स बनाई गई हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रयोगशाला और महामारी निगरानी और देश में कोरोना वायरस की समूची ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’ के विस्तार और यह समझने के लिए भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम स्थापित किया है जिससे पता चल सके कि वायरस का प्रसार किस तरह होता है एवं इसकी उत्पत्ति किस तरह होती है।
देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर केंद्र सरकार ने चिंता व्यक्त की है। केंद्र ने राज्यों से कहा है कोरोना के पॉजिटिव सैंपल्स को रैंडमली जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजा जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने से म्यूटेशन से जुड़े संक्रमण के बारे में सही पता नहीं लग पाएगा।