National

बेअंत हत्याकांड: बब्बर खालसा सदस्य राजोआना को नहीं मिली राहत

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य की करीब 29 साल पहले हुई हत्या के मामले में मौत की सजा पाए प्रतिबंधित बब्बर खालसा सदस्य 57 वर्षीय राजोआना को अंतरिम राहत देने से सोमवार को इनकार कर दिया।न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने करीब तीन दशकों से जेल में बंद राजोआना को राहत देने से मना कर दिया तथा इस मामले में पंजाब सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए और दो सप्ताह का समय दिया।राजोआना ने अपनी दया याचिका पर फैसला में अत्यधिक देरी के कारण अपनी सजा कम करने की शीर्ष अदालत से गुहार लगाई की थी।

शीर्ष अदालत के समक्ष राजोआना की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह चौंकाने वाला मामला है, क्योंकि याचिकाकर्ता 29 साल से हिरासत में है। वह कभी जेल से बाहर नहीं आया।उन्होंने पीठ से गुहार लगाते हुए कहा,“कृपया उसे (याचिकाकर्ता) कुछ अंतरिम राहत दी जाए। उसे देखने दिया जाए कि बाहर क्या है।”इस पर पीठ ने कहा कि इस स्तर पर कोई अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती।पीठ ने पंजाब सरकार के वकील से पूछा कि क्या राज्य सरकार ने याचिका पर जवाब दाखिल किया है।इस पर वकील ने निर्देश के लिए समय मांगा। इसके बाद पीठ ने मामले को 18 नवंबर को सुनवाई के सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अंतरिम राहत की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें इस मामले में निर्देश लेने की आवश्यकता है।श्री रोहतगी ने दलील देते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का पूरी तरह से उल्लंघन है, क्योंकि उनकी दया याचिका 12 वर्षों से विचाराधीन है।शीर्ष अदालत ने सितंबर में इस मामले में नोटिस जारी किया था।अदालत ने तीन मई 2023 को दया याचिका पर फैसला करने में 10 साल से अधिक की अत्यधिक देरी के कारण राजोआना की मौत की सजा को कम करने की याचिका को खारिज कर दी थी। तब अदालत ने कहा था कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर निर्णय लेना कार्यपालिका का अधिकार क्षेत्र है।

पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह सहित 16 अन्य लोगों की 31 अगस्त 1995 को एक बम विस्फोट में मृत्यु हो गई थी, जबकि एक दर्जन अन्य घायल हो गए थे।इस मामले में याचिकाकर्ता राजोआना को 27 जनवरी 1996 को गिरफ्तार किया गया था।जिला अदालत ने 27 जुलाई 2007 को याचिकाकर्ता के साथ-साथ सह-आरोपी जगतार सिंह हवारा, गुरमीत सिंह, लखविंदर सिंह, शमशेर सिंह और नसीब सिंह को दोषी ठहराया था।याचिकाकर्ता के साथ-साथ सह-आरोपी जगतार सिंह हवारा को मौत की सजा सुनाई गई थी।उच्च न्यायालय ने 10 दिसंबर 2010 को याचिकाकर्ता की दोषसिद्धि और सजा की पुष्टि की थी।हालांकि, उच्च न्यायालय ने जगतार की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। (वार्ता)

BABA GANINATH BHAKT MANDAL  BABA GANINATH BHAKT MANDAL

Related Articles

Back to top button