BusinessNational

डूबने के कगार पर पहुंची बैंकिंग व्यवस्था अब लाभ में: मोदी

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज निजी क्षेत्र से सरकार की तरह की निवेश बढ़ाने की अपील करते हुये कहा कि आज भारत के पास दुनिया का एक मजबूत वित्तीय तंत्र है क्योंकि जो बैंकिंग व्यवस्था आठ दस साल पहले डूबने के कगार पर थी अब वह लाभ में आ गयी है।

श्री मोदी ने अगले वित्त वर्ष के आम बजट में किये गये प्रावधानाें पर वित्तीय क्षेत्र के बेवीनार को संबोधित करते हुये कहा कि आज का नया भारत, अब नए सामर्थ्य से आगे बढ़ रहा हैबैंक। ऐसे में भारत के वित्तीय वर्ल्ड के सभी लोगों की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। आज भारत के पास दुनिया का एक मजबूत फाइनेंसियल सिस्टम है। जो बैंकिंग व्यवस्था 8-10 साल पहले डूबने की कगार पर थी, वो अब लाभ में आ गई है। आज एक ऐसी सरकार है जो लगातार साहसपूर्ण निर्णय कर रही है, नीतिगत निर्णयों में बहुत ही स्पष्टता और विश्वास है। इसलिए अब आपको भी आगे बढ़कर के काम करना ही चाहिए, तेजी से काम करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज समय की मांग है कि भारत के बैंकिंग सिस्टम में आई मजबूती का लाभ ज्यादा से ज्यादा आखिरी छोर तक जमीन तक पहुंचे। एमएसएमई को सपोर्ट किया गया है। भारत के बैंकिंग सिस्टम को ज्यादा से ज्यादा सेक्टरों को मदद करनी चाहिए। महामारी के दौरान 1 करोड़ 20 लाख एमएसएमई को सरकार से बहुत बड़ी मदद मिली है। इस वर्ष के बजट में एमएसएमई सेक्टर को 2 लाख करोड़ का एडिशनल कोलेटरल फ्री गारंटीड क्रेडिट भी मिला है। अब ये बहुत जरूरी है कि बैंक उन तक पहुंच बनाएं और उन्हें पर्याप्त फाइनेंस उपलब्ध कराएं।

उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशन से जुड़ी सरकार की नीतियों ने करोड़ों लोगों को फॉर्मल फाइनेंशियल सिस्टम का हिस्सा बना दिया है। बिना बैंक गारंटी, 20 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का मुद्रा लोन सरकार ने ये बहुत बड़ा काम नौजवानों के सपने पूरे करने में सार्थक काम किया है, मदद की है। पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से 40 लाख से ज्यादा रेहड़ी-पटरी वालों, छोटे दुकानदारों को, पहली बार बैंकों से मदद मिलनी संभव हुई है।

सभ्पी हितधारकों को उधारी की लागत कम करने, ऋण मिलने में कम समय लगने और छोटे उद्यमियों तक तेजी से पहुंचाने के लिए भी प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने की जरूरत है। उसमें टेक्नालॉजी भी बहुत मदद कर सकती है। तभी भारत के बढ़ते बैंकिंग सामर्थ्य का ज्यादा से ज्यादा लाभ, भारत के गरीबों को होगा, उन लोगों को होगा जो स्वरोजगार करके अपनी गरीबी दूर करने का तेजी से प्रयास कर रहे हैं।प्रधानमंत्री ने कहा कि वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भरता का भी है। ये हमारे लिए च्वाइस का मुद्दा नहीं है। महामारी के दौरान हम देख चुके हैं, ये भविष्य को प्रभावित करने वाला मुद्दा है।

वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भरता का विजन, एक राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भरता मिशन इसके लिए देश में एक अभूतपूर्व उत्साह हम देख रहे हैं। इस वजह से घरेलू उत्पादन तो बढ़ा ही है, एक्सपोर्ट में भी रिकॉर्ड वृद्धि आई है। सामान हो या सेवा का क्षेत्र हो, हमारा निर्यात 2021-22 में सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहा। एक्सपोर्ट बढ़ रहा है यानि भारत के लिए बाहर ज्यादा से ज्यादा संभावनाएं बन रही हैं। ऐसे में, हर कोई ये जिम्मेदारी ले सकता है कि वह स्थानीय कारीगरों को बढ़ावा देगा, वह उद्यमियों को प्रोत्साहित करेगा।

अलग-अलग समूह, संगठन, व्यापार मंडल, औद्योगिक संगठन , उद्योग जगत के संगठन हैं वे मिलजुल कर के बहुत सारे पहल कर सकते हैं, कदम उठा सकते हैं। जिला स्तर पर भी आप का नेटवर्क है, आपकी टीमें हैं। ये लोग जिले के उन उत्पादों की पहचान कर सकते हैं, जिनका बड़े पैमाने पर निर्यात किया जा सकता है।श्री मोदी ने कहा “ वोकल फॉर लोकल की बात करते हुए हमें एक और स्पष्टता रखनी होगी। ये सिर्फ भारतीय कुटीर उद्योग से चीजें खरीदने से कहीं ज्यादा बढ़ा है, वरना हम तो दीवाली के दीयों में ही अटक जाते हैं। हमें देखना होगा कि ऐसे कौन से क्षेत्र हैं जहां हम भारत में ही क्षमता निर्माण करके, देश का पैसा बचा सकते हैं।

अब देखिए उच्च शिक्षा के नाम पर हर साल देश का हजारों करोड़ रुपए बाहर जाता है। क्या इसे भारत में ही एकुजेशन सेक्टर में निवेश करके कम नहीं किया जा सकता। खाद्य तेल मंगाने के लिए भी हम हजारों करोड़ रुपए बाहर भेजते हैं। क्या हम इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं बन सकते हैं। ऐसे सभी सवालों का उत्तर, आप जैसे अनुभवी वित्तीय क्षेत्र के लोग दे सकते हैं, रास्ता सुझा सकते हैं। आप इस वेबिनार में इन विषयों पर भी गंभीरता से इजरूर चर्चा करेंगे।उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में पूंजीगत व्यय में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसके लिए 10 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है।

पीएम गति शक्ति की वजह से प्रोजेक्ट की प्लानिंग और उसे लागू करने में अभूतपूर्व तेजी आ गई है। हमें अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों और आर्थिक क्षेत्रों की प्रगति के लिए काम करने वाले प्राइवेट सेक्टर को भी ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करना होगा। उन्होंने कहा “ मैं आज देश के प्राइवेट सेक्टर से भी आह्वान करूंगा कि सरकार की तरह ही वो भी अपना निवेश बढ़ाएं ताकि देश को इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ हो।”

उन्होंने कहा कि भारत के पास ऐसे टैलेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर और इनोवेटर हैं, जो हमारे फाइनेंशियल सिस्टम को टॉप पर पहुंचा सकते हैं। ‘इंडस्ट्री फोर प्वाइंट ओ’ के इस दौर में भारत आज जिस तरह के प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है, वो पूरी दुनिया के लिए मॉडल बन रहा है। गवर्नमेंट ई मार्केट प्लेस ( जेईएम) ने भारत के दूर-सुदूर में रहने वाले छोटे दुकानदार को भी सरकार को सीधे अपना सामान बेचने का सामर्थ्य दिया है। भारत जिस तरह डिजिटल करेंसी में आगे बढ़ रहा है, वो भी अभूतपूर्व है।

आजादी के 75वें वर्ष में डिजिटल तरीके से 75 हजार करोड़ ट्रांजैक्शन ये बताता है कि यूपीआई का विस्तार कितना व्यापक हो चुका है। रूपे और यूपीआई सिर्फ कम लागत और अत्यधिक सुरक्षित टेक्नॉलजी भर नहीं है, बल्कि ये दुनिया में हमारी पहचान है। इसे लेकर इनोवेशन की अपार संभावनाएं हैं। यूपीआई पूरी दुनिया के लिए वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण का माध्यम बने, हमें इसके लिए मिलकर के काम करना है। उन्होंने वित्तीस संस्थाओं को फिनटेक की पहुंच को बढ़ाने के लिए उनके साथ ज्यादा से ज्यादा भागीदारी करने की भी अपील की।

श्री मोदी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए, कई बार बहुत छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा असर होता है। जैसे एक विषय है, बिना बिल लिए, सामान खरीदने की आदत। लोगों को लगता है कि इससे हमारा तो कोई नुकसान हो नहीं रहा है, इसलिए वो अक्सर बिल के लिए दबाव भी नहीं करते। जितना ज्यादा लोगों को ये पता चलेगा कि बिल लेने से देश का फायदा होता है, देश प्रगति की राह पर जाने के लिए ये बहुत बड़ी व्यवस्था विकसित होती है और फिर देखिएगा, लोग आगे बढ़कर के बिल की मांग जरूर करेंगे। हमें बस लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान भारत की वित्तीय और मौद्रिक नीति का प्रभाव आज पूरा विश्व देख रहा है। ये बीते 9 वर्षों में भारत की इकॉनॉमी के फंडामेंटल्स को मजबूत करने के सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है। एक समय था जब भारत पर भरोसा करने से पहले भी सौ बार सोचा जाता था। हमारी अर्थव्यवस्था हो, हमारा बजट हो, हमारे लक्ष्य हों, जब भी इनकी चर्चा होती थी तो शुरुआत एक प्रश्नवाचक के साथ होती थी और उसका अंत भी एक प्रश्नवाचक से ही होता था। अब जब भारत वित्तीय अनुशासन , पारदर्शिता और समग्र अप्रोच को लेकर चल रहा है तो एक बहुत बड़ा बदलाव भी हम देख रहे हैं।

अब चर्चा की शुरुआत पहले की तरह प्रश्नवाचक की जगह विश्वास ने ले ली है और चर्चा के अंत वाले समय में भी प्रश्नवाचक की जगह अपेक्षा ने ले ली है। आज भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का चमकता केन्द्र कहा जा रहा है। भारत आज जी-20 की अध्यक्षता का दायित्व भी उठा रहा है। 2021-22 में अब तक का सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश देश को प्राप्त हुआ है। इस निवेश का बड़ा हिस्सा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हुआ है। पीएलआई स्कीम का लाभ उठाने के लिए लगातार एप्लिकेशन आ रही हैं।

हम ग्लोबल सप्लाई चेन का अहम हिस्सा भी बनते जा रहे हैं। निश्चित तौर पर ये कालखंड भारत के लिए बहुत बड़ा अवसर लेकर आया है और हमें ये मौका जाने नहीं देना चाहिए इसका पूरा लाभ भुनाना चाहिए और मिलकर के करना चाहिए।प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के आर्थिक विकास का फायदा हर वर्ग तक पहुंचे, हर व्यक्ति को मिले, आप सभी को इस सोच के साथ ही काम करना चाहिए। इसके लिए कुशन पेशेवरों का एक बड़ा पूल भी तैयार करना होगा।(वार्ता)

अर्थव्यवस्था की जड़ें पिछले नौ वर्षों में हुई मजबूत, करदाताओं का भरोसा बढ़ा: मोदी

VARANASI TRAVEL
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Back to top button
%d bloggers like this: