
अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अपराध रोके बंगलादेश : भारत
मिजोरम, म्यांमार के चिन समूहों में समझौता अवैध : विदेश मंत्रालय .डोकलाम पर सीमांकन को लेकर भारत भूटान के बीच विचार मंथन
नयी दिल्ली : भारत ने बंगलादेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चिंता जताई है तथा एक ऐसे स्थिर, शांतिपूर्ण, समावेशी और प्रगतिशील बंगलादेश के प्रति समर्थन एवं विकास सहयोग बढ़ाने की इच्छा का इज़हार किया है जिसमें हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यकों के साथ-साथ उनकी संपत्तियों एवं धार्मिक संस्थानों की रक्षा और हिंसक उन्मादियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित हो।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आज यहां नियमित ब्रीफिंग में बंगलादेश के बारे में पूछे गये सवालों के जवाब में यह बात कही। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, “हम एक स्थिर, शांतिपूर्ण, समावेशी और प्रगतिशील बंगलादेश का समर्थन करते हैं जिसमें सभी मुद्दों को लोकतांत्रिक तरीकों से और समावेशी और भागीदारी चुनाव आयोजित करके हल किया जाये। हम बिगड़ती कानून और व्यवस्था की स्थिति के बारे में चिंतित हैं, हिंसक चरमपंथियों की रिहाई से और अधिक बढ़ गए, जिन्हें गंभीर अपराधों के लिए सजा सुनाई गई थी।
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से जुड़े एक सवाल पर श्री जायसवाल ने कहा, “हमने बार-बार रेखांकित किया है कि बंगलादेश की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ-साथ उनकी संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों की रक्षा करे। हालांकि, 5 अगस्त, 2024 से 16 फरवरी, 2025 तक 2374 से अधिक घटनाओं में से केवल 1254 घटनाओं की पुलिस द्वारा पुष्टि की गई है। इसके अलावा, इन 1254 घटनाओं में से 98 प्रतिशत घटनाओं को ‘प्रकृति में राजनीतिक’ माना गया था। हम उम्मीद करते हैं कि बंगलादेश इस तरह के बिना किसी भेदभाव के हत्याओं, आगजनी और हिंसा के सभी अपराधियों की पूरी तरह से जांच करेगा और न्याय के कटघरे में लाएगा।
”बंगलादेश के साथ विकास सहयोग के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि विकास सहयोग बंगलादेश के लोगों के साथ हमारे संबंधों का एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। हाल की सुरक्षा स्थिति और लंबे समय से स्थानीय मुद्दों ने इनमें से कुछ परियोजनाओं के कार्यान्वयन की गति को प्रभावित किया है। इसलिए आधिकारिक चर्चाओं में परियोजना पोर्टफोलियो को तर्कसंगत बनाने और समयबद्ध तरीके से पारस्परिक रूप से सहमत परियोजनाओं को निष्पादित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। बंगलादेश की ओर से प्रतिबद्ध समर्थन और लंबित मंजूरी प्राप्त करने के अधीन, हम इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।
गंगा जल संधि के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारत और बंगलादेश के बीच गंगा जल संधि के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए गठित संयुक्त समिति की 86 वीं बैठक गुरुवार 6 मार्च को कोलकाता में आयोजित की गई थी। यह नियमित तकनीकी बैठक, जो साल में तीन बार होती है। यह वर्ष 1996 में हस्ताक्षरित संधि के कार्यान्वयन से जुड़े संस्थागत संरचित तंत्र का हिस्सा है। बैठक में दोनों पक्षों ने गंगा जल संधि, जल प्रवाह की माप और आपसी हित के अन्य मुद्दों से संबंधित तकनीकी मुद्दों पर चर्चा की।
मिजोरम, म्यांमार के चिन समूहों में समझौता अवैध : विदेश मंत्रालय
केन्द्र सरकार ने मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा द्वारा म्यांमार के विद्रोही चिन समूहों के विलय संबंधी कथित समझौते को आज अवैध करार दिया है और कहा है कि विदेश नीति संबंधी मुद्दे राज्य सरकार के दायरे में नहीं आते हैं।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यहां नियमित ब्रीफिंग में इस बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में कहा, “हमने इस मामले पर कुछ रिपोर्टें देखी हैं। म्यांमार की स्थिति पर हमारा रुख सर्वविदित है। मैं यह भी दोहराना चाहूंगा कि विदेश नीति के मुद्दे राज्य सरकारों के दायरे में नहीं आते हैं।”मीडिया रिपोर्टों के अनुसार म्यांमार के दो लोकतंत्र समर्थक विद्रोही समूहों – चिनलैंड काउंसिल और अंतरिम चिन राष्ट्रीय परामर्शदात्री परिषद (आईसीएनसीसी) ने दोनों संगठनों को मिलाकर चिन नेशनल काउंसिल का गठन किया है।
इस समझौते पर मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा और स्थानीय नेताओं की मौजूदगी में 27 फरवरी को हस्ताक्षर किए गए। चिनलैंड काउंसिल की सशस्त्र शाखा, चिन नेशनल आर्मी और आईसीएनसीसी के चिन ब्रदरहुड के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।रिपोर्टों के अनुसार मिजोरम के सांसद के. वनलालवेना ने पिछले सप्ताह सीमा पार चिन नेशनल काउंसिल के शिविर और कार्यालयों का दौरा किया, जिसका भारत की सीमा से लगे उत्तर-पश्चिमी म्यांमार के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण है। उन्होंने उन्हें भारत संघ में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है, क्योंकि म्यांमार में कोई आधिकारिक सरकार नहीं है और सीमा के दोनों ओर एक साझा जनजातीय संपर्क संबंध हैं।
डोकलाम पर सीमांकन को लेकर भारत भूटान के बीच विचार मंथन
भारत एवं भूटान ने दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर डोकलाम सहित विवादास्पद मुद्दों के समाधान के लिए 06-07 मार्च को दो दिन तक गहन विचार मंथन किया।विदेश मंत्रालय ने आज यहां एक विज्ञप्ति में बताया कि सीमा संबंधित मामलों की समीक्षा के लिए भारत सरकार के अधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के कार्यालय तथा भूटान की शाही सरकार के बीच नई दिल्ली में दो दिवसीय बैठक आज संपन्न हुई। भारतीय पक्ष का नेतृत्व भारत के महासर्वेक्षक हितेश कुमार एस. मकवाना ने किया और भूटानी पक्ष का नेतृत्व भूटान की शाही सरकार के अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के सचिव दाशो लेथो तांगबी ने किया।विज्ञप्ति के अनुसार दोनों पक्षों ने सीमा से संबंधित क्षेत्र मामलों पर संबंधित क्षेत्र सर्वेक्षण टीमों और अन्य हितधारकों द्वारा पूरा किए गए कार्य पर संतोष व्यक्त किया।
उन्होंने अगले तीन फील्ड सत्रों के लिए कार्य योजना को भी अंतिम रूप दिया। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने दोनों सरकारों की प्राथमिकताओं के अनुसार सर्वेक्षण और सीमा से संबंधित कार्य से संबंधित तकनीकी और क्षमता निर्माण सहयोग की क्षमता पर चर्चा की।विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत और भूटान के बीच मैत्री और सहयोग के अनूठे संबंध हैं, जो सभी स्तरों पर आपसी विश्वास, साझा मूल्यों और अत्यंत सद्भावना से प्रेरित हैं। यह बैठक सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण माहौल में आयोजित की गई थी और द्विपक्षीय सहयोग के सभी क्षेत्रों में नियमित संवादों की परंपरा को ध्यान में रखते हुए है।”गौरतलब है कि भारत और भूटान के बीच 699 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवाद, वर्ष 2017 में चीन के सैन्य हस्तक्षेप की वजह से पैदा हुआ है।
चीन भूटान को अपनी ‘फाइव फिंगर’ नीति के अंतर्गत अपना हिस्सा मानता है। वर्ष 2017 के गतिरोध के बाद से भारत को चिंता है कि चीन, डोकलाम पठार पर पहुंच या नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रहा है। भारत और भूटान ने विवादित सीमा रेखा को रेखांकित करने और सीमा तय करने के लिए एक संयुक्त तकनीकी टीम (जेटीटी) गठित की और इस विवाद को सुलझाने के लिए अक्टूबर 2021 में तीन-चरणीय रोडमैप पर हस्ताक्षर किए थे। (वार्ता)