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परिधानों, वस्‍त्रों के निर्यात के लिये कर छूट की योजना जारी रखने को मंजूरी

कैबिनेट ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर एवं पुष्टि को अनुमति दी

नयी दिल्ली : सरकार ने परिधानों, वस्त्रों के निर्यात के लिये शुरू की गयी राज्य और केंद्रीय करों तथा उप करों (आरओएससीटीएल) में छूट की योजना को जारी रखने का फैसला लिया है।प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को यहां हुयी केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में मंजूरी प्रदान की गयी। मंत्रिमंडल ने परिधानों और वस्‍त्रों के निर्यात के लिये राज्य और केन्‍द्रीय करों तथा उप करों (आरओएससीटीएल) की छूट योजना 31 मार्च 2026 तक जारी रखने की अनुमति दे दी।

सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि दो वर्षों की प्रस्तावित अवधि के लिये योजना को जारी रखने से स्थिर नीतिगत व्यवस्था मिलेगी, जो दीर्घकालिक व्यापार योजना (विशेष रूप से कपड़ा क्षेत्र में जहां दीर्घकालिक डिलीवरी के लिये अग्रिम आदेश दिये जा सकते हैं।) के लिये आवश्यक है।सरकार ने कहा है कि आरओएससीटीएल की निरंतरता नीति व्यवस्था में वह पूर्वानुमान और स्थिरता सुनिश्चित करेगी, करों और उप करों के बोझ को दूर करने में मदद करेगी और इस सिद्धांत पर समान अवसर प्रदान करेगी कि ‘वस्तुओं का निर्यात किया जाता हैन कि घरेलू करों का।

’गौरतलब है कि आरओएससीटीएल योजना 31 मार्च 2024 समाप्त हो रही थी। अब यह योजना 31 मार्च 2026 तक जारी रहेगी। इससे परिधानों और वस्‍त्रों को लागत-प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी और यह शून्य-रेटेड निर्यात के सिद्धांत को अपनाता है।योजना का उद्देश्य परिधानों, वस्‍त्रों के निर्यात पर शुल्क वापसी योजना के अलावा राज्य और केन्‍द्रीय करों तथा उप करों की भरपाई छूट के माध्यम से करना है। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य सिद्धांत पर आधारित है कि निर्यात के लिये अंतरराष्ट्रीय बाजार में समान अवसर प्रदान करने के लिये करों और शुल्कों का निर्यात नहीं किया जाना चाहिये।

इसलिये, न केवल इनपुट पर अप्रत्यक्ष करों में छूट या प्रतिपूर्ति की जानी है, बल्कि अन्य गैर-वापसी वाले राज्य और केंद्रीय करों और उप करों पर भी छूट दी जानी है।राज्य करों और उप करों की छूट में परिवहन में इस्‍तेमाल होने वाले ईंधन, कैप्टिव पावर, कृषि क्षेत्र, मंडी कर, बिजली शुल्क, निर्यात दस्तावेजों पर स्टांप शुल्क, कच्चे कपास के उत्पादन में उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों, उर्वरक इत्यादि पर भुगतान किये गये राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी, अपंजीकृत डीलरों से खरीद, बिजली के उत्पादनमें उपयोग किया जाने वाला कोयला और परिवहन क्षेत्र पर लगने वाला वैट शामिल है।

केन्‍द्रीय करों और उप करों की छूट में परिवहन में उपयोग किए जाने वाले ईंधन परकेन्‍द्रीय उत्पाद शुल्क, कच्चे कपास के उत्पादन में उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों, उर्वरक आदि जैसे इनपुट पर भुगतान किया गया एम्बेडेड सीजीएसटी, अपंजीकृत डीलरों से खरीद, परिवहन क्षेत्र के लिए इनपुट और एम्बेडेड सीजीएसटी और बिजली के उत्पादन में प्रयुक्त कोयले पर मुआवजा उपकर शामिल हैं। (वार्ता)

कैबिनेट ने पशुपालन अवसंरचना विकास कोष के विस्तार को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने अवसंरचना विकास कोष (आईडीएफ) के तहत लागू किए जाने वाले पशुपालन पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ) को 29,610.25 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 2025-26 तक अगले तीन वर्षों के लिए जारी रखने की मंजूरी दे दी। यह योजना डेयरी प्रसंस्करण और उत्पाद विविधीकरण, मांस प्रसंस्करण और उत्पाद विविधीकरण, पशु चारा संयंत्र, नस्ल गुणन फार्म, पशु अपशिष्ट से धन प्रबंधन (कृषि-अपशिष्ट प्रबंधन) और पशु चिकित्सा वैक्सीन और दवा उत्पादन सुविधाओं के लिए निवेश को प्रोत्साहित करेगी।

भारत सरकार अनुसूचित बैंक और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), नाबार्ड और एनडीडीबी से 90 प्रतिशत तक ऋण के लिए दो साल की मोहलत सहित 8 वर्षों के लिए 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रदान करेगी। पात्र संस्थान अलग-अलग होंगे, निजी कंपनियां, एफपीओ, एमएसएमई, धारा 8 कंपनियां हैं। अब डेयरी सहकारी समितियां डेयरी संयंत्रों के आधुनिकीकरण, सुदृढ़ीकरण का भी लाभ उठाएंगी।भारत सरकार एमएसएमई और डेयरी सहकारी समितियों को 750 करोड़ रुपये के ऋण गारंटी कोष से उधार लिए गए ऋण की 25 प्रतिशत तक ऋण गारंटी भी प्रदान करेगी।

एएचआईडीएफ ने योजना के अस्तित्‍व में आने के बाद से अब तक 141.04 एलएलपीडी (लाख लीटर प्रति दिन) दूध प्रसंस्करण क्षमता, 79.24 लाख मीट्रिक टन फ़ीड प्रसंस्करण क्षमता और 9.06 लाख मीट्रिक टन मांस प्रसंस्करण क्षमता को आपूर्ति श्रृंखला में जोड़कर गहरा असर डाला है। यह योजना डेयरी, मांस और पशु चारा क्षेत्र में प्रसंस्करण क्षमता को 2-4 प्रतिशत तक बढ़ाने में सक्षम है।

पशुपालन क्षेत्र निवेशकों के लिए पशुधन क्षेत्र में निवेश करने का अवसर प्रस्तुत करता है, जिससे यह क्षेत्र मूल्यवर्धन, कोल्ड चेन और डेयरी, मांस, पशु चारा इकाइयों की एकीकृत इकाइयों से लेकर तकनीकी रूप से सहायता प्राप्त पशुधन और पोल्ट्री फार्म, पशु अपशिष्ट से लेकर धन प्रबंधन और पशु चिकित्सा औषधि/वैक्सीन इकाइयों की स्थापना तक एक आकर्षक क्षेत्र बन जाता है। ।तकनीकी रूप से सहायता प्राप्त नस्ल गुणन फार्म, पशु चिकित्सा दवाओं और वैक्सीन इकाइयों को मजबूत करना, पशु अपशिष्ट से धन प्रबंधन जैसी नए कार्यों को शामिल करने के बाद, यह योजना पशुधन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए एक बड़ी क्षमता प्रदर्शित करेगी।

यह योजना उद्यमिता विकास के माध्यम से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 35 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजन का एक माध्यम होगी और इसका उद्देश्य पशुधन क्षेत्र में धन सृजन करना है। अब तक एएचआईडीएफ ने लगभग 15 लाख किसानों को प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित किया है। एएचआईडीएफ किसानों की आय को दोगुना करने, निजी क्षेत्र के निवेश के माध्यम से पशुधन क्षेत्र का दोहन करने, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के लिए नवीनतम तकनीकों को लाने और पशुधन उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देकर देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक मार्ग के रूप में उभर रहा है। पात्र लाभार्थियों द्वारा प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन बुनियादी ढांचे में इस तरह के निवेश से इन संसाधित और मूल्य वर्धित वस्तुओं के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।

इस प्रकार एएचआईडीएफ में प्रोत्साहन द्वारा निवेश न केवल निजी निवेश को 7 गुना बढ़ा देगा, बल्कि किसानों को जानकारी पर अधिक निवेश करने के लिए भी प्रेरित करेगा, जिससे उत्पादकता और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

कैबिनेट ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर एवं पुष्टि को अनुमति दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज भारत गणराज्य की सरकार और संयुक्त अरब अमीरात की सरकार के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर एवं पुष्टि को अपनी अनुमति दे दी है।इस संधि से निवेशकों, विशेषकर बड़े निवेशकों के विश्वास को मजबूती मिलने की उम्मीद है, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी निवेश एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) के अवसरों में वृद्धि होगी और इसका रोजगार सृजन पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस अनुमति से भारत में निवेश बढ़ने की उम्मीद है और घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करके, आयात पर निर्भरता को कम करके, निर्यात बढ़ाकर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को साकार करने में मदद मिलने की संभावना है।

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