अमृत महोत्सव -संपूर्ण भारत में पुनः जागृत हुई अंसख्य बलिदानों की ऊर्जा : पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज साबरमती आश्रम, अहमदाबाद में अमृत महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर साबरमती आश्रम में उपस्थित जनसमुदाय को भी उन्होंने संबोधित किया। देश में आज से आजादी के अमृत महोत्सव का आगाज हो रहा है। ये जश्न 75 हफ्ते तक देशभर में मनाया जाएगा। साथ ही पीएम मोदी आज दांडी मार्च के 91 साल पूरे होने पर साबरमती आश्रम से एक यात्रा का आगाज किया। यह यात्रा दांडी मार्च की याद में की जा रही है। यात्रा कुल 386 किमी. की होगी, जो 12 मार्च से शुरू होकर 5 अप्रैल तक जारी रहेगी। इनमें 80 से अधिक लोग शामिल हुए। जो कुल 21 जगहों पर रुकेंगे और अलग-अलग कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। बता दें कि आजादी का अमृत महोत्सव स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए भारत सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला है। इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी उपस्थित रहे। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों के बारे में नीतियों और योजनाओं को तैयार करने के लिए गृहमंत्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय क्रियान्वयन समिति बनाई गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित करते हुए कहा- यह हम सबका सौभाग्य है कि हम आजाद भारत के इस ऐतिहासिक कालखंड के साक्षी बन रहे हैं। हमारे स्वाधीनता संग्राम के कितने ही पुण्यतीर्थ साबरमती आश्रम से जुड़े हुए हैं, ऐसा लग रहा है जैसे आजादी के अंसख्य बलिदानों की ऊर्जा संपूर्ण भारत में पुनः जागृत हो गई है।
अमृत महोत्सव का महत्व बताते गुए पीएम ने कहा-
आजादी का अमृत महोत्सव यानी- आजादी की ऊर्जा का अमृत
आजादी का अमृत महोत्सव यानी – स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत
आजादी का अमृत महोत्सव यानी – नए विचारों का अमृत। नए संकल्पों का अमृत
आजादी का अमृत महोत्सव यानी – आत्मनिर्भरता का अमृत
आजादी के नायकों को नमन किया
पीएम मोदी ने इस पुण्य अवसर पर बापू के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए । उन्होंने कहा देश के स्वाधीनता संग्राम में अपने आपको आहूत करने वाले, देश को नेतृत्व देने वाली सभी महान विभूतियों के चरणों में नमन करता हूँ, उनका कोटि-कोटि वंदन करता हूँ , उस दौर में नमक भारत की आत्मनिर्भरता का एक प्रतीक था। अंग्रेजों ने भारत के मूल्यों के साथ साथ इस आत्मनिर्भरता पर भी चोट की। भारत के लोगों को इंग्लैंड से आने वाले नमक पर निर्भर हो जाना पड़ा । हमारे यहां नमक को कभी उसकी कीमत से नहीं आँका गया। हमारे यहाँ नमक का मतलब है- ईमानदारी। हमारे यहां नमक का मतलब है- विश्वास। हमारे यहां नमक का मतलब है- वफादारी ।
हम आज भी कहते हैं कि हमने देश का नमक खाया है। ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि नमक कोई बहुत कीमती चीज है। ऐसा इसलिए क्योंकि नमक हमारे यहाँ श्रम और समानता का प्रतीक है 1857 का स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी का विदेश से लौटना, देश को सत्याग्रह की ताकत फिर याद दिलाना, लोकमान्य तिलक का पूर्ण स्वराज्य का आह्वान, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का दिल्ली मार्च, दिल्ली चलो का नारा कौन भूल सकता है
क्रांतिकारियों को याद किया-
पीएम मोदी ने इस अवसर पर क्रांतिकारियों को याद करते हुए कहा- आजादी के आंदोलन की इस ज्योति को निरंतर जागृत करने का काम, पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण, हर दिशा में, हर क्षेत्र में, हमारे संतो-महंतों, आचार्यों ने किया था। एक प्रकार से भक्ति आंदोलन ने राष्ट्रव्यापी स्वाधीनता आंदोलन की पीठिका तैयार की थी।
देश के कोने कोने से कितने ही दलित, आदिवासी, महिलाएं और युवा हैं जिन्होंने असंख्य तप-त्याग किए। याद करिए, तमिलनाडु के 32 वर्षीय नौजवान कोडि काथ् कुमरन को, अंग्रेजों ने उस नौजवान को सिर में गोली मार दी, पर उन्होंने मरते हुये भी देश के झंडे को जमीन में नहीं गिरने दिया। तमिलनाडु की ही वेलू नाचियार वो पहली महारानी थीं, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इसी तरह, हमारे देश के आदिवासी समाज ने अपनी वीरता और पराक्रम से लगातार विदेशी हुकूमत को घुटनों पर लाने का काम किया था। आंध्र प्रदेश में मण्यम वीरुडु यानी जंगलों के हीरो अल्लूरी सीराराम राजू ने रम्पा आंदोलन का बिगुल फूंका पासल्था खुन्गचेरा ने मिज़ोरम की पहाड़ियों में अंग्रेज़ो से लोहा लिया। गोमधर कोंवर, लसित बोरफुकन और सीरत सिंग जैसे असम और पूर्वोत्तर के अनेकों स्वाधीनता सेनानी थे जिन्होंने देश की आज़ादी में योगदान दिया है। गुजरात में जांबूघोड़ा में नायक आदिवासियों का बलिदान हो, मानगढ़ में सैकड़ों आदिवासियों का नरससंहार हो, देश इनके बलिदान को हमेशा याद रखेगा।
आजादी कि यादों को संभाल रहे हैं-
पीएम मोदी ने बताया कि- देश इतिहास के इस गौरव को सहेजने के लिए पिछले छह सालों से सजग प्रयास कर रहा है। हर राज्य, हर क्षेत्र में इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। दांडी यात्रा से जुड़े स्थल का पुनरुद्धार देश ने दो साल पहले ही पूरा किया था। मुझे खुद इस अवसर पर दांडी जाने का अवसर मिला था।
जालियाँवाला बाग में स्मारक हो या फिर पाइका आंदोलन की स्मृति में स्मारक, सभी पर काम हुआ है। बाबा साहेब से जुड़े जो स्थान दशकों से भूले बिसरे पड़े थे, उनका भी विकास देश ने पंचतीर्थ के रूप में किया है। अंडमान में जहां नेताजी सुभाष ने देश की पहली आजाद सरकार बनाकर तिरंगा फहराया था, देश ने उस विस्मृत इतिहास को भी भव्य आकार दिया है। अंडमान निकोबार के द्वीपों को स्वतन्त्रता संग्राम के नामों पर रखा गया है।
युवाओं से किया आव्हान –
पीएम ने कहा – हमारे युवा, हमारे scholars ये जिम्मेदारी उठाएँ कि वो हमारे स्वाधीनता सेनानियों के इतिहास लेखन में देश के प्रयासों को पूरा करेंगे। आजादी के आंदोलन में और उसके बाद हमारे समाज की जो उपलब्धियां रही हैं, उन्हें दुनिया के सामने और प्रखरता से लाएँगे। मैं कला-साहित्य, नाट्य जगत, फिल्म जगत और डिजिटल इंटरनेटनमेंट से जुड़े लोगों से भी आग्रह करूंगा, कितनी ही अद्वितीय कहानियाँ हमारे अतीत में बिखरी पड़ी हैं, इन्हें तलाशिए, इन्हें जीवंत कीजिए।