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अडाणी समूह ने कहा धारावी पर निराधार विवाद पैदा कर रहे हैं कुछ स्वार्थी तत्व

नयी दिल्ली : अडाणी सूमूह ने मुंबई में धारावी विकास परियोजना (डीआरपी) के तहत भू-स्वामियों को जमीन के विकास के अधिकार के बिक्री योग्य प्रमाण-पत्रों (टीडीआर) के सृजन के संबंध में हाल की सरकारी अधिसूचना को समूह की कंपनी को फायदा पहुंचाने की कार्रवाई बताए जाने की ब्योरेवार आलोचना करते हुए कहा है कि धारावी परियोजना में टीडीआर सृजन का प्रावधान राज्य सरकार ने परियोजना की निविदा जारी किए जाने पहले ही किया हुआ था।समूह ने कहा है कि परियोजना में विघ्न डालने यह इसमें विलम्ब कराने में अपना हित देखने वाले तत्व का इस तरह का विवाद पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।

अडाणी समूह और महाराष्ट्र सरकार की विशेष प्रयोजन कंपनी धारावी पुनर्विकास परियोजना प्रा. लिमिटेड (डीआरपीपीएल) ने शुक्रवार को एक बयान में कहा है कि टीडीआर के बारे में सात नवंबर 2023 की अधिसूचना परियोजना की खुली निविदा से पहले से तय व्यवस्था को को उचित प्रक्रिया के रूप में अधिसूचित किया जाना मात्र है।डीआरपीपीएल के बयान में कहा गया है कि धारावी अधिसूचित क्षेत्र (डीएनए) में टीडीआर सृजन के लिए 2018 के सरकारी संकल्प (जीआर) के बाद से ही अनुमति थी। 2022 के सरकारी संकल्प में इसमें दो महत्वपूर्ण संशोधन किये थे जो 2022 में जारी खुली सरकारी निविदा के लिए बोली लगाने वाले सभी पक्षों के समक्ष स्पष्ट थे।

कंपनी ने कहा है,“वर्तमान में, सरकार जो कुछ भी कर रही है वह पहले के प्रावधानों को एक उचित प्रक्रिया के रूप में अधिसूचित करना है।”टीडीआर विकास के लिए अधिसूचित क्षेत्र के भू स्वामियों को जारी किए जाने वाले एक तरह के शेयर होते हैं। टीडीआर सर्टिफिकेट सड़क, पार्क, आरक्षित भूखंड, झुग्गी झोपड़ी विकास या ऐतिहासिक स्थलों आदि के लिए छोड़ी जाने वाली उनकी जमीनों के लिए दिए जाते हैं जिसे भूखंड स्वामी नकद में बेच सकते हैं या उसका अपने लिए उपयोग कर सकते हैं। ये प्रमाण पत्र स्थानीय निकायों / सरकारों द्वारा जारी किए जाते हैं। टीडीआर के माध्यम से विकास परियोजनाओं के लिए जमीन जुटाना आसान हो जाता है तथा इनमें निवेश करने वाले बिल्डरों को दूसरे इलाकों की उनकी परियोजनाओं में भूतलन क्षेत्र अनुपात के नियमों में कुछ ढील मिल जाती है।कंपनी का दाव है कि वास्तव में नयी अधिसूचना से टीडीआर के उपयोग का लाभ कम ही होगा।

बयान में कहा गया है,“इन दावों के विपरीत कि इन नीतिगत परिवर्तनों से एक इकाई (कंपनी) को लाभ होने वाला है, सरकार की अंतिम अधिसूचना ने वास्तव में, यहां के टीडीआर सर्टिफिकेट को अन्य परियोजनाओं में न्यूनतम उपयोग को 50% के बजाय 40% पर सीमित कर दिया है, जैसा कि सितंबर 2022 के जीआर में कहा गया है।”कंपनी ने यह भी कहा,“सात नवंबर 2023 की सरकारी अधिसूचना टीडीआर के मूल्य निर्धारण पर भी रोक लगाती है। जबकि डीएनए से उत्पन्न टीडीआर की बिक्री मूल्य पर पहले कोई प्रतिबंध नहीं था, सरकार ने अब टीडीआर के किसी भी मनमाने मूल्य निर्धारण से बचने के लिए टीडीआर की अधिकतम बिक्री मूल्य को प्लॉट प्राप्त करने की रेडी रेकनर दर का 90% तक सीमित कर दिया है।

”कंपनी ने कहा है,“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग धारावी पुनर्विकास परियोजना (डीआरपी) से टीडीआर सृजन को लेकर विवाद पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारा मानना ​​है कि यह कुछ निहित स्वार्थों के जानबूझकर इशारे पर किया जा रहा है, जो धारावी के लोगों के बेहतर भविष्य के लंबे समय से सजाए सपनों को पटरी से उतारने या कम से कम उसमें विलम्ब करने का मंसूबा रखते हैं।’’बयान में कहा गया है कि टीडीआर प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने के लिए, ग्रेटर मुंबई नगर निगम एक पोर्टल विकसित करेगा जहां परियोजना से उत्पन्न टीडीआर वास्तविक समय में अपलोड और अपडेट किया जाएगा।अडाणी समूह की कंपनी ने कहा कि नियमों में ‘ हेरफेर’ के आरोप बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण हैं और टेडर में अपनायी गयी पादर्शी व्यवस्था के साथ अन्याय हैं।

गौरतलब है कि अरबपति गौतम अडाणी के नेतृत्व वाली अडाणी समूह की कंपनी अडाणी रियल्टी ने खुली निविदा में धारावी झुग्गी बस्ती के विकास का ठेका हासिल किया था। महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2022 में अडाणी समूह की 5,069 करोड़ रुपये की बोली को स्वीकृति प्रदान की थी। (वार्ता)

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