राज्यसभा में गतिरोध कायम, नायडू ने कहा : सरकार व विपक्ष बातचीत कर गतिरोध दूर करें
नयी दिल्ली : राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि सरकार और विपक्ष को आपस में विचार-विमर्श कर कोई सार्थक समाधान निकालना चाहिए ताकि सदन में सुचारू रूप से कामकाज चल सके। नायडू ने संसद में पिछले कुछ दिनों से हो रहे हंगामे के संदर्भ में कहा कि इस सदन और दूसरे सदन में जो हुआ, वह चिंता का विषय है। उन्होंने सरकार और विपक्ष से अपील की कि वे आपस में विचार-विमर्श कर कोई सार्थक समाधान निकालें ताकि सदन में सुचारू रूप से कामकाज चल सके। उन्होंने कहा कि संसद में जो रहा है, उसे देश देख रहा है।
इस बीच राज्यसभा में लगातार पांचवें दिन भी दिल्ली हिंसा पर चर्चा के मुद्दे पर गतिरोध कायम रहा और विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण बैठक 11 बजकर करीब 15 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।
सुबह उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने अंततराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि तमाम मुश्किलों के बावजूद हमारे देश की महिलाओं ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उल्लेखनीय मौजूदगी दर्ज करायी है।
नायडू ने कहा कि महिलाओं ने ममतामयी मां से लेकर लड़ाकू विमानों की पायलट तक, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नेतृत्व से लेकर पर्वत शिखरों को छूने तक की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है।
उन्होंने कहा कि अपनी योग्यता और क्षमता के आधार पर महिलाओं ने दकियानूसी विचारों को पीछे छोड़ते हुए राजनीति, साहित्य, खेलकूद, कारोबार सहित सभी क्षेत्रों में मौका मिलने पर अपनी प्रतिभा को साबित किया है।
नायडू ने कहा कि यह हमारा कर्तव्य है कि महिलाओं की उपलब्धियों के सफर को जारी रखने में हम सकारात्मक सहयोग करें।
उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आठ मार्च को है लेकिन उस दिन रविवार होने के नाते सदन में अवकाश रहेगा।
सभापति नायडू ने उच्च सदन में कोरोना वायरस के मुद्दे पर एक दिन पहले हुयी चर्चा को मीडिया के एक हिस्से में तवज्जो नहीं दिए जाने पर अफसोस जताया और उम्मीद जतायी कि वे भविष्य में आम लोगों से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर अपना ध्यान रखेंगे।
सभापति ने कहा कि उनकी सलाह पर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कल यहां कोरोना वायरस के मुद्दे पर विस्तृत बयान दिया था। उसके बाद सदस्यों ने इस संबंध में अपने मूल्यवान सुझाव दिए। लेकिन मीडिया के एक हिस्से में इस चर्चा की अनदेखी की गयी। मीडिया ने अन्य मुद्दों पर अपनी रुचि दिखायी।
नायडू ने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे की अनदेखी करना उचित नहीं है। उन्हें सदन में होने वाली चर्चा पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है और आम देशवासियों से संबंधित है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि वे भविष्य में ऐसे अहम विषयों पर गौर करेंगे। नायडू की टिप्पणी के बाद कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल, आप, सपा, वाम आदि सदस्यों ने दिल्ली में हिंसा मुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया। तृणमूल, आप, कांग्रेस, सपा आदि दलों के कुछ सदस्य आसन के समीप भी आ गए।
सभापति ने सदस्यों से सदन को सुचारू रूप से चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य नहीं चाहते कि सदन में कामकाज हो। सदन में शोर थमता नहीं देख उन्होंने बैठक बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। सोमवार और मंगलवार को होली के कारण सदन की बैठक नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि बजट सत्र के दूसरे हिस्से में उच्च सदन की कार्यवाही दिल्ली में हिंसा के मुद्दे पर लगातार बाधित रही है।