Varanasi

धनतेरस : वाराणसी में शाम 7:15 से 8:19 बजे तक पूजन मुहूर्त, धन्वंतरि पूजा और खरीदारी का शुभ समय

वाराणसी में 18 अक्टूबर 2025 को धनतेरस पर्व श्रद्धा और परंपरा से मनाया जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:15 से 8:19 बजे तक रहेगा। इस दिन धन्वंतरि, लक्ष्मी और कुबेर की आराधना की जाएगी। यमदीपदान, दीपोत्सव और आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है। वाराणसी में पूजा-विधि, कथा, आरती और खरीदारी के शुभ समय की जानकारी धर्मग्रंथों के अनुसार निर्धारित है।

  • काशी में धनतेरस पूजा का विशेष आयोजन – लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की आराधना के साथ दीपदान, यमदीप और आयुर्वेद दिवस का संगम

वाराणसी। दिवाली पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है। वाराणसी पंचांग के अनुसार इस वर्ष धनतेरस 18 अक्टूबर 2025, शनिवार को मनाई जाएगी। काशी के ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि त्रयोदशी तिथि का शुभ पूजा मुहूर्त शाम 7:15 बजे से 8:19 बजे तक रहेगा। इस समय प्रदोष काल और स्थिर वृषभ लग्न का संयोग बन रहा है, जो लक्ष्मी और धन्वंतरि पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। शहर के प्रमुख मंदिरों – काशी विश्वनाथ, अन्नपूर्णा, संकटमोचन और दशाश्वमेध घाट – पर विशेष आरती और दीपदान की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस अवसर पर धन्वंतरि देव की पूजा, स्वास्थ्य और आयुर्वेद का महोत्सव भी साथ मनाया जाएगा।

धनतेरस का शास्त्रीय महात्म्य

धर्मग्रंथों के अनुसार धनतेरस का अर्थ “धन की त्रयोदशी” है। यह तिथि धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की त्रिमूर्ति मानी जाती है। विष्णु पुराण, भागवत पुराण और ब्रह्माण्ड पुराण में वर्णित है कि समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु के अवतार धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। उन्होंने देवताओं को आयुर्वेद का ज्ञान दिया, जिससे समस्त रोगों का नाश हुआ। इसलिए इस दिन धन्वंतरि पूजन करने से स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

धनतेरस पर धन, औषधि और प्रकाश तीनों की पूजा की जाती है। एक अन्य लोककथा के अनुसार, इस दिन दीपदान से मृत्यु का भय दूर होता है। इसे “यमदीपदान” कहा जाता है – दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाना यमराज को प्रसन्न करने का प्रतीक है।

वाराणसी में उत्सव की तैयारियां

काशी की गलियों से लेकर घाटों तक दिवाली की रोशनी फैल गई है। दुकानों में बर्तन, सोना-चांदी और पूजा सामग्री की बिक्री चरम पर है। बनारस के पंडितों के अनुसार, धनतेरस पर नए बर्तन, धातु, आभूषण और सिक्के खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष खरीदारी का शुभ समय शाम 6:00 बजे से 7:10 बजे तक बताया गया है, ताकि खरीदी गई वस्तुएँ पूजा समय पर प्रयोग में लाई जा सकें। स्थानीय परिवारों ने घरों की सफाई, रंगोली और द्वार सजावट शुरू कर दी है। मुख्य द्वार पर लक्ष्मी-पदचिह्न, श्री यंत्र और दीपों की कतारें लगाने की परंपरा निभाई जा रही है।

पूजा सामग्री – शास्त्रीय सूची

1. भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा या चित्र
2. लाल या पीला वस्त्र, पूजा आसन
3. दीपक (घी या तिल तेल से), अगरबत्ती, कपूर
4. फूल, अक्षत, रोली, कुमकुम, मौली
5. गंगाजल, पंचामृत, जल का कलश
6. मिठाई, फल, गुड़, पान, प्रसाद सामग्री
7. नया बर्तन या आभूषण (पूजा के लिए)
8. यंत्र — श्री यंत्र, कुबेर यंत्र (यदि उपलब्ध)
9. तांबे या चांदी का सिक्का
10. यमदीप (मिट्टी का दीप दक्षिण दिशा हेतु)

पूजा विधि – शास्त्रानुसार संपूर्ण विधान

1. स्नान और शुद्धि: सुबह घर की सफाई कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
2. स्थापना: लाल वस्त्र पर भगवान गणेश, लक्ष्मी और धन्वंतरि की प्रतिमाएँ स्थापित करें।
3. दीप और धूप जलाएं: वातावरण को सुगंधित बनाएं, मुख्य दीप दक्षिण दिशा की ओर रखें।
4. गणेश पूजन: “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र से आरंभ करें।
5. धन्वंतरि पूजन: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतर्यै अमृतकलश हस्ताय” मंत्र का जाप करें।
6. लक्ष्मी पूजन: श्रीसूक्त या लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।
7. नैवैद्य अर्पण: मिठाई, फल, और जल अर्पित करें।
8. दीपदान और यमदीपदान: घर के मुख्य द्वार और बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाएं।
9. आरती: धन्वंतरि आरती, गणेश आरती और लक्ष्मी आरती का क्रम से पाठ करें।
10. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद सभी को दें, नया बर्तन घर के अंदर स्थापित करें।

धनतेरस की पौराणिक कथाएँ

कथा 1 – समुद्र मंथन में धन्वंतरि का प्रकट होना : समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। देवताओं को उन्होंने स्वास्थ्य और जीवन का वरदान दिया। इसलिए धनतेरस को स्वास्थ्य की देवी औषधि शक्ति का दिन भी कहा जाता है।

कथा 2 – यमदीपदान की उत्पत्ति : राजा हिम के पुत्र की मृत्यु तिथि तय थी, लेकिन उसकी नवविवाहिता ने घर में दीपों और सोने-चांदी की रोशनी फैला दी। यमराज आए, परंतु तेज प्रकाश से विचलित होकर वहीं बैठे रह गए। जब सूर्योदय हुआ तो युवक का काल टल गया। तभी से धनतेरस पर यमदीपदान की परंपरा चली।

धन्वंतरि पूजा और औषधि ज्ञान

धनतेरस को आयुर्वेद दिवस भी कहा जाता है। धन्वंतरि को आयुर्वेद के जनक के रूप में पूजा जाता है। इस दिन आयुर्वेदिक औषधियों – तुलसी, त्रिफला, अश्वगंधा, हल्दी, वसाक आदि का पूजन कर उन्हें घर में रखने की परंपरा है। आयुर्वेदिक हवन या धन्वंतरि यज्ञ भी इस दिन किया जाता है, जिसमें औषधीय जड़ी-बूटियाँ अग्नि में अर्पित की जाती हैं। इससे वायु और वातावरण शुद्ध होता है।

आरती – धन्वंतरि महाराज की आरती

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि देवा,
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।

तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिये,
देवासुर संकट दूर कर, जग में आयुष दिये।

आयुर्वेद विद्या दी, व्याधि हर कियौ संसार,
तुम बिन कैसे मिटे, मनुज का संताप अपार।

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी,
वनस्पति औषधि से शोभित छवि भारी।

तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे,
असाध्य रोग भी उसका मिट जाए निस्संदेह।

दोहा –
मूक होइ बाचाल पंगु चढ़े गिरिबर गहन।
जासु कृपा सो दयाल द्रवउ सकल कलिमल दहन॥
जय धन्वंतरि महाराज की जय॥

खरीदारी के शुभ समय

वाराणसी में खरीदारी का शुभ समय शाम 6:00 बजे से 7:10 बजे तक बताया गया है। इस अवधि में बर्तन, सोना-चांदी, वाहन या नई वस्तु की खरीद विशेष लाभकारी मानी गई है। खरीदते समय यह ध्यान रखें कि बर्तन या आभूषण खाली न हो – उसमें अक्षत या एक रुपया रखकर घर लाना शुभ माना गया है।

धनतेरस पर्व काशी की परंपरा का अभिन्न अंग है। यह सिर्फ धन का नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, आयुर्वेद, और जीवन-संतुलन का प्रतीक है। वाराणसी के घाटों पर दीपदान और मंदिरों में धन्वंतरि आरती इस पर्व की सबसे पवित्र छवि को दर्शाती है। अंधकार पर प्रकाश, रोग पर स्वास्थ्य और असुरक्षा पर समृद्धि की विजय का यह पर्व हर घर में मंगल का संदेश लेकर आता है।

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डिस्क्लेमर :यह लेख धर्मग्रंथों, पुराणों, पंचांगों और पारंपरिक आस्थाओं के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें उल्लिखित पूजा-विधि, मुहूर्त, कथा और धार्मिक मान्यताएँ शास्त्रीय संदर्भों व लोकपरंपराओं पर आधारित हैं। पाठकों से निवेदन है कि किसी भी धार्मिक कर्मकांड, हवन, या विशेष अनुष्ठान से पूर्व अपने कुलाचार्य, पंडित या ज्ञानी विद्वान से परामर्श अवश्य लें। यह सामग्री केवल धार्मिक-सांस्कृतिक जानकारी और जनजागरण हेतु प्रकाशित की गई है, इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की अंध-आस्था या व्यावसायिक प्रचार को बढ़ावा देना नहीं है।

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