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महाकुम्भ में देश और दुनियाभर के करोड़ों श्रद्धालुओं ने किया पुण्य स्नान

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने परिवार संग संगम में लगाई आस्था की डुबकी .महाकुम्भ 2025: सांसद अनुराग ठाकुर ने पत्नी संग संगम में लगाई आस्था की डुबकी.

महाकुम्भ नगर । प्रयागराज में दिव्य और भव्य महाकुम्भ 2025 का आयोजन पूरे हर्षोल्लास के साथ हो रहा है। देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने के लिए संगम नगरी पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से लोकसभा सांसद अनुराग ठाकुर ने अपनी पत्नी सहित त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया। उन्होंने महाकुम्भ को दिव्य-भव्य बताते हुए इसे ‘एकता का महाकुम्भ’ बताया है।

 

सांसद अनुराग ठाकुर ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर स्नान की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।।” उन्होंने इस अवसर पर मां गंगा, यमुना और सरस्वती की दिव्य धाराओं के संगम पर पूजा-अर्चना की और सर्वकल्याण की कामना की। अनुराग ठाकुर ने अपनी पोस्ट में कहा कि मां गंगा, यमुना और सरस्वती के शुभाशीष से सभी के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का वास हो। उन्होंने महाकुंभ को ‘एकता का महाकुंभ’ बताया और इसे भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक कहा।

बता दें कि महाकुंभ 2025 में अब तक 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगा चुके हैं। इस ऐतिहासिक आयोजन में देश के विभिन्न हिस्सों से साधु-संत, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और आमजन आस्था के साथ भाग ले रहे हैं। प्रयागराज का यह महाकुम्भ सनातन संस्कृति की अनंत धारा को विश्व पटल पर गौरवान्वित कर रहा है।

ये प्रमुख राजनेता अब तक लगा चुके हैं पावन डुबकी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ (मंत्रिमंडल समेत) संगम में डुबकी लगा चुके हैं। इसके अलावा प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल, हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी, मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, श्रीपद नाइक, बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी, राज्य सभा सांसद सुधा मूर्ति, असम विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडे, गोरखपुर के सांसद रवि किशन, हेमा मालिनी, पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद भी संगम में स्नान कर चुके हैं। आगामी 10 फरवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी संगम में पावन डुबकी लगाने आएंगी।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने परिवार संग संगम में लगाई आस्था की डुबकी

महाकुम्भ नगर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को महाकुम्भ 2025 में अपने परिवार के साथ त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया। इस अवसर पर उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस भव्य आयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं।

तीर्थराज प्रयाग की पावन भूमि पर आस्था का संगम

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, “आज मैं तीर्थराज प्रयाग की पावन भूमि पर आया हूं और यहां सभी प्रदेशवासियों की ओर से आस्था की डुबकी लगाई। यह अनुभव अविस्मरणीय है।”

योगी सरकार को शुभकामनाएं

उन्होंने कहा, “मैं उत्तर प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को शुभकामनाएं देता हूं, जिन्होंने इस भव्य महाकुंभ का कुशलता से आयोजन किया।” संगम स्नान पर मुख्यमंत्री के साथ उनके परिवार के सदस्य भी उपस्थित रहे। उन्होंने महाकुम्भ की भव्यता, दिव्यता और व्यवस्थाओं की सराहना की और इसे भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का अद्भुत संगम बताया।

ऑथर और स्पीकर शेफाली वैद्य ने साझा किया महाकुम्भ का अनुभव

महाकुम्भ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, सेवा और समर्पण का महायज्ञ है। यह वास्तव में दो प्रकार के लोगों का होता है, वे जो श्रद्धा के साथ आते हैं, और वे जो सेवा में समर्पित होते हैं। ये बातें कही हैं शेफाली वैद्य ने जो एक ऑथर और स्पीकर हैं। शेफाली ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर महाकुम्भ को लेकर अपना अनुभव साझा किया है।

सच्चे तीर्थयात्री: आस्था के प्रतीक

वह कहती हैं, महाकुम्भ उन श्रद्धालुओं का होता है, जो केवल विश्वास के साथ आते हैं। वे, जो संगम में पवित्र स्नान के लिए घंटों प्रतीक्षा करते हैं, जो गंगाजल को संजोकर घर ले जाते हैं, जो शिकायत नहीं करते, सिर्फ आस्था रखते हैं। जब वे संगम में डुबकी लगाते हैं, तो मानो वे समय की सीमाओं को लांघ जाते हैं, यह विश्वास रखते हुए कि नदी की गोद में समर्पण से उनके जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाएंगे।

सेवा भाव: जो देने आते हैं, लेने नहीं

उनका कहना है कि महाकुम्भ उन सेवकों का भी होता है, जो यहां कुछ मांगने नहीं, बल्कि देने आते हैं। 15,000 सफाई कर्मी, जो करोड़ों श्रद्धालुओं के कदमों के निशान मिटाते हैं, ताकि हर दिन घाट स्वच्छ रहें।हजारों पुलिसकर्मी, जो श्रद्धालुओं की सुरक्षा में दिन-रात तैनात रहते हैं। हजारों बचावकर्मी, जो हर परिस्थिति के लिए तैयार रहते हैं। 550 बसों के ड्राइवर, जो संगम तक श्रद्धालुओं को पहुंचाते हैं। भंडारे में सेवा देने वाले हजारों लोग, जो निःस्वार्थ भाव से भोजन कराते हैं।डॉक्टर और चिकित्सा कर्मी, जो कुम्भ नगरी में श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सेवाओं का ध्यान रखते हैं।मल्लाह, जो तीर्थयात्रियों को संगम की पवित्र जलधारा तक पहुंचाते हैं।

महाकुम्भ: एक जीवंत धड़कन

उनका कहना है कि बाकी लोग, जो महाकुम्भ के भव्य आयोजन को देखने, समझने, और अनुभव करने आते हैं, वे बस दर्शक हैं। वे इस भव्यता, अनुशासन और दिव्यता को देखकर विस्मित होते हैं, लेकिन महाकुम्भ उन्हीं का होता है, जो इसमें श्रद्धा और सेवा के साथ जुड़े होते हैं। महाकुम्भ मात्र एक इवेंट नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का स्पंदन है, जो हर 12 वर्षों में आस्था, भक्ति और सेवा के लिए पुकारता है। यह उनका संगम है, जो भक्ति में डूबते हैं, और उनका भी जो अपना तन-मन-धन समर्पित कर इसे संभव बनाते हैं।

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