अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर: जीडीपी वृद्धि दर 6.5-7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान: सर्वेक्षण
बढ़ते कार्यबल को खपाने के लिए सालाना 78.5 लाख नौकरियों के अवसर की जरूरत
नयी दिल्ली : भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव को मजबूत और वैश्विक उठापटक को झेलने में सक्षम बताते हुये आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में सोमवार को कहा गया कि चालू वित्त वर्ष में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.5 से सात प्रतिशत तक रहने का अनुमान है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश किया जिसमें कहा गया है कि जोखिम काफी हद तक संतुलित हैं और बाजार उम्मीदें काफी ज्यादा हैं। अनेक तरह की विदेशी चुनौतियों के बावजूद वित्त वर्ष 2022-23 में हासिल की गई भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की तेज गति वित्त वर्ष 2023-24 में भी बरकरार रही। वृहद आर्थिक स्थिरता पर फोकस करने से यह सुनिश्चित हुआ कि विदेशी चुनौतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव पड़ा। वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत रही, वित्त वर्ष 2023-24 की चार तिमाहियों में से तीन तिमाहियों में विकास दर आठ प्रतिशत से अधिक रही।
इसमें कहा गया है कि महामारी से उबरने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था का क्रमबद्ध ढंग से विस्तार हुआ है। वित्त वर्ष 2023-24 में वास्तविक जीडीपी वित्त वर्ष 2019-20 के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक रही, यह उपलब्धि केवल कुछ प्रमुख देशों ने ही हासिल की है। आपूर्ति के मोर्चे पर सकल मूल्य वर्द्धित (जीवीए) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023-24 में 7.2 प्रतिशत (2011-12 के मूल्यों पर) रही और स्थिर मूल्यों पर शुद्ध कर संग्रह वित्त वर्ष 2023-24 में 19.1 प्रतिशत बढ़ गया। मार्च 2024 में समाप्त वित्त वर्ष में 8.2 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर में 9.5 प्रतिशत की औद्योगिक विकास दर का व्यापक योगदान रहा।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि ‘अमृत काल’ में ये छह महत्वपूर्ण फोकस क्षेत्र हैं जिसमें निजी निवेश को बढ़ावा देना, एमएसएमई का विस्तार करना, कृषि को विकास इंजन बनाना, हरित बदलाव योजना का वित्त पोषण करना, शिक्षा और रोजगार के बीच खाई को पाटना, राज्यों का क्षमता निर्माण करना शामिल है। इसमें कहा गया है कि चालू खाता घाटा (कैड) वित्त वर्ष 2024 के दौरान जीडीपी का 0.7 प्रतिशत रहा जो कि वित्त वर्ष 2022-23 में दर्ज किए गए जीडीपी के 2.0 प्रतिशत कैड से कम है।कुल कर संग्रह का 55 प्रतिशत प्रत्यक्ष करों से और शेष 45 प्रतिशत अप्रत्यक्ष करों से प्राप्त हुआ।
सरकार 81.4 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मुहैया कराने में सक्षम रही है। पूंजीगत खर्च के लिए आवंटित कुल व्यय में लगातार वृद्धि की गई है।इसमें कहा गया है कि भारत के बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों ने वित्त वर्ष 2023-24 में दमदार प्रदर्शन किया है। कुल मिलाकर महंगाई दर के नियंत्रण में रहने के परिणामस्वरूप आरबीआई ने पूरे वित्त वर्ष के दौरान नीतिगत दर को यथावत रखा। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने वित्त वर्ष 2024 में पॉलिसी रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा। विकास की गति तेज करने के साथ-साथ महंगाई दर को धीरे-धीरे तय लक्ष्य के अनुरूप किया गया।
वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का कर्ज वितरण मार्च 2024 के आखिर में 20.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 164.3 लाख करोड़ रुपये रहा। एचडीएफसी बैंक में एचडीएफसी के विलय के प्रभाव को छोड़कर ब्रॉड मनी (एम3) की वृद्धि दर 22 मार्च, 2024 को 11.2 प्रतिशतथी (सालाना आधार पर), जबकि एक साल पहले यह वृद्धि दर नौ प्रतिशत ही थी। बैंक कर्ज दहाई अंकों में बढ़ गए, जो कि काफी व्यापक रहे, सकल एवं शुद्ध गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियां यानी फंसे कर्ज कई वर्षों के न्यूनतम स्तर पर रहे, बैंक परिसंपत्तियों की गुणवत्ता का बढ़ना यह दर्शाता है कि सरकार मजबूत एवं स्थिर बैंकिंग क्षेत्र को लेकर प्रतिबद्ध है।कर्जों में वृद्धि अब भी दमदार है, सेवाओं के लिए दिए गए कर्जों और पर्सनल लोन का इसमें मुख्य योगदान रहा है।
कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों को मिले कर्ज वित्त वर्ष 2024 के दौरान दहाई अंकों में बढ़ गए।सर्वेक्षण में कहा गया है कि औद्योगिक कर्जों की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रही, जबकि एक साल पहले यह वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत ही थी। आईबीसी को पिछले आठ वर्षों में ट्विन बैलेंस शीट समस्या का प्रभावकारी समाधान माना गया है। मार्च 2024 तक 13.9 लाख करोड़ रुपये के मूल्य वाले 31,394 कॉरपोरेट कर्जदारों के मामले निपटाए गए। प्राथमिक पूंजी बाजारों में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 10.9 लाख करोड़ रुपये का पूंजी सृजन हुआ (यह वित्त वर्ष 2023 के दौरान निजी और सरकारी कंपनियों के सकल स्थिर पूंजी सृजन का लगभग 29 प्रतिशत है)।
भारतीय शेयर बाजार का बाजार पूंजीकरण काफी ज्यादा बढ़ गया है, बाजार पूंजीकरण – जीडीपी अनुपात पूरी दुनिया में पांचवें सर्वाधिक स्तर पर रहा।इसमें कहा गया है कि वित्तीय समावेश केवल एक लक्ष्य नहीं है बल्कि सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करने, असमानता में कमी करने और गरीबी उन्मूलन में भी मददगार है। अगली बड़ी चुनौती डिजिटल वित्तीय समावेश (डीएफआई) है। कर्जों को बैंकिंग सहारे का वर्चस्व धीरे-धीरे कम हो रहा है और पूंजी बाजारों की भूमिका बढ़ रही है। चूंकि भारत के वित्तीय क्षेत्र में व्यापक बदलाव देखने को मिल रहे हैं, इसलिए इसे संभावित असुरक्षा या खतरों से निपटने के लिए अवश्य ही तैयार रहना चाहिए।
इसमें आने वाले दशकों में भारतीय बीमा बाजार को सबसे तेजी से विकसित होने वाले बीमा बाजारों में से एक बताते हुये कहा गया है कि देश का माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र चीन के बाद दुनिया में दूसरे सबसे बड़े माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र के रूप में उभरा है।नये कल्याणकारी दृष्टिकोण खर्च होने वाले प्रत्येक रुपये का प्रभाव बढ़ाने पर केन्द्रित हैं। स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और सुशासन का डिजिटलीकरण कल्याणकारी कार्यक्रम पर खर्च होने वाले प्रत्येक रुपये का प्रभाव कई गुना बढ़ाने वाला है।वित्त वर्ष 2024 में करीब एक लाख पेटेंट प्रदान किए जाने के साथ भारत में अनुसंधान एवं विकास में तीव्र प्रगति हो रही है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि वर्ष 2022-23 में बेरोजगारी दर घटकर 3.2 प्रतिशत पर आने से भारतीय श्रमिक बाजार संकेतक में पिछले छह साल के दौरान सुधार आया है। पंद्रह वर्ष और इससे अधिक आयु के लोगों के मामले में तिमाही शहरी बेरोजगारी दर मार्च 2024 में समाप्त तिमाही के दौरान एक साल पहले इसी तिमाही की 6.8 प्रतिशत से घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई। पीएलएफएस के अनुसार 45 प्रतिशत से अधिक कार्यबल कृषि क्षेत्र में, 11.4 प्रतिशत विनिर्माण क्षेत्र में, 28.9 प्रतिशत सेवा क्षेत्र में और 13.0 प्रतिशत निर्माण क्षेत्र में नियुक्त है। पीएलएफएस के अनुसार (15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में) युवा बेराजगारी दर 2017-18 के 17.8 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 10 प्रतिशत पर आ गई।ईपीएफओ पे-रोल में शामिल नये सब्सक्राइबर में करीब दो-तिहाई 18 से 28 वर्ष के आयुवर्ग से थे।
लैंगिक परिपेक्ष में महिला श्रमिक बल भागीदारी दर (एफएलएफपीआर) छह साल से बढ़ रहा है। एएसआई 2021-22 के अनुसार संगठित विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार दर सुधर कर महामारी पूर्व के स्तर से ऊपर पहुंच गई हैं। इसके साथ ही प्रति कारखाना रोजगार महामारी पूर्व के स्तर से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2014-15 से 2021-22 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति कामगार वेतन में शहरी क्षेत्रों के 6.1 प्रतिशत सीएजीआर के मुकाबले 6.9 प्रतिशत सीएजीआर वृद्धि हुई है। सौे से अधिक कर्मचारियों को नियुक्त कराने वाले कारखानों की संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले 2021-22 में 11.8 प्रतिशत बढ़ी है। बड़े कारखानों (100 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति वाले) में छोटे कारखानों के मुकाबले रोजगार के अवसर बढ़े हैं, इससे विनिर्माण इकाईयों के उन्नयन की दिशा में संकेत मिलता है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि मध्यम एवं लघु दोनों अपरिहार्य वित्तवर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि को 9.5 प्रतिशत की औद्योगिक विकास दर से समर्थन मिला। विनिर्माण मूल्य श्रृंखलाओं में अनेक बाधाओं के बावजूद, विनिर्माण क्षेत्र ने पिछले दशक में 5.2 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर हासिल की।विकास के प्रमुख संचालक रसायन, लकड़ी के उत्पाद और फर्नीचर, परिवहन उपकरण, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी और उपकरण हैं। पिछले पांच वर्षों में कोयला के उत्पादन में तेजी आई है, जिससे आयात निर्भरता में कमी हुई है। भारत का फार्मास्युटिकल बाज़ार, जिसका वर्तमान मूल्य 50 अरब डॉलर है, अपनी मात्रा के अनुसार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा विनिर्माता है और शीर्ष पाँच निर्यातक देशों में से एक है। भारत के इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण क्षेत्र की वित्त वर्ष 2021-22 में वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का अनुमानित 3.7 प्रतिशत है। भारत के ‘आत्मनिर्भर’ बनने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, मई 2024 तक 1.28 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश दर्ज किया गया, जिसके परिणामस्वरूप पीएलआई योजना के अंतर्गत 10.8 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन / बिक्री और 8.5 लाख रुपये से अधिक का रोजगार सृजन (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) हुआ।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र भारत की प्रगति में निरंतर महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में अर्थव्यवस्था के कुल आकार का लगभग 55 प्रतिशत है। सेवा क्षेत्र में सर्वोच्च संख्या में सक्रिय कंपनियां (65 प्रतिशत) हैं, 31 मार्च, 2024 तक भारत में कुल 16,91,495 सक्रिय कंपनियां थीं। वैश्विक स्तर पर, भारत का सेवा निर्यात 2022 में दुनिया के वाणिज्यिक सेवा निर्यात का 4.4 प्रतिशत था। भारत के सेवा निर्यात में कम्प्यूटर सेवा और व्यापार सेवा निर्यात का हिस्सा 73 प्रतिशत, वित्त वर्ष 2023-24 में इसमें 9.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
डिजिटल माध्यम से दी जाने वाली सेवाओं के निर्यात में वैश्विक स्तर पर भारत की हिस्सेदारी 2019 के 4.4 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 6 प्रतिशत हो गई। वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय हवाई यात्रियों की संख्या में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ भारत के विमानन क्षेत्र में अच्छी प्रगति दर्ज की है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय हवाई अड्डों पर एयर कार्गो का रखरखाव सालाना आधार पर सात प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 33.7 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 2023-24 की समाप्ति मार्च 2024 में 45.9 लाख करोड़ रुपये के सेवा सेक्टर ऋण के बकाया से हुई, जिसमें वर्ष दर वर्ष 22.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
इसमें कहा गया है कि भारतीय रेल में यात्री यातायात पिछले वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 5.2 प्रतिशत बढ़ा। राजस्व अर्जन मालभाड़ा ने (कोणकन रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड को छोड़कर) पिछले वर्ष की तुलना में, वित्त वर्ष 2023-24 में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। पर्यटन उद्योग ने वर्ष दर वर्ष 43.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए, 2023 में 92 लाख विदेशी पर्यटकों के आगमन को देखा। वर्ष 2023 में आवासीय रियल स्टेट देश में बिक्री, वर्ष दर वर्ष 33 प्रतिशत वृद्धि दर्ज करते हुए 2013 के बाद से सबसे ज्यादा थी और शीर्ष के आठ नगरों में कुल 4.1 लाख मकानों की बिक्री हुई।भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है और यह वित्त वर्ष 15 में एक हजार केंद्रों से वित्त वर्ष 23 तक 1,580 केंद्रों से भी अधिक हो गए हैं।
भारत के ई-वाणिज्य उद्योग का 2030 तक 350 अरब डॉलर पार कर जाने की उम्मीद है। कुल टेली-घनत्व (100 लोगों की आबादी पर टेलीफोनों की संख्या) देश में मार्च 2014 में 75.2 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2024 में 85.7 प्रतिशत हो गई है। इंटरनेट डेनसिटी भी मार्च 2024 में 68.2 प्रतिशत तक बढ़ गई। 31 मार्च, 2024 तक 6,83,175 किलोमीटर के ऑप्टिकल फाइबर कैबल (ओएफसी) बिछाए गए हैं, जिसने भारतनेट चरण-1 और चरण-2 में कुल 2,06,709 ग्राम पंचायतों को जोड़ दिया है।
इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र का उल्लेख करते हुये इसमें कहा गया है कि हाल के वर्षों में, सार्वजनिक क्षेत्र निवेश में काफी वृद्धि ने बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं के वित्त पोषण में एक केंद्रीय भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण की औसत रफ्तार वित्त वर्ष 2013-14 में 11.7 किलोमीटर प्रतिदिन करीब तीन गुना बढ़कर वित्त वर्ष 24 तक प्रतिदिन करीब 34 किलोमीटर हो गई। रेल संबंधी पूंजीगत व्यय पिछले पांच वर्षों में, नई लाइनों गैज परिवर्तन और लाइनों के दोहरीकरण के निर्माण में अच्छे खासे निवेश के साथ, 77 प्रतिशत बढ़ गया है।
भारतीय रेल वित्त वर्ष 25 में वंदे मेट्रो ट्रेनसेट कोच शुरु करेगी।वित्त वर्ष 2023-24 में, 21 हवाई अड्डों पर नई टर्मिनल इमारतें चालू की गई हैं, जिसकी वजह से यात्रियों को हैंडल करने की क्षमता में वृद्धि हुई है और यह प्रतिवर्ष करीब 620 लाख यात्रियों तक पहुंच गई है। भारत का दर्जा विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स कार्य निष्पादन सूचकांक के अंतर्राष्ट्रीय शिपमेंट कैटगरी में 2014 में 44वें स्थान से 2023 में 22वें स्थान पर हो गया है।भारत में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में 2014 और 2023 के बीच 8.5 लाख करोड़ (102.4 अरब अमरीकी डॉलर) का नया निवेश हुआ है।
बढ़ते कार्यबल को खपाने के लिए सालाना 78.5 लाख नौकरियों के अवसर की जरूरत
संसद में सोमवार को प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में कहा गया है कि भारत में बढ़ते कार्यबल की रोजगार की जरूरत पूरी करने के लिए गैर कृषि क्षेत्र में 2030 तक प्रति वर्ष 78.5 लाख नौकरियों के अवसर बनाने की जरूरत है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत इस आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि रिपोर्ट के अनुसार उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना , मित्र टेक्सटाइल योजना और मुद्रा ऋण योजना इसमें महत्वपूर्ण योगदान कर सकती हैं। पीएलआई योजना में पांच साल में 60 लाख और मित्र टेक्सटाइल योजना में 20 लाख नए रोजगार सृजित होने के अनुमान है।(वार्ता)