हर मोर्चे पर तेजी से दौड़ रहा है देश: मुर्मु
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि भारत विकसित राष्ट्र बनने के लिए सभी मोर्चों पर तेजी से आगे बढ रहा है और मुश्किल समय में जहां अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं नाजुक दौर से गुजर रही हैं वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है बल्कि दूसरे देशों के लिए आशा का स्रोत भी बनी है।श्रीमती मुर्मु ने 77 वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी और कहा,“स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, मैं भारत के नागरिकों के साथ एकजुट हो कर सभी ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। उनके असंख्य बलिदानों से, भारत ने विश्व समुदाय में अपना स्वाभिमान-पूर्ण स्थान फिर से प्राप्त किया।
” स्वतंत्रता संग्राम में नारी शक्ति के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा मातंगिनी हाजरा और कनकलता बरुआ जैसी वीरांगनाओं ने भारत माता के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिये। माँ कस्तूरबा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर सत्याग्रह के मार्ग पर चलती रहीं। सरोजिनी नायडू, अम्मू स्वामीनाथन, रमा देवी, अरुणा आसफ़-अली और सुचेता कृपलानी जैसी अनेक महिला विभूतियों ने अपने बाद की सभी पीढ़ियों की महिलाओं के लिए आत्म-विश्वास के साथ, देश तथा समाज की सेवा करने के प्रेरक आदर्श प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने कहा कि आज महिलाएं विकास और देश सेवा के हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं तथा राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं। महिलाओं ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लिया है जिनमें कुछ दशकों पहले उनकी भागीदारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करने तथा विकसित राष्ट्र बनने के लिए देश हर मोर्चे पर तेजी से आगे बढ रहा है और दूसरे देशों के लिए भी उम्मीद की किरण बनकर सामने आया है। उन्होंने कहा,“हमारा देश सभी मोर्चों पर अच्छी प्रगति कर रहा है। मुश्किल दौर में भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है बल्कि दूसरों के लिए आशा का स्रोत भी बनी है। विश्व की अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं नाजुक दौर से गुजर रही हैं।”उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के कारण हुए आर्थिक संकट से विश्व-समुदाय पूरी तरह बाहर नहीं आ पाया था कि अंतर-राष्ट्रीय पटल पर हो रही घटनाओं से अनिश्चितता का वातावरण और गंभीर हो गया है। इसके बावजूद हमारी सरकार ने कठिन परिस्थितियों का अच्छी तरह सामना किया है और चुनौतियों को अवसरों में बदला है। सकल घरेलू उत्पाद में प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गयी है।
उन्होंने कहा कि किसानों ने आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और राष्ट्र उनका ऋणी है।राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति चिंता का कारण बनी हुई है, लेकिन सरकार और रिजर्व बैंक इस पर काबू पाने में सफल रहे हैं। सरकार ने जन-सामान्य पर मुद्रास्फीति का अधिक प्रभाव नहीं पड़ने दिया है और साथ ही गरीबों को व्यापक सुरक्षा कवच भी प्रदान किया है। वैश्विक आर्थिक विकास के लिए दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हुई हैं। भारत विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। विश्व में सबसे तेजी से बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। हमारी आर्थिक प्रगति की इस यात्रा में समावेशी विकास पर जोर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि निरंतर आर्थिक प्रगति के दो प्रमुख आयाम हैं। एक ओर, व्यवसाय करना आसान बनाकर और रोजगार के अवसर पैदा करके उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है तो दूसरी ओर, जरूरतमंदों की सहायता के लिए विभिन्न क्षेत्रों में पहल की गयी है तथा व्यापक स्तर पर कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वंचितों को वरीयता प्रदान करना सरकार की नीतियों और कार्यों के केंद्र में रहता है। परिणामस्वरूप पिछले दशक में बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकालना संभव हो पाया है। इसी प्रकार, आदिवासियों की स्थिति में सुधार लाने और उन्हें प्रगति की यात्रा में शामिल करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा,“मैं अपने आदिवासी भाई-बहनों से अपील करती हूं कि आप सब अपनी परंपराओं को समृद्ध करते हुए आधुनिकता को अपनाएं।
”श्रीमती मुर्मु ने कहा कि देश में आर्थिक विकास के साथ-साथ मानव विकास संबंधी सरोकारों को भी उच्च प्राथमिकता दी जा रही है। शिक्षा को सामाजिक सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम करार देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति से बदलाव आना शुरू हो गया है। उन्होंने कहा,“विभिन्न स्तरों पर विद्यार्थियों और शिक्षाविदों के साथ मेरी बातचीत से मुझे ज्ञात हुआ है कि अध्ययन की प्रक्रिया अधिक लचीली हो गई है। इस दूरदर्शी नीति का एक प्रमुख उद्देश्य प्राचीन मूल्यों को आधुनिक कौशल के साथ जोड़ना है। इससे, आने वाले वर्षों में, शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन होंगे और परिणामस्वरूप, देश में एक बहुत बड़ा बदलाव दिखाई देगा। भारत की प्रगति को, देशवासियों, विशेषकर युवा पीढ़ी के सपनों से शक्ति मिलती है। विकास की अनंत संभावनाएं देशवासियों की प्रतीक्षा कर रही हैं। स्टार्ट-अप से लेकर खेल-कूद तक, हमारे युवाओं ने उत्कृष्टता के नए आसमानों की उड़ान भरी है।”
नए भारत की महत्वाकांक्षाओं के नए क्षितिज को असीम बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नई ऊंचाइयों को छू रहा है और उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसरो ने चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण किया है, जो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है, और कार्यक्रम के अनुसार उसका ‘विक्रम’ लैंडर तथा ‘प्रज्ञान’ रोवर कुछ ही दिनों में चंद्रमा पर उतरेंगे। उन्होंने कहा,“हम सभी के लिए वह गौरव का क्षण होगा और मुझे भी उस पल का इंतजार है। चंद्रमा का अभियान अन्तरिक्ष के हमारे भावी कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है। हमें बहुत आगे जाना है।”राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक अंतरिक्ष अभियान में ही नहीं बल्कि धरती पर भी देश का नाम रोशन कर रहे हैं। अनुसंधान, नवाचार तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए, अगले पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये की राशि से सरकार राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान की स्थापना करने जा रही है। यह कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केन्द्रों में अनुसंधान एवं विकास को आधार प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि देश में महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आर्थिक सशक्तीकरण से परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत होती है। उन्होंने कहा,“मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूँ कि वे महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें। मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियाँ साहस के साथ, हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें। महिलाओं का विकास, स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों में शामिल है।”श्रीमती मुर्मु ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस इतिहास से पुनः जुड़ने का अवसर होता है। यह वर्तमान का आकलन करने और भविष्य की राह बनाने के बारे में चिंतन करने का अवसर भी है। उन्होंने कहा कि भारत ने न केवल विश्व मंच पर अपना यथोचित स्थान बनाया है, बल्कि अंतर-राष्ट्रीय व्यवस्था में प्रतिष्ठा को बढ़ाया भी है। भारत, पूरी दुनिया में, विकास के लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने अंतर-राष्ट्रीय मंचों पर अग्रणी स्थान बनाया है तथा जी-20 देशों की अध्यक्षता का दायित्व भी संभाला है।
उन्होंने कहा, “ चूंकि जी-20 समूह दुनिया की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह हमारे लिए वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का एक अद्वितीय अवसर है। जी-20 की अध्यक्षता के माध्यम से भारत, व्यापार और वित्त के क्षेत्रों में हो रहे निर्णयों को न्याय-संगत प्रगति की ओर ले जाने में प्रयासरत है।” उन्होंने कहा कि व्यापार और वित्त के अलावा, मानव विकास से जुड़े विषय भी कार्य-सूची में शामिल किए गए हैं। ऐसे कई मुद्दे हैं जो पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं और किसी भौगोलिक सीमा से बंधे हुए नहीं हैं। उन्होंने कहा,“मुझे विश्वास है कि भारत के प्रभावी नेतृत्व के साथ, जी-20 के सदस्य-देश उन मोर्चों पर उपयोगी कार्रवाई को आगे बढ़ाएंगे।”श्रीमती मुर्मु ने कहा कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता में एक नई बात यह है कि कूटनीति को जमीन से जोड़ा गया है। अंतर-राष्ट्रीय राजनयिक गतिविधि में लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी तरह का पहला अभियान चलाया गया है। उदाहरण के लिए, यह देखकर अच्छा लगा कि स्कूलों और कॉलेजों में जी-20 से जुड़े विषयों पर आयोजित की जा रही गतिविधियों में विद्यार्थी उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ज्ञान-विज्ञान में उत्कृष्टता प्राप्त करना ही लक्ष्य नहीं है बल्कि हमारे लिए ये मानवता के विकास के साधन हैं। उन्होंने कहा,“एक क्षेत्र जिस पर पूरे विश्व के वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को और अधिक तत्परता से ध्यान देना चाहिए वह है – जलवायु परिवर्तन। हाल के वर्षों में, बड़ी संख्या में प्रतिकूल मौसम के कारण घटनाएं हुई है। देश के कुछ हिस्सों में असाधारण बाढ़ का सामना करना पड़ा है।” उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए पर्यावरण के हित में स्थानीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर प्रयास करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अभूतपूर्व लक्ष्य हासिल किये हैं। अंतर-राष्ट्रीय सौर-ऊर्जा अभियान को भारत ने नेतृत्व प्रदान किया है। अंतर-राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में देश अग्रणी भूमिका निभा रहा है। विश्व समुदाय को देश ने लाइफ यानि पर्यावरण के लिए जीवन शैली का मंत्र दिया है।
उन्होंने कहा कि गरीब और वंचित वर्गों के लोगों पर इन घटनाओं का अधिक प्रभाव पड़ता है। शहरों और पहाड़ी क्षेत्रों को जल-वायु परिवर्तन की स्थितियों का सामना करने के लिए विशेष रूप से सक्षम बनाने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा, “ मैं यह कहना चाहूंगी कि लोभ की संस्कृति दुनिया को प्रकृति से दूर करती है और अब हमें यह एहसास हो रहा है कि हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहिए। आज भी अनेक जन-जातीय समुदाय ऐसे हैं जो प्रकृति के बहुत करीब और प्रकृति के साथ सौहार्द बनाकर रहते हैं। उनके जीवन-मूल्य और जीवन-शैली जलवायु के क्षेत्र में अमूल्य शिक्षा प्रदान करते हैं।”राष्ट्रपति ने कहा कि जन-जातीय समुदायों द्वारा युगों से अपना अस्तित्व बनाए रखने के रहस्य को एक शब्द में ही व्यक्त किया जा सकता है। वह शब्द है: हमदर्दी। जन-जातीय समुदाय के लोग प्रकृति को माता समझते हैं तथा उसकी सभी संतानों अर्थात वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के प्रति सहानुभूति रखते हैं। कभी-कभी दुनिया में हमदर्दी की कमी महसूस होती है। लेकिन इतिहास साक्षी है कि ऐसे दौर केवल कुछ समय के लिए ही आते हैं, क्योंकि करुणा हमारा मूल स्वभाव है।
उन्होंने कहा,“मेरा अनुभव है कि महिलाएं हमदर्दी के महत्व को और अधिक गहराई से महसूस करती हैं और जब मानवता अपनी राह से भटकती है तो वे सही रास्ता दिखाती हैं।”भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा,“हमारे देश ने नए संकल्पों के साथ ‘अमृत काल’ में प्रवेश किया है तथा हम भारत को वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हमारा संविधान हमारा मार्गदर्शक दस्तावेज है। संविधान की प्रस्तावना में हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्श समाहित हैं। आइए, हम अपने राष्ट्र निर्माताओं के सपनों को साकार करने के लिए सद्भाव और भाई-चारे की भावना के साथ आगे बढ़ें।”उन्होंने कहा,“स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, मैं पुनः आप सब को, विशेष रूप से सीमाओं की रक्षा करने वाले सेना के जवानों, आंतरिक सुरक्षा प्रदान करने वाले सभी बलों एवं पुलिस के जवानों तथा दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों को बधाई देती हूँ। सभी प्यारे देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं!” (वार्ता)