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योगी सरकार की मॉनिटरिंग से एक वर्ष में 230 लाख राजस्व मामले निस्तारित

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती का दिखा असर, एक साल में निस्तारण का रेश्यो रहा 95.37 प्रतिशत.सीएम योगी की मंशानुरूप राजस्व वादों के निस्तारण में वाराणसी, गोंडा और संतकबीरनगर ने मारी बाजी.तय समय सीमा में मामलों के निस्तारण से जमीन संबंधी विवादों में आई भारी कमी.

  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निगरानी से राजस्व वादों के निस्तारण में आई ऐतिहासिक तेजी

लखनऊ : प्रदेश भर में दर्ज होने वाले राजस्व वादों का त्वरित और पारदर्शी तरीके से निस्तारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में शामिल है। सीएम योगी की सख्ती और मॉनिटरिंग का ही असर है कि प्रदेश में राजस्व वादों के निस्तारण में ऐतिहासिक प्रगति दर्ज की गई है।

योगी सरकार द्वारा पारदर्शिता, समयबद्धता और तकनीकी के समुचित उपयोग से भूमि विवादों से जुड़े मामलों की संख्या में न केवल उल्लेखनीय कमी आई है, बल्कि लंबित मामलों का तेजी से समाधान भी हुआ है। यह योगी सरकार की आमजन को त्वरित व सुलभ न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता और सुशासन की प्राथमिकता को दर्शाता है। यही वजह है कि प्रदेशभर में एक साल (1 अप्रैल-24 से 4 अप्रैल-25) तक 230.8 लाख वादों का निस्तारण किया गया, जिसका रेश्यो 95.37 प्रतिशत रहा है। जो अप्रैल 2024 तक (92.80%) की तुलना में 2.57 प्रतिशत अधिक है। वहीं राजस्व संबंधी मामलों के निस्तारण में वाराणसी, गोंडा और संतकबीरनगर ने बाजी मारी है।

प्रदेश भर में दर्ज लंबित राजस्व वादों में आई भारी गिरावट

सीएम योगी के निर्देश पर मुख्य सचिव द्वारा हर माह राजस्व वादों के मामलाें को लेकर समीक्षा बैठक की जाती है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह द्वारा हाल ही में राजस्व संबंधी मामलों की समीक्षा में सामने आया कि 1 अप्रैल 2024 तक कुल लंबित वादों की संख्या 15.1 लाख थी, जो घटकर 4 अप्रैल 2025 को 11.2 लाख रह गई, यह 3.9 लाख वादों की कमी को दर्शाता है।

साथ ही 1 वर्ष से कम समय से लंबित वादों में 80 हजार, 2 वर्ष से अधिक में 1.6 लाख, 3 वर्ष से अधिक में 80 हजार और 5 वर्ष से अधिक पुराने वादों में 70 हजार की कमी आई है। वहीं वाराणसी ने पिछले एक साल में 5,31,406 मामलों को निस्तारण कर पूरे प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है। इसको रेश्यो 97.76 प्रतिशत है।

इसी तरह गोंडा ने 4,65,279 मामलों का निस्तारण कर दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इसको रेश्या 97.27 प्रतिशत है। वहीं संतकबीरनगर ने 1,99,246 मामलों को निस्तारित कर तीसरा स्थान प्राप्त किया है, जिसका रेश्यो 95.77 प्रतिशत है। इसके अलावा जौनपुर ने चौथा और प्रतापगढ़ ने पांचवां स्थान प्राप्त किया है।

लखनऊ, प्रयागराज और गोरखपुर में बड़ी संख्या में निस्तारण

राजधानी लखनऊ ने जहां पिछले वर्ष अप्रैल-24 तक 8,11,132 मामलों का निस्तारण किया, वहीं 4 अप्रैल-25 तक 9,73,838 वादों का निस्तारण किया गया यानी 1,62,706 अधिक मामलों का निस्तारण किया गया। इसी तरह प्रयागराज ने 4 अप्रैल-25 तक 7,06,163 वादों और गोरखपुर में 6,12,871 मामलों का निस्तारण किया गया। योगी सरकार की प्राथमिकता का ही असर है कि मामलों के निस्तारण से न्यायिक प्रक्रिया में लोगों का विश्वास बढ़ा है।

बता दें कि सीएम योगी की मंशा के अनुरूप राजस्व वादों के त्वरित निस्तारण में पारदर्शी प्रक्रिया, ई-गवर्नेंस, डिजिटल रिकॉर्ड मैनेजमेंट और जिलाधिकारियों की निगरानी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डिजिटल माध्यम से निगरानी, समयबद्ध कार्रवाई और नियमित समीक्षा बैठकों ने इस सफलता को संभव बनाया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राजस्व विभाग द्वारा निर्धारित समय सीमा में मामलों के समाधान ने न केवल प्रशासनिक शुचिता को दर्शाया है, बल्कि ग्रामीण जनता के लिए बड़ी राहत भी प्रदान की है। जमीन संबंधी विवादों में तेजी से आई कमी से सामाजिक सौहार्द और प्रशासनिक विश्वास को बल मिला है।

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