मोदी सरकार के 11 साल : जीएसटी 2.0, जनधन, डिजिटल इंडिया और बड़े सुधारों से चौथी सबसे बड़ी बनी भारतीय अर्थव्यवस्था
जनधन, दिवाला संहिता, मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे कदमों ने दी मजबूती, अब तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा भारत।
- साहसिक सुधारों की बदौलत भारत तेजी से बढ़ता हुआ वैश्विक आर्थिक शक्ति केंद्र
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 साल के कार्यकाल को आर्थिक सुधारों की दृष्टि से ऐतिहासिक माना जा रहा है। इस दौरान लागू किए गए बड़े सुधारों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), बैंकिंग क्षेत्र में एनपीए समाधान, दिवाला संहिता, रियल एस्टेट विनियमन (रेरा), जनधन-आधार-मोबाइल पर आधारित वित्तीय समावेशन और डिजिटल इंडिया जैसे कदम शामिल हैं। इन सुधारों ने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी, बल्कि इसे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारत ने 7.8 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की। वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और आर्थिक अस्थिरता के बावजूद यह दर दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में कहा है कि भारत जल्द ही अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। गौरतलब है कि 2013-14 में भारत 11वें स्थान पर था।
जीएसटी : आर्थिक ढांचे का सबसे बड़ा सुधार
1 जुलाई 2017 को लागू हुआ जीएसटी भारतीय कर व्यवस्था का सबसे बड़ा सुधार माना गया। इसने पूरे देश के बाजार को एकीकृत कर दिया और राज्यों की बिक्री कर चौकियों व चुंगी व्यवस्था का अंत हुआ। व्यापारियों के लिए यह एक ‘वन नेशन, वन टैक्स’ व्यवस्था साबित हुई। मोदी सरकार ने हाल ही में जीएसटी 2.0 की घोषणा की है। इसमें 12 प्रतिशत श्रेणी में आने वाली 99 प्रतिशत वस्तुओं को 5 प्रतिशत स्लैब में लाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा, हालांकि इससे अल्पावधि में केंद्र सरकार की राजकोषीय स्थिति पर दबाव पड़ सकता है।
जनधन योजना और वित्तीय समावेशन
मोदी सरकार का पहला बड़ा फैसला रहा जनधन योजना, जिसने करोड़ों लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा। आज तक 56 करोड़ से अधिक जनधन खाते खोले जा चुके हैं, जिनमें 2.64 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जमा है। इस पहल के जरिये डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) को आधार मिला, जिससे योजनाओं का पैसा सीधे लाभार्थियों तक पहुंचा और बजट में लीकेज बंद हुआ।
बैंकिंग सुधार और दिवाला संहिता
सरकार ने सार्वजनिक बैंकों की अवरुद्ध सम्पत्तियों (एनपीए) की पहचान और समाधान पर जोर दिया। दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (IBC) से लाखों करोड़ रुपये की फंसी हुई परिसंपत्तियों का पुनरुद्धार हुआ और बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत हुई। इससे सरकारी बैंकों की ऋण देने की क्षमता बढ़ी और वे लाभ में आए।
विवादित पर निर्णायक फैसला : नोटबंदी
8 नवम्बर 2016 को सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोट चलन से बाहर कर दिए। महज चार घंटे के नोटिस पर लागू इस फैसले से आम जनता को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। सरकार का दावा था कि इससे कालेधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगेगी, हालांकि आरबीआई और सरकारी आंकड़े बताते हैं कि ये लक्ष्य पूरी तरह हासिल नहीं हो सके। फिर भी, नोटबंदी को डिजिटल लेनदेन और औपचारिक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाले कदम के रूप में देखा जाता है।
मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भरता की राह
2014 में शुरू हुआ मेक इन इंडिया मिशन आज भी जारी है। इसका उद्देश्य भारत को विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाना है। इस अभियान ने विदेशी निवेश को आकर्षित किया और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में गति दी। बाद में लगभग हर सरकारी नीति में इसे शामिल किया गया।
डिजिटल इंडिया : तकनीक से पारदर्शिता
- मोदी सरकार का डिजिटल इंडिया मिशन सीधे तौर पर जनधन-आधार-मोबाइल (JAM) से जुड़ा रहा।
- यूपीआई जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम ने भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ाया।
- आधार को सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए मोदी सरकार ने मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई।
- फाइनेंस बिल के रूप में आधार एक्ट पारित कर इसे लागू कराया गया।
- ग्रामीण इलाकों तक इंटरनेट पहुंचाना और हाई-स्पीड कनेक्टिविटी देना इस मिशन की बड़ी उपलब्धि रही।
सामाजिक सुरक्षा योजनाएं
मोदी सरकार ने आर्थिक सुधारों के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर भी जोर दिया।
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (2016) : गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिया गया। अब तक करोड़ों महिलाओं को लाभ मिला, हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी पारंपरिक ईंधन का प्रयोग जारी है।
- आयुष्मान भारत योजना : प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये सालाना मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई। 2024 में इसमें 70 वर्ष से अधिक आयु वालों को शामिल कर बुजुर्गों को राहत दी गई।
- रेरा कानून : रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
नया आयकर कानून
हाल ही में संसद ने नया आयकर कानून पारित किया है, जो अगले वित्त वर्ष से लागू होगा। इसका उद्देश्य 64 साल पुराने आयकर अधिनियम की जगह एक सरल और आधुनिक कानून लाना है। इससे कर प्रणाली में व्याप्त जटिलताओं को दूर किया जा सकेगा।
मोदी सरकार के 11 वर्षों में लिए गए आर्थिक फैसले यह दिखाते हैं कि सिर्फ राजनीतिक इच्छाशक्ति के बल पर भी बड़े सुधार लागू किए जा सकते हैं। आलोचनाओं के बावजूद जीएसटी, जनधन, दिवाला संहिता, डिजिटल इंडिया और अन्य योजनाओं ने भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई दी है। अब सरकार की सबसे बड़ी चुनौती होगी कि **जीएसटी 2.0 के लाभ आम जनता तक सही समय पर पहुंचें** और विकास दर लगातार तेज बनी रहे।
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