Education

बच्चों के अधिकार व शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने को एसएमसी का पुनर्गठन करेगी योगी सरकार

मिड-डे मील व अन्य शैक्षिक योजनाओं की गुणवत्ता की निगरानी होगी जिम्मेदारी.विद्यालय विकास योजना तैयार करना और धन का सदुपयोग सुनिश्चित करना भी समिति का दायित्व.

  • विभिन्न वर्गों के 11 अभिभावक सदस्यों में 50% महिलाएं होंगी शामिल
  • योगी सरकार ने तय किए समितियों के सदस्य कार्य और कर्तव्य
  • खुली बैठकों में होगा समितियों के सदस्यों का चयन

लखनऊ । शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने और विद्यालय प्रबंधन में सुधार के लिए योगी सरकार ने विद्यालय प्रबंध समितियों (एसएमसी) के पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज कर दी है। यह बच्चों के अधिकार और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की प्रक्रिया में विद्यालय प्रबंध समिति को सशक्त और मजबूत होना अनिवार्य है।वर्तमान शैक्षिक सत्र 2022-23 के लिए गठित एसएमसी का कार्यकाल 30 नवंबर, 2024 को समाप्त हो रहा है। इस कारण योगी सरकार ने नई समितियों के गठन का निर्णय लिया है। ये समितियां 30 नवंबर के बीच गठित कर ली जाएंगी और 01 दिसंबर से कार्यशील हो जाएंगी।

बता दें कि योगी सरकार विद्यालय प्रबंध समिति के माध्यम से न केवल बच्चों के शैक्षणिक अधिकारों को सुदृढ़ करने का प्रयास कर रही है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए भी निरंतर प्रयासरत है। पुनर्गठित समितियां अब सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने और अभिभावकों को विद्यालय विकास से जोड़ने का माध्यम बनेंगी। इसके जरिए शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी और सशक्त बनाया जा सकेगा। साथ ही, बेसिक शिक्षा विभाग और समग्र शिक्षा के तहत चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।

आरटीई कानून के तहत अनिवार्य है एसएमसी का गठन

विद्यालय प्रबंध समिति का गठन निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (आरटीई) और उत्तर प्रदेश निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 के तहत अनिवार्य है। प्रदेश के गैर अनुदानित विद्यालयों को छोड़कर सभी विद्यालयों पर लागू होती है।

समितियों के गठन में योगी सरकार ने रखा है सामाजिक समरसता का ध्यान

नई समितियों में कुल 15 सदस्य होंगे, जिनमें 11 सदस्य अभिभावक होंगे और उनमें से 50% महिलाएं होंगी। शेष 4 नामित सदस्यों में स्थानीय प्राधिकारी, एएनएम, लेखपाल और प्रधानाध्यापक अथवा प्रभारी शामिल होंगे। समितियों में सामाजिक समरसता सुनिश्चित करने के लिए एससी, एसटी, ओबीसी और कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित है।

दो वर्षों का होगा कार्यकाल

प्रत्येक समिति का कार्यकाल 24 माह का होगा। इसका उद्देश्य समितियों को पर्याप्त समय देकर शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। आपात स्थितियों (जैसे महामारी) में कार्यकाल को बढ़ाया या घटाया भी जा सकता है।

यह है गठन प्रक्रिया

योगी सरकार ने समिति के गठन को पूरी तरह से पारदर्शी बनाया है। समिति के पुनर्गठन के लिए अभिभावकों की खुली बैठक आयोजित की जाएगी। चयन प्रक्रिया में विवाद की स्थिति में खंड शिक्षा अधिकारी की देखरेख में गोपनीय मतदान कराया जाएगा।

गठन की तिथियां जिला स्तर पर तय होंगी

नई समितियों के गठन के लिए तिथियां जिला स्तर पर तय की जाएंगी। मुनादी और प्रचार-प्रसार के जरिए अभिभावकों की बैठक आयोजित की जाएगी।

ये होंगे सदस्यता समाप्ति के कारण

योगी सरकार ने उन कारणों को भी स्पष्ट किया है जिनसे सदस्यता समाप्त हो सकती है। इनमें मृत्यु, न्यायालय द्वारा दंडित होना या सदस्य का स्थानांतरण शामिल है। रिक्त पदों को आम सहमति से खुली बैठक में भरा जाएगा।

बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा

बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने कहा कि सरकार ने समितियों के कर्तव्यों को स्पष्ट किया गया है। इनमें विद्यालय की निगरानी, विकास योजना तैयार करना, धन का सदुपयोग सुनिश्चित करना, बच्चों का नामांकन व उपस्थिति, शिक्षकों की नियमित उपस्थिति पर ध्यान देना शामिल है। मिड-डे मील योजना और अन्य शैक्षिक योजनाओं की गुणवत्ता की निगरानी भी समितियों की जिम्मेदारी होगी। श्री सिंह ने बताया कि विद्यालय में पारदर्शिता बनाए रखने और विकास कार्यों में भागीदारी बढ़ाने के लिए समितियों को वित्तीय मामलों में सहभागी बनाया गया है। निर्माण कार्यों की निगरानी के लिए उपसमितियां भी गठित की जाएंगी।

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