
सरकार के खुले बाजार में 25 लाख टन गेहूं बेचने के फैसले के बाद महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी को बड़ी राहत मिली सकती है। सरकार के इस फैसले के बाद बाजार में गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। इस लेख में हम सरकार के इस फैसले के बारे में विस्तार से जानेंगे।
कब से शुरू होगी नीलामी
FCI ने थोक उपभोक्ताओं को 25 लाख टन गेहूं बेचने की योजना बनाई है। FCI एक फरवरी से 2,350 रुपये प्रति क्विंटल के आरक्षित मूल्य और ढुलाई लागत के साथ इसकी ई-नीलामी शुरू करेगा। ये नीलामी साप्ताहिक आधार पर प्रत्येक बुधवार को होगी। पहली नीलामी एक फरवरी को शुरू होगी जो 15 मार्च तक चलेगी। गेहूं का स्टॉक खरीदने के इच्छुक खरीदार एफसीआई की ई-नीलामी सेवा प्रदाता “एम-जंक्शन सर्विसेज लिमिटेड” (https://www.valuejunction.in/fci/) के साथ खुद को सूचीबद्ध कर सकते हैं और स्टॉक के लिए बोली लगा सकते हैं।
25 Lac MT wheat offered by #FCI in first week of February under OMSS (D) through E-auction. Visit m-junction site or Regional Office, FCI. pic.twitter.com/aAO5TzlNTS
— Food Corporation (@FCI_India) January 28, 2023
ये कदम महंगाई कम करने में होगा कारगर
देश में गेहूं एवं आटे की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए यह निर्णय लिया कि FCI ओपन मार्केट सेल स्कीम (घरेलू) के तहत विभिन्न प्रावधानों से 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा। FCI ने पूरे देश में इस योजना की घोषणा के 24 घंटे के भीतर स्टॉक की ई-नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस गेहूं को भारतीय खाद्य निगम (FCI) के जरिए अगले 2 महीनों में विभिन्न माध्यमों से बेचा जाएगा। केंद्र सरकार का यह फैसला गेहूं एवं आटे की बढ़ती कीमतों पर तत्काल प्रभाव डालेगा और बढ़ते दामों को रोकने में भी मदद कारगर होगा। इससे आम आदमी को काफी राहत मिलेगी। FCI खाद्यान्नों के मूल्य स्थिरीकरण के उद्देश्य से बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए पूरे देश में खाद्यान्नों की आवाजाही करता है।
#FCI is Offloading 30 Lakh MTs Wheat in the market through OMSS(D) scheme within a span of two months through multiple channels to impact soaring wheat/flour prices. pic.twitter.com/eZgwekY5lb
— Food Corporation (@FCI_India) January 27, 2023
केंद्र सरकार का सराहनीय फैसला
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने खुले बाजार में 30 मिलियन टन गेहूं बेचने के सरकार के फैसले की सराहना की थी। इस फेडरेशन का भी मानना है कि इस कदम से गेहूं और गेहूं के आटे (आटा) की कीमतों में कमी आएगी। गेहूं पीसकर आटा बनाने और उसे जनता तक 29.50 रुपये के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में पहुंचाने के लिए FCI गेहूं को पब्लिक सेक्टर यूनिट्स, सहकारिता संघ और अन्य संस्थाओं को 23.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचेगा।
खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर भारत
FCI ने वर्ष 1965 में अपनी स्थापना के बाद से भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर देश बनाने के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज यह लगभग 1300 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न (गेहूं और धान) सालाना खरीदता है, जबकि 1965 के दौरान केवल 13 लाख मीट्रिक टन का क्रय होता था। जानकारी के अनुसार यह उल्लेखनीय होगा कि खाद्यान्न की खरीद पूरे देश में समान रूप से नहीं है। यह अलग बात है कि कुछ राज्यों में उत्पादन उनकी आवश्यकताओं के संदर्भ में अत्यधिक अधिशेष है, अन्य में आंशिक या पूर्ण रूप से कमी है। इसलिए, देश के प्रत्येक कोने में समाज के कमजोर वर्ग के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराने हेतु FCI बड़े पैमाने पर खाद्यान्नों की आवाजाही करता है।
भंडारण के लिए दो हजार डिपो का संचालन
पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा आदि जैसे प्रमुख खरीद वाले राज्यों से लगभग 600 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न सालाना देश के विभिन्न कोनों में पहुंचाया जाता है। खाद्यान्नों के भंडारण एवं आवाजाही की सुविधा के लिए FCI पूरे देश में अपने लगभग 500 डिपो सहित लगभग 2000 डिपो संचालित करता है। बुनियादी ढांचे के संदर्भ में FCI ने अपनी भंडारण क्षमता को 1965 में 6 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर वर्तमान में 800 लाख मीट्रिक टन से अधिक कर दिया है। वर्तमान रबी (सर्दियों में बोई जाने वाली) ऋतु में गेहूं की फसलों का रकबा थोड़ा अधिक है। नई गेहूं की फसल की खरीद अप्रैल 2023 से शुरू होगी।