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बजट और मिलेट्स:झूम उठा बाजरा, मडुए की मुस्कराहट बढ़ी,सावां कोदो भी चहक उठे

  • बजट में मिलेट्स पर की गई पहल से यूपी के किसानों को होगा सर्वाधिक लाभ
  • ग्लोबल वार्मिंग के खतरे में भविष्य की खेती साबित होंगे मिलेट्स

आम बजट में जिस तरह मिलेट्स (मोटे अनाजों) पर फोकस किया गया है, उसके मद्देनजर बाजरा झूम उठा। मडुआ (रागी) मुस्करा उठा तो सावां-कोदो भी चहक उठे। जब कुअन्न एवं मोटे कहे जाने वाले इन अनाजों की ये स्थिति है तो इनको पैदा करने वाले किसानों की स्थिति की आप सहज कल्पना कर सकते हैं।

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश में मिलेट्स (ज्वार, बाजार और अन्य मोटे अनाज) के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए हैदराबाद स्थित भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की घोषणा की है। स्वाभाविक है कि इसके लिए सरकार संस्थान को अतिरिक्त बजट भी देगी। मंशा यह है कि मिलेट्स के उत्पादन और निर्यात में दुनिया में दूसरा स्थान रखने वाला भारत इसका वैश्विक हब बने।

बजट और मिलेट्स:झूम उठा बाजरा- मडुए की मुस्कराहट बढ़ी-सावां कोदो भी चहक उठे
बजट और मिलेट्स:झूम उठा बाजरा- मडुए की मुस्कराहट बढ़ी-सावां कोदो भी चहक उठे

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र में सर्वोत्तम उपलब्धियों को साझा कर सके। उल्लेखनीय है कि भारत के प्रयास से संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मनाने की घोषणा की है। मोटे अनाजों को उन्नत भोजन माना गया है क्योंकि उनकी खेती मुख्यत: जैविक ढंग से होती है और उनमें पौष्टिक तत्व बहुतायत पाये जाते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिलेट्स वर्ष में मोटे अनाजों की खेती और उपभोग को जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया है। भारत में मिलेट्स की श्रेणी में आने वाले मुख्य अनाजों में ज्वार, रागी, बाजारा, कुटकी, कोदो, कुट्टू और चौलाई आदि शामिल हैं। भारत में सालाना 1.7 करोड़ टन मोटे अनाजों का उत्पादन होता है।

मोटे अनाजों के प्रोत्साहन के लिए आम बजट में केंद्र सरकार द्वारा की गई पहल बेहतरीन है। जिनको मोटे अनाज या कुअन्न कहकर उपेक्षित कर दिया गया था, उनकी खूबियों से लोग वाकिफ होंगे। मिलेट्स अनुसंधान केंद्र को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाये जाने से इन पर नए शोध होंगे। नयी प्रजातियों का विकास होगा। इनकी उपज बढ़ेगी। ये रोगों एवं कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधी होंगी। साथ ही अधिक समय तक भंडारण योग्य भी। इनको फोर्टिफाइड कर इनको और उपयोगी बनाया जा सकेगा।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पहले से ही इसके प्रति सचेत है। पहली बार 18 जिलों में यहां बाजरे की एमएसपी पर खरीद हो रही है। लिहाजा यहां के किसान ऐसी किसी पहल से सर्वाधिक लाभान्वित होंगे। एक जो सर्वाधिक लाभ होगा जिस पर कम चर्चा होती है, वह है ग्लोबल वार्मिंग और मिलेट्स की खेती। हाल ही में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) के जरिये अध्ययन से पता चला है कि अगले दशक में धरती का तापमान करीब 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा।

नतीजतन मौसम की अप्रत्याशिता का दौर बढेगा। गेहूं जैसी फसल जो तापमान के प्रति बेहद संवेदनशील होती है, उस पर इसका बहुत असर पड़ेगा। मोटे अनाजों की खेती में कम पानी की दरकार होती। ये तापमान के प्रति भी प्रतिरोधी होते हैं। बाजरा का परागण तो 45 से 50 डिग्री सेल्सियस पर भी हो जाता। इस लिहाज से देखेंगे तो यह भविष्य की खेती होगी।

उत्तर प्रदेश इन अनाजों को लोकप्रिय बनाने की मुकम्मल योजना करीब छह महीने पहले ही तैयार कर चुका है। मुख्यमंत्री खुद इसके ब्रांड अम्बेसडर की भूमिका में है। हाल ही में वह अपने आवास पर दो बार मिलेट्स भोज का भी आयोजन कर चुके हैं। इसी मकसद से प्रदेश में जहां भी जी-20 के आयोजन होंगे उनमें मिलेट्स के भी व्यंजन शामिल होंगे। ओडीओपी की तरह खास अतिथियों को गिफ्ट हैंपर में मिलेट्स से बनी चीजें भी दी जाएंगी।

श्री अन्न में क्या-क्या शामिल है

  • ज्वार: यह ग्लूटेन फ्री और प्रोटीन का अच्छा सोर्स है। डायबिटीज के मरीजों के लिए बढ़िया भोजन है।
  • बाजरा: इसमें विटामिन बी6, फॉलिक एसिड मौजूद है। ये खून की कमी को दूर करता है।
  • रागी: यह नेचुरल कैल्शियम का सोर्स है। बढ़ते बच्चे और बुजुर्गों की हड्डी मजबूत करने में मदद करता है
  • सांवा या सामा: फाइबर और आयरन से भरपूर है। एसिडिटी, कब्जियत और खून की कमी को दूर करता है।
  • कंगनी: ये डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है। बीपी और बेड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है।
  • कोदो: यह भी फाइबर से भरपूर है। घेंघा रोग, रुसी की समस्या पर से संबंधित बीमारी और बवासीर में फायदेमंद है।
  • कुटकी: ये एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम हेल्दी हार्ट और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है।
  • कुट्टू: ये अस्थमा के रोगियों के लिए फायदेमंद है। इसमें मौजूद अमीनो एसिड बाल झड़ने से रोकता है।

इसकी खेती करना भी आसान

भारत दुनिया को मोटा अनाज के लाभ बताने-समझाने में अहम भूमिका निभा रहा है। हमारे देश में एशिया का लगभग 80 प्रतिशत और विश्व का 20 प्रतिशत मोटा अनाज पैदा होता है। मोटे अनाज की खेती कम लागत और कम पानी में हो जाती है। इस फसल में रोग भी कम लगते हैं जिससे कीटनाशकों का उपयोग भी ना के बराबर ही होता है। चूंकि, यह असिंचित भूमि पर आसानी से हो सकता है अतः यदि मांग बढ़ेगी तो भारत में इसकी पैदावार कई गुना बढाई जा सकती है।

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