स्टार्टअप चैंपियंस: नारियल के पेड़ से प्राप्त एक अमूल्य उत्पाद से दुनिया की गरीबी खत्म करेगा ये शख्स
ऊंचे-ऊचे नारियल के पेड़ व उन पर लगे नारियल जिसका पानी तो आपने जरूर पीया होगा, लेकिन क्या आपको मालूम है कि नारियल के पेड़ से एक और अमूल्य उत्पाद भी हमें प्राप्त होता है जिसका नाम है ‘नीरा’। इसे प्राप्त करने के लिए बड़ी मशक्कत से नीरा टैपर्स को नारियल के ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर चढ़ना पड़ता है वो भी दिन में कई बार।
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी
बहुत बार यह प्रक्रिया नीरा टैपर्स के लिए जानलेवा भी साबित होती है। इस काम में निहित जोखिम के चलते यह हुनर धीरे-धीरे सिमटता गया और कुछ लोगों तक ही सीमित होकर रह गया जिससे इस उत्पाद का प्रयोग दिन प्रतिदिन कम हो गया। यह कथन यहां फिट बैठते हैं कि ‘आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है’। दरअसल, चार्ल्स विजय वर्गीज जो देश के बाहर मिडल ईस्ट में रहकर काम कर रहे थे उनके मन में हमेशा ही नीरा टैपिंग से संबंधित एक बचपन का किस्सा गूंजता रहता था। चार्ल्स ने नीरा टैपिंग की इस समस्या का समाधान करने की ठान ली और नीरा को आसानी से प्राप्त करने की मशीन बनाने के बारे में सोचा जो कि आईओटी और ऑटोमेशन का सममिश्रण लिए हो।
कई एरर और ट्रायल के बाद हाथ लगी बड़ी सफलता
कई एरर और ट्रायल के फेस से गुजरते हुए चार्ल्स ने अपनी टीम के साथ मिलकर आखिरकार यह मशीन बनाई। नीरा टैपर्स इस उत्पाद की जितनी मात्रा नारियल के पेड़ पर 270 बार चढ़कर प्राप्त करता था अब वह केवल दो बार में चढ़कर प्राप्त हो सकती है।
चार्ल्स के इस काम में उनके बचपन के दोस्त ने की भरपूर मदद
चार्ल्स के इस काम में उनके बचपन के दोस्त और इस स्टार्टअप में सहपाठी जॉन ने भरपूर सहयोगा दिया। इनका यह प्रयास नारियल बहुल क्षेत्रों में आय और नए उत्पादों की एक क्रांति लेकर आने वाला है। अगर नारियल के नेक्टर से चीनी बनाई जाए तो दुनिया की गरीबी को समाप्त किया जा सकता है। महात्मा गाँधी के इन शब्दों को धरातल पर लाने का काम किया चार्ल्स विजय ने और उनकी यह ‘कोकोनेट नीरा टैपिंग डिवाइस’ भविष्य में गुणवत्ता युक्त उत्पादों के आगाज का एक साधन साबित होगी।